कोटा। 14 दिसम्बर को मौनतीर्थ उज्जैन में हुए विक्रमशिला विद्यापीठ के
साहित्य सम्मान समारोह में सैंकड़ों को साहित्यकारों, रचनाकारों को सम्मानित
किया गया। हर वर्ष की भाँति इस बार भी पावन शिप्रा नदी के तट पर बसा मौन तीर्थ उज्जैन
13 और 14 दिसम्बर 2012 को साहित्य रस में डूबा रहा। विक्रमशिला विद्यापीठ
गांधीनगर, भागलपुर बिहार के वार्षिक सम्मान समारोह में अखिल भारतीय साहित्यकारों
का सम्मान किया गया। 13 दिसम्बर को सांगठनिक चर्चा और 14 को साहित्य सम्मान समारोह आयोजित हुआ।
मंचासीन कुलाधिपति संतश्री डा0 सुमनभाई, मानस भूषण, कुलपति तेज नारायण
कुशवाहा, प्रतिकुलपति डा0 सुभाष वधान, कुलसचिव डा0 देवेन्द्रनाथ साह, साहित्यिक पत्रिका
*कर्मनिष्ठा* के सम्पादक डा0 मोहन तिवारी आनंद द्वारा पधारे सभी साहित्यकारों
का सम्मान किया गया।
सम्मान समारोह में वयोवृद्ध साहित्यकार आचार्य भगवत दुबे को महाकवि से
अलंकृत किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार जबलपुर से गार्गी शरण मिश्र
मराल, साज़ जबलपुरी, अशोक पण्ड्या, राजकुमार सुमित्र, बरेली से डा0 राजीव श्रीवास्तव,
बल्लारी कर्नाटक से डा0 जयसिंह अलवरी, कोटा से डा0 रघुनाथ मिश्र, दौसा के डा0 सलिल, भोपाल से श्री
संतराम ‘संत’, डा0 मोहन आनंद तिवारी, झाँसी से सुश्री सागर, सुश्री साहिल आदि लगभग
65 से 70 साहित्यकारों को भारत गौरव, भारतीय भाषा रत्न, साहित्य शिरोमणि,
विद्यावाचस्पति आदि से सम्मानित किया गया। इस समारोह में मुख्य अतिथि जिला जज इंदोर थे। मंच पर कार्यक्रम का संचालन चंद्रदेव पाण्डेय ने किया।
कोटा के श्री गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ इस कार्यक्रम में नहीं जा पाये थे, किन्तु
उनके प्रतिनिधि के रूप में डा0 रघुनाथ मिश्र ने 'विद्या वाचस्पति' उपाधि प्राप्त की। डा0
मिश्र को भी इस सम्मान समारोह में 'भारतीय भाषा रत्न' से सम्मानित किया गया। पिछले
वर्ष श्री मिश्र को विद्यापीठ की तरफ से 'विद्यावाचस्पति' से सम्मानित किया गया
था। कोटा पहुँच कर श्री ‘आकुल’ को डा0 मिश्र ने अपने परिवार के मध्य मैडल, स्मृति
चिह्न और उपाधि दे कर बधाई दी। आकुल ने भी उनका हृदय से आभार व्यक्त किया।
आकुल को सम्मनित होने पर हार्दिक बधाई और उज्ज्वल भविश्य की अनंत मंगल कमनायेँ. अपने ब्लोग पर उक्त समाचार की उक्तियुक्त तरीके से प्रस्तुति हेतु साधुवाद व आभार.
जवाब देंहटाएंडा. रघुनाथ मिश्र्