भ्रष्ट लोग अपने बचाव के लिए किसी भी हद तक गुज़र सकते हैं। अन्ना ने अनशन तोड़ दिया, ठीक है, अग्निवेश की असलियत सामने आई, चलो यह भी ठीक है, शांतिपूर्ण आंदोलन खत्म हुआ, अन्ना खेमा भी कमजोर पड़ने लगा था इसलिए जो हुआ ठीक ही हुआ, अन्ना दृढ़ हैं, पर उनकी टीम !!!!! तूफ़ान के बाद की शांति से लगता है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं, माना सरकार के पास मानने के सिवा कोई चारा ही नहीं था,भावी नेता की छवि में राहुल गाँधी के वक्तव्य ने जनता को फिर सोचने को मज़बूर कर दिया है, कांग्रेस के पास भावी प्रधानमंत्री की छवि धूमिल है,पिछले दिनों एक आई ए एस ने अपनी पत्नी को डंडे से पीट कर मार डाला और अदालत जा पहुँचा,कामकाज किया, परिवादों में तारीखें दीं,पिछले दिनों राजस्थान विधान सभा में भ्रष्टाचार पर बहस ही नहीं हो सकी और चप्पल कांड और महिला विधायक से अभद्रता और अपशब्द जैसी घटना हो गयी,क्या बौखला गये हैं नेता? या इस आंदोलन से उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा, देश के हालात जस के तस हैं, काम काज जस का तस चल रहा है,रैगिंग पर भले ही सुप्रीप कोर्ट ने रोक लगा दी हो लेकिन धड़ल्ले से रैगिंग हो रही है, सीनियर रेजिडेन्ट डॉक्टर्स जूनियर्स पर बॉसगिरी थोप रहे हैं, इस बार की बरसात ने भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है,मुद्रा स्फीति का बोझ और आयरीन समुद्री तूफान ने अमेरिका को अंदर से बहुत कमज़ोर बना दिया है,भारत को इस तक का लाभ उठाना चाहिए, पर ऐसा दिमाग से नहीं नहीं करेंगे नेता,इसमें भी कोई मौक़ा ढूँढ़ेंगे, बालिका वधु और ससुराल सिमर टी0वी0 सीरियल समाज को ग़लत संदेश दे रहे हैं,स्व0 राजीव गाँधी के हत्यारों को फाँसी के लिए फिर राजनीति खेली जा रही है,राजस्थान में आरक्षण के अदालती आदेश पर सरकारें निर्णयों की पालना करने को गंभीरता से नहीं ले रही है, सूचना का अधिकार को लागू कर सरकार ने जो सिरदर्द मोल ले लिया है,कहीं ऐसा तो नहीं शांतिपूर्ण ढंग से जनता के आक्रोश को देख कर सरकार ने आनन फानन में स्वीकार तो कर लिया, यह सोच कर कि दो दिन में तो जन लोक पाल बिल बनना नहीं है,कोई नया लोकुना मिल जायेगा, तो उसे खिसकाया जा सकता है, जन सैलाब के परिणाम कुछ भी हो सकते थे,क्योकि सरकारी कामों को खिसकाना हो तो अनेकों कार्यालयों में काम का बोझ सरकार पर डालने की परम्परा 'सरकार से पूछा जाये,स्वीकृति लें,उच्च स्तर पर निर्णय के लिए अग्रेषित करें,जैसे जुमले आए दिनों सुनने देखने को मिलते हैं।ठीक है, देखते हैं ऊँट किस करवट बैठता है,पर अन्नाजी,एक गाँधी गिरी से पाकिस्तान बन गया, दूसरी कूटनीति से बांग्लादेश बन गया किंतु इससे हमने बहुत कुछ खोया है जिसका विक्ल्प आज तक नहीं मिल रहा है,हमने वल्ल्भ भाई पटेल की बात नहीं मानी,परिणाम सामने है,काश्मीर मुद्दा नासूर बन रहा है,लाल बहादुर शास्त्री जैसा कद्दावर नेता खोया है हमने,आज किसी भी पार्टी के पास विश्वसनीय भावी अगुआ नहीं है,अपने देश में पग-पग पर भ्रष्टाचार को गाँधीगिरी से नहीं खत्म किया जा सकता,इस पर कुछ नया सोचना होगा,आप सोचिए आपके पास रक्षक,अंगरक्षक और संरक्षक सब हैं,आम जनता को तो पहले पेट पालना है,इन मुद्दों पर लंबी लड़ाई लड़ने की ताक़त कहाँ से लायेगी जब जन संगठन किसी न किसी रूप में बिना कठोर नियंत्रण के चल रह हैं औश्र मजदूर संगठन अब लगभग रहे ही नहीं जो एक आवाज़ पर खड़े हो जाया करते थे, आधुनिक तकनीक ने यह नुकसान तो किया है,खैर सौ बातो की एक बात,दिल्ली अब सौ साल की हो गयी है,हर मुद्दे पर वह अपना नियंत्रण खोती जा रही है,क्या अब दूसरी राजधानी नहीं बनायी जानी चाहिए!!!!, मुंबई नहीं बन सकती !!!!! अभेद्य दुर्ग, फिर आतंकवाद का हल स्वत: मिल जायेगा, हिन्दी भाषा को एक नया आयाम मिलेगा, पर अन्ना यह तो बतायें, अभी तक जो भी हुआ, क्या सरकार की यह कोई नई चाल तो नहीं !!!!! आज गणेश चतुर्थी है, अन्ना बधाई हो, श्रीगणेश तो हुआ, आज के पर्व की बहुत बहुत बधाई हो, अन्ना गणपति बप्पा मोरिया।
भारत भी अजीब देश है। यहां अहिंसा के ज़रिये जंग लड़ी जाती है और उसकी बुनियाद आत्मघात पर रखी जाती है।
जवाब देंहटाएंख़ैर अगर आदमी मरने पर उतारू हो जाए तो फिर हरेक चीज़ उसके सामने झुक जाती है। अफ़ग़ानिस्तान के आत्मघाती हमलावरों के सामने तो अमेरिका भी घुटने टेक चुका है।
अन्ना का प्रभाव तो उनसे कहीं ज़्यादा व्यापक है क्योंकि उनकी मरने की धमकी की शैली गांधी शैली है।
लोग अफ़गान आत्मघातियों को बुरा कह सकते हैं लेकिन गांधी शैली को नहीं।
भारत व्यक्ति पूजक लोगों का समूह है, यहां ऐसे ही होता है। वह करे तो ग़लत और हम करें तो महान।
बहरहाल अब जब तक अन्ना जिएगा, उसकी ज़िम्मेदारी बनती है कि सरकार की गर्दन में गांधी शैली का फंदा टाइट ही रखे।
उन्हें हमारा समर्थन इसी बात के लिए है।
See ♥
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/%E0%A4%B9-%E0%A4%A6-%E0%A4%AE-%E0%A4%B8-%E0%A4%B2-%E0%A4%AE-%E0%A4%95-%E0%A4%AE-%E0%A4%B9%E0%A4%AC-%E0%A4%AC%E0%A4%A4-%E0%A4%95-%E0%A4%A4-%E0%A4%9C%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2-%E0%A4%B9-%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%AC-%E0%A4%A6