बुधवार, 29 अगस्त 2012

'आकुल' के नये ब्‍लॉग 'सान्निध्‍य दर्पण' का शुभारंभ

कोटा। 'सान्निध्‍य', 'सान्निध्‍य सेतु', 'सान्निध्‍य स्रोत' ब्‍लॉग की शृंखला में 'सान्निध्‍य दर्पण' का शुभारम्‍भ 28 अगस्‍त 2012 से हो गया। अपने प्रिय कवियों की रचनाओं का संकलन, उनकी श्रेष्‍ठ रचनायें, गोष्‍ठी में उनकी शिरकत को यादों के झरोखे के रूप में प्रस्‍तुत करने के लिए ब्‍लॉग के प्रबंधक 'आकुल' ने इसकी उपयोगिता पर  प्रकाश डालते हुए कहा कि बहुत दिनों से कोशिश थी कि एक ऐसा ब्‍लॉग आरंभ करूँ जिसमें भिन्‍न भिन्‍न स्‍थानों के कवियों की रचनायें हों। ये रचनायें काव्‍य गोष्ठियों से ली गयी हों, अन्‍य ब्‍लॉग्‍स से आयात की गयी हों। रचनायें नई व पुरानी कुछ भी हो सकती हैं। उसे सुंदर स्‍वरूप में प्रदर्शित करने के लिए चित्र अवश्‍य उपलब्‍ध हों, ताकि सोने पर सुहागा। उन्‍होंने अपने अन्‍य ब्‍लॉग से इसकी उपादेयता पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि *सा‍न्निध्‍य* उनका स्‍वयं की रचनाओं का संकलन है। *सान्निध्‍य सेतु* साहित्‍य जगत् के साहित्‍य, सांस्‍कृतिक समाचारों का चिट्ठा है। *सान्निध्‍य स्रोत* दाक्षिणात्‍य वैल्‍लनाडु ब्राह्मणों की सजातीय गतिविधियों का अनियमित चिट्ठा है। अन्‍य रचनाकारों (अभी केवल कवियों) की साहित्यिक अभिरुचि विशेषकर काव्‍य सृजन को स्‍थान दे कर उनके लिए एक ब्‍लॉग मंच *सान्निध्‍य दर्पण* के रूप में आरंभ किया है। वैसे इस दिशा में कई ब्‍लॉग कार्य कर रहे हैं। मैं अपने ब्‍लॉग में रचनाओं के साथ कला पक्ष को भी प्रस्‍तुत करना चाहता हूँ, जिससे उनकी रचनायें, उनकी गतिविधियों को पाठक पढ़ सकें। अभी इसमें केवल उनकी कविता और उनसे जुड़े संस्‍मरणों से सम्‍बंधित चित्रों को प्रदर्शित करना ही योजना में हैं। उन्‍होंने कहा कि अन्‍य विधाओं के साथ विस्‍तृत विवरण का लेखा जोखा उनकी भावी योजनाओं में सम्मिलित है। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि प्रतिदिन एक न एक कवि को उनके इस ब्‍लॉग में स्‍थान मिले ऐसा प्रयास वे करेंगे। इस शृंखला में उन्‍होंने सबसे पहले 28-08-2012 को कोटा के वरिष्‍ठ जनकवि *श्री रघुनाथ मिश्र* को स्‍थान दिया है और आज स्‍थान पाया है कोटा के ही सूफ़ी शायर  *डा0 फ़रीद अहमद 'फ़रीदी'*। अंत में उन्‍होंने कहा कि काव्‍य की हर विधा को समर्पित यह उनकी वर्षों की अभिलाषा का मूर्त रूप है।-संवाददाता, सान्निध्‍य टीम.

शनिवार, 25 अगस्त 2012

साहित्‍यकार-5 में रघुनाथ मिश्र और ‘आकुल’

निरुपमा प्रकाशन मेरठ की ‘साहित्‍यकार’ प्रकाशन शृंखला की पाँचवी कड़ी में पाँच कवियों में कोटा के वरिष्‍ठ साहित्‍यकार और जनकवि विद्या वाचस्‍पति श्री रघुनाथ मिश्र और सम्‍पादक, कवि, साहित्‍यकार साहित्‍य शिरोमणि श्री गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’ को शामिल किया गया है। मुकेश ‘नादान’ सम्‍पादित 126 पृष्ठीय पुस्‍तक में श्री मिश्र और आकुल के अलावा तीन अन्‍य कवि कोटकला, बुलंदशहर के प्रख्‍यात लोक कवि श्री सरन ‘मधुकर, पुराण वर्णित प्रलय के बाद पुराण वर्णित सृष्टि की शुरुआत जहाँ से हुई वह वाराह अवतार की गंगा नदी के तट की भूमि शूकर  क्षेत्र के नाम से प्रख्‍यात सौरों निवासी श्री नीरज तिवारी ‘हउआ’ और बी0एच0ई0एल0 (भेल) में कार्यरत प्रख्‍यात कवि सुधीर कुमार 'चक्र' को सम्मिलित किया गया है।

इस पुस्‍तक में कवियों की अपनी प्रतिनिधि एवं सर्वश्रेष्‍ठ 10 से 15 रचनायें सम्मिलित की गयी हैं। जैसे श्री मिश्र की प्रतिनिधि कविता ‘कोयल की कूक मयूर की थिरक’, ‘मधुकर’ की ‘पहले खूब हँसा करता था, अब मैं केवल चुप रहता हूँ, चक्र की ‘चटकनी’ 'वसीयत' और ‘कवि की उम्र’, ‘हउआ’ की ‘रिश्‍ते’ और आकुल’ की ‘शिक्षा ऐसी हो’, दृष्टि दिवस, अनगिन दीप जले, कितने रावण मारे अब तक आद‍ि इसमें शामिल हैं। कवियों ने काव्‍य की सभी विधाओं में कलम चलाई है। मुक्‍तक, दोहे, देशभक्ति, शृंगार, लम्‍बी कवितायें, अतुकात्‍मक आदि विधाओं की गागर में सागर समाई इस पुस्‍तक में शोधग्रंथ के लिए प्रयोग में लिये जा सकने वाली सामग्री है। इसमें दर्शन है, व्‍यंग्‍य है, समसामयिक घटनाचक्र है, बेरोजगारी, भ्रष्‍टाचार पर आक्रोश है तो माँ और नारी की स्थिति का मार्मिक चित्रण है। त्रुटि रहित मुद्रण और श्री नादान की पैनी दृष्टि से सम्‍पदित यह पुस्‍तक हर वर्ग के पाठक को पठनीय है।   
इस प्रकाशन की कुछ विशेषतायें इस प्रकाशन की ही उपलब्धि मानी जायेगी। सुंदर कलेवर की हार्डबाइंडिग  लाइब्रेरी संस्‍करण इस पुस्‍तक पर पाँचों कवियों के मुखाकृति को प्रकाशित किया जाता है। व्‍यावसायिक दृष्टिकोण से बनाई गयी इस पुस्‍तक में आईएसबीएन क्रमांक भी दिया गया है। 250 रु0 मूल्‍य की यह पुस्‍तक श्री ‘नादान’ के निरुपमा प्रकाशन की यह पु‍स्‍तक मेरठ से प्रकाशित और बी0 के0 आफसेट, शाहदरा दिल्‍ली में मुद्रित है।

कोटा, 25-8-2012   

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

हिन्‍दी दिवस पर 14 सितम्‍बर को हाड़ौती के कवि 102 वर्षीय डा0 भ्रमर सम्‍मानित होंगे। सम्‍मान उन्‍हें उनकी सद्य: प्रकाशित पुस्‍तक 'भ्रमर उत्‍सव' पर


14 सितम्‍बर हिन्‍दी दिवस पर हाड़ौती के प्रख्‍यात कवि 102 वर्षीय डा0 भँवर लाल तिवारी ‘भ्रमर’ को पं0 ब्रज बहादुर पाण्‍डेय स्‍मृति सम्‍मान से  अलंकृत किया जायेगा। बहराइच उत्‍तर प्रदेश से स्‍व0 पंडित ब्रजहादुर पाण्‍डेय के पुत्र प्रख्‍यात ग़ज़लकार, कवि और साहित्‍यकार डा0 अशोक कुमार ‘गुलशन’ उन्‍हें भवानीमण्‍डी, जिला झालावाड़ (राजस्‍थान) उनके गृहनिवास पर शाल, प्रशस्ति पत्र और पत्र पुष्‍प प्रदान करेंगे। श्री तिवारी जी को उनकी सद्य: प्रकाशित पुस्‍तक ‘भ्रमर उत्‍सव’ पर यह सम्‍मान प्रदान किया जायेगा। श्री तिवारीजी हाड़ौती की झालावाड़ रियासतकाल के एक मात्र कवि हैं, जो आज भी अपनी साहित्यिक ऊर्जा के सहारे अपनी दैनंदिनी में संलग्‍न हैं। 
भ्रमर उत्‍सव’ डा0 तिवारी की चौथी पुस्‍तक है। यह उनके जीवन भर की सृजित शेष रचनाओं का संग्रह है। इन रचनाओं को हाड़ौती के ही जनकवि श्री गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’ ने सम्‍पदित किया है। डा0 भ्रमर हाड़ौती के ऐसे लाड़ले कवि हैं जो ब्रजभाषा में भी अधिकार के साथ रचना करते है। उनकी पुस्‍तक ‘भ्रमर उत्‍सव’ में गीत, ग़ज़ल, छन्‍द, कविताओं की बेहतरीन रचनाओं का समावेश है। 120 पृष्‍ठीय उनके काव्‍य संग्रह को कोटा की फ्रेण्‍ड्स हेल्‍पलाइन प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। पृथ्‍वी पुत्र सम्‍मान, काव्‍य महारथी सम्‍मानोपाधि, साहित्‍य श्री, मध्‍य प्रदेश हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन आदि द्वारा लगभग 21 पुरस्‍कारों और सम्‍मानोपाधियों से सम्‍मानित डा0 भ्रमर अब भवानीमण्‍डी में ही विश्राम कर रहे है। उनके द्वारा रचित अन्‍य तीन पुस्‍तकें हैं ‘ब्रजभाषा साहित्‍यकार दर्पण’, ‘अर्पण’ और ‘भँवर गुंजार’
कोटा-23-08-2012

बुधवार, 22 अगस्त 2012

'सान्निध्‍य' ब्‍लॉग ने 100 प्रविष्टियाँ पूरी कीं

जनवरी 2009 से आरंभ 'सान्निध्‍य' ब्‍लॉग ने भाईचारा बढ़े प्रविष्‍ट के साथ ही अपने 100 वीं प्रविष्टि का सफ़र पूरा कर लिया।  यह मेरे सृजन को समर्पित ब्‍लॉग है। इसे अभी और उन्‍नत बनाना है। मेरी प्रिय रचनाओं का यह चिट्ठा परिपूर्ण नहीं है। इस ब्‍लॉग को अभी लोगों तक पहुँचना है। लोग इसे पढ़ रहे हैं लेकिन टिप्‍पणी नहीं कर रहे। शायद कोई कमी है, मुझे शीघ्र ही उन्‍हें इससे ज्‍यादा से ज्‍यादा जोड़ने का प्रयास करना है। मेरी रचनाओं को लोगों ने काव्‍यगोष्ठियों में,  मित्रों ने, सराहा है और रचनायें कई ई-पत्रिकाओं अनुभूति-अभिव्‍यक्ति , व देश की अनेकों पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। रोज मैं ब्‍लॉग पर नहीं बैठ पाता। मैंने तय किया था कि 2013 तक अपनी 100 प्रविष्टियाँ पूरी कर लूँगा जो हालाँकि बहुत ही धीमी गति की प्रगति हैं, फि‍र भी मैं संतुष्‍ट हूँ । मैंने यह माइल स्‍टोन 4 ½  वर्ष में छुआ है। मेरी फीडजिट के आधार पर लग रहा है कि देश-विदेश के पाठक धीरे धीरे इस ब्‍लॉग पर भ्रमण कर रहे है। मेरी निम्‍न प्रविष्टियाँ काफी पाठकों द्वारा ब्‍लॉग पर भ्रमण कर पढ़ी गयी हैं-कब गरमी की रुत जाये, आज जो भी है वतन सावन जाने को है,यदा यदा हि धर्मस्‍य,मंगलमय हो स्‍वतंत्रता का स्‍वर्णिम पावन पर्वकितने रावण मारे अब तक  , प्रकाश पर्व  , गत एक वर्ष में राष्‍ट्रभाषा हिन्‍दी ने क्‍या खोया क्‍या पाया , गणेशाष्‍टक, मंगलमय हो स्‍वतंत्रता का शीघ्र ही मैं इसे उन्‍नत करने के प्रयास में लगा हूँ। मुझे पूरा विश्‍वास है कि नये वर्ष 2013 से ब्‍लॉग पर रोज कुछ नया प्रस्‍तुत कर सकूँ और ज्‍यादा से ज्‍यादा ब्‍लॉग पर नयी नयी सामग्री प्रस्‍तुत कर सकूँ, जिससे कि ब्‍लॉग को और अधिक पाठक मिलें। किमधिकम्।

सोमवार, 20 अगस्त 2012

भाईचारा बढ़े

सान्निध्य: भाईचारा बढ़े: भाईचारा बढ़े संग हम सब त्‍योहार मनायें। एक ही घर परिवार शहर के हैं सबको अपनायें। क्यूँ आतंक घृणा बर्बरता फैली गली-गली है। ...

बुधवार, 15 अगस्त 2012

आज जो भी है वतन

सान्निध्य: आज जो भी है वतन: 15 अगस्‍त 2012 पर सभी को नमन शुभकमानायें वंदे मात रम् इस पर्व पर हुतात्‍माओं को श्रद्धांजलि  जिनके अथक परिश्रम से मिली इस...