शनिवार, 25 अगस्त 2012

साहित्‍यकार-5 में रघुनाथ मिश्र और ‘आकुल’

निरुपमा प्रकाशन मेरठ की ‘साहित्‍यकार’ प्रकाशन शृंखला की पाँचवी कड़ी में पाँच कवियों में कोटा के वरिष्‍ठ साहित्‍यकार और जनकवि विद्या वाचस्‍पति श्री रघुनाथ मिश्र और सम्‍पादक, कवि, साहित्‍यकार साहित्‍य शिरोमणि श्री गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’ को शामिल किया गया है। मुकेश ‘नादान’ सम्‍पादित 126 पृष्ठीय पुस्‍तक में श्री मिश्र और आकुल के अलावा तीन अन्‍य कवि कोटकला, बुलंदशहर के प्रख्‍यात लोक कवि श्री सरन ‘मधुकर, पुराण वर्णित प्रलय के बाद पुराण वर्णित सृष्टि की शुरुआत जहाँ से हुई वह वाराह अवतार की गंगा नदी के तट की भूमि शूकर  क्षेत्र के नाम से प्रख्‍यात सौरों निवासी श्री नीरज तिवारी ‘हउआ’ और बी0एच0ई0एल0 (भेल) में कार्यरत प्रख्‍यात कवि सुधीर कुमार 'चक्र' को सम्मिलित किया गया है।

इस पुस्‍तक में कवियों की अपनी प्रतिनिधि एवं सर्वश्रेष्‍ठ 10 से 15 रचनायें सम्मिलित की गयी हैं। जैसे श्री मिश्र की प्रतिनिधि कविता ‘कोयल की कूक मयूर की थिरक’, ‘मधुकर’ की ‘पहले खूब हँसा करता था, अब मैं केवल चुप रहता हूँ, चक्र की ‘चटकनी’ 'वसीयत' और ‘कवि की उम्र’, ‘हउआ’ की ‘रिश्‍ते’ और आकुल’ की ‘शिक्षा ऐसी हो’, दृष्टि दिवस, अनगिन दीप जले, कितने रावण मारे अब तक आद‍ि इसमें शामिल हैं। कवियों ने काव्‍य की सभी विधाओं में कलम चलाई है। मुक्‍तक, दोहे, देशभक्ति, शृंगार, लम्‍बी कवितायें, अतुकात्‍मक आदि विधाओं की गागर में सागर समाई इस पुस्‍तक में शोधग्रंथ के लिए प्रयोग में लिये जा सकने वाली सामग्री है। इसमें दर्शन है, व्‍यंग्‍य है, समसामयिक घटनाचक्र है, बेरोजगारी, भ्रष्‍टाचार पर आक्रोश है तो माँ और नारी की स्थिति का मार्मिक चित्रण है। त्रुटि रहित मुद्रण और श्री नादान की पैनी दृष्टि से सम्‍पदित यह पुस्‍तक हर वर्ग के पाठक को पठनीय है।   
इस प्रकाशन की कुछ विशेषतायें इस प्रकाशन की ही उपलब्धि मानी जायेगी। सुंदर कलेवर की हार्डबाइंडिग  लाइब्रेरी संस्‍करण इस पुस्‍तक पर पाँचों कवियों के मुखाकृति को प्रकाशित किया जाता है। व्‍यावसायिक दृष्टिकोण से बनाई गयी इस पुस्‍तक में आईएसबीएन क्रमांक भी दिया गया है। 250 रु0 मूल्‍य की यह पुस्‍तक श्री ‘नादान’ के निरुपमा प्रकाशन की यह पु‍स्‍तक मेरठ से प्रकाशित और बी0 के0 आफसेट, शाहदरा दिल्‍ली में मुद्रित है।

कोटा, 25-8-2012   

1 टिप्पणी:

  1. साहित्यकार भाग पंचम की विषयवस्तु को अति संछेप में किन्तु समग्र जानकारी के साथ सारगर्भित समाचार प्रेरक व प्रसंसनीय है.समाचार के साथ पुस्तक का आवरण बहुत ही आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया गया है.साथ ही आगामी हिंदी दिवस पर डा.तिवारी की सद्य प्रकाशित पुस्तक "भ्रमर उत्सव" पर उन्हें डा. अशोक पाण्डेय "गुलशन" द्वारा पंडित ब्रिजबिहारी पाण्डेय स्मृति सम्मान से अलंकृत करने का समाचार भी उत्साहजनक है.आकुल को हार्दिक बधाई व असीम शुभ कामनाएं.

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