शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

स्‍वर कोकिला भारत रत्‍न लता मंगेशकर का आज 83 वाँ जन्‍मदिवस

लता मंगेशकर एक नाम, एक किंवदंती, एक हस्‍ती, मील का एक पत्‍थर, भारत का गौरव, भारत रत्‍न लताजी का बॉलिवुड नहीं,देश नहीं विश्‍व आज इस अजीमोशान शख्सियत का 83वाँ जन्‍म दिन मना रहा है। 28 सितम्‍बर 1929 को जन्‍मी लता का फि‍ल्‍मी गीतों का सफ़र 1942 से शुरु हुआ। 1948 से 1974 तक 25000 से अधिक 20 भारतीय भाषाओं में अपना स्‍वर देने वाली स्‍वर कोकिला लता दीदी के बारे में कुछ लिखना सूरज को दिया दिखाना होगा। 1974 से 1991 के दौरान सर्वाधिक रिकॉर्डिंग्‍स के लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज है। आज भी लता का गाया गीत ताजातरीन 2012 की फि‍ल्‍म 'हिरोइन' में 'क्‍यूँ यहाँ होता है' आप सुन सकते है। लता जी के बारे में इतना कुछ लिखा हुआ है कि एक दिन नहीं, सौ दिन नहीं, बरसों बरस पढ़ते रहें तो भी उनके बारे में नई नई बातें पढ़ने का सिलसिला चलता रहेगा। सादा जीवन और उच्‍च विचारों की लता के बारे में दूसरे कलाकारों के शोषण के भी अफसाने सुनने को मिले, लेकिन 'यूँही कोई सितारे नहीं तोड़ लाता, फ़लक के चाँद को भी उसने मनाया होगा'-  (आकुल) । लताजी को जन्‍मदिन की ढेरों बधाइयाँ।

रविवार, 23 सितंबर 2012

हाड़ौती के शतायुपार कवि डा0 भ्रमर को उनकी पुस्‍तक ‘भ्रमर उत्‍सव’ पर ‘पं0 ब्रज बहादुर पाण्‍डेय स्‍मृति सम्‍मान’ और ‘धरती रत्‍न' सम्‍मान

सम्‍मानित करते साहित्‍यकार बाये से दायें- हिमांशु बवंडर, डा0 नलिन, एहतेशाम अख्‍तर पाशा, शरद जायसवाल, डा0 रघुनाथ मिश्र, डा0 भ्रमर के पुत्र अवनीश तिवारी, डा0 अशोक गुलशन के पुत्र उत्‍कर्ष पाण्‍डेय और गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' 
जनकवि डा0 रघुनाथ मिश्र के घर सम्‍मान समारोह और काव्‍य गोष्‍ठी
पादपों को बरगदों से दूर रहने दीजिए । अंकुरों को चिलचिलाती धूप सहने दीजिए’-निर्मल पाण्‍डे
कोटा। रविवार 23-09-2012 को कोटा के वरिष्‍ठ साहित्‍यकार और जनकवि डा0 रघुनाथ मिश्र के तलवण्‍डी स्थित स्‍व निवास पर शहर के ख्‍यातनाम साहित्‍यकार,शायर इकट्ठे हुए। मौका था हाड़ौती के शतायुपार कवि डा0 भँवर लाल तिवारी ‘भ्रमर’ को दिये जाने वाले सम्‍मान और मिश्रजी के जन्‍म दिन का।
दोपहर 2 बजे आरंभ हुए इस कार्यक्रम में भवानीमंडी से सम्‍मान लेने पधारे डा0 भँवर लाल तिवारी ‘भ्रमर’ के पुत्र श्री अवनीश तिवारीजी, कटनी मध्‍य प्रदेश से पधारे प्रख्‍यात व्‍यवसायी और कवि शरद जायसवाल, उज्‍जैन के हास्‍य कवि हिमांशु ‘बवंडर’, शहर के वरिष्‍ठ शायर एहतेशाम अख्‍तर पाशा, वेद प्रकाश ‘परकाश’, युवा शायर फर्रूख नदीम, डा0 अशोक मेहता, डा0 निर्मल पाण्‍डे, डा0 नलिन, कवयित्री श्रीमती प्रमिला आर्य, कवि पुखराज, गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’ और डा0 मिश्र के परिवार से पु्त्र सौरभ मिश्र, पुत्रवधु उपासना मिश्र, प्रख्‍यात समाज सेविका क्षमा मिश्र, बाल कवियत्री पूर्वी मिश्र और प्रायोजित सम्‍मान के लिए पधारे उ0 प्र0 के डा0 अशोक ‘गुलशन’ के पुत्र उत्‍कर्ष पाण्‍डेय आदि।
कार्यक्रम के आरंभ में मुख्‍य अतिथि श्री अवनीश तिवारी,विशिष्‍ट अतिथि शरद जायसवाल और अध्‍यक्ष एहतेशाम अख्‍तर पाशा और डा0 मिश्र को मंचासीन किया गया।  सर्वप्रथम शायर एहतेशाम अख्‍तर पाशा, डा0 नलिन, डा0 निर्मल पाण्‍डे आदि पधारे सभी साहित्‍यकारों ने जनकवि डा0 रघुनाथ मिश्र के जन्‍मदिन पर उनको पुष्‍पहार पहना कर अभिनंदन किया। बाद में श्री मिश्र,‘आकुल’और उत्‍कर्ष पाण्‍डेय ने भवानी मंडी से पधारे मुख्‍य अतिथि को माल्‍यार्पण कर स्‍वागत किया। डा0 भ्रमर को सम्‍मानित किये जाने का यह कार्यक्रम भवानी मंडी में भ्रमर के स्‍व निवास पर किया जाना था, किंतु अपरिहार्य कारणों से उसे स्‍थगित करना पड़ा। डा0 भ्रमर को यह सम्‍मान उनकी सद्य: प्रकाशित पुस्‍तक ‘भ्रमर उत्‍सव’ पर बहराइच उत्‍तर प्रदेश के प्रख्‍यात शायर डा0 अशोक कुमार ‘गुलशन’ प्रायोजित था। उनके पिता पं0 बृज बहादुर पाण्‍डेय स्‍मृति सम्‍मान प्रतिवर्ष एक कवि को दिया जाता है। सम्‍मान में प्रशस्ति पत्र, शॉल, रु0 1100 पुष्‍प पत्र व स्‍मृति चिह्न दे कर कवि डा0 भ्रमर के प्रतिनिधि के रूप में पधारे उनके पुत्र अवनीश तिवारी को डा0गुलशन के पुत्र श्री उत्‍कर्ष पाण्‍डेय द्वारा सम्‍मानित किया गया। एक अन्‍य सम्‍मान ‘धरती रत्‍न’कजरा इंटरनेशनल फि‍ल्‍मस समिति, गोण्‍डा द्वारा प्रायोजित था, जिसे ‘आकुल’,डा0 मिश्र औश्र उत्‍कर्ष पाण्‍डेय द्वारा उन्‍हें दिया गया। सम्‍मान ग्रहण के बाद उन्‍होंने अपने पिता की कविता ‘हिन्‍द घोष’ पढ़ कर सुनाई-‘तुम पर माता का अतुल प्‍यार, तुम युवक हिंद के होनहार। आजादी कायम रखने का लो इन कंधो पर बोझ भार।‘
सम्‍मान से अभिभूत अवनीश तिवारी ने सर्व प्रथम श्री मिश्र को जन्‍म दिन की बधाई दी और पिता को सम्‍मानित किये जाने के इस सुअवसर को अविस्‍मरणीय बताया। उन्‍होंने संक्षेप में अपने पिता के बारे में बताया कि झालावाड़ रियासत के महाराव राजेन्‍द्र सिंहजी ‘सुधाकर’ के शासन काल से पोषित उनके साहित्‍य की शृंखला की चौथी पुस्‍तक ‘भ्रमर उत्‍सव’ पर उन्‍हें सम्‍पूर्ण भारतवर्ष से सैंकड़ों साहित्‍यकारों के अभिमत, आशीर्वाद, समीक्षायें, मिल रही है। पिता डा0 भ्रमर श्री ‘आकुल’ के सम्‍पादन में छपी इस पुस्‍तक से भावविभोर हैं और उनकी इस पुस्‍तक को मिल रही प्रतिक्रियाओं से नई ऊर्जा प्राप्‍त कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि 7 सितम्‍बर 2011 में जन्‍मे उनके पिता, 101 वर्ष पूरे कर अपनी दिनचर्या में संलग्‍न स्‍वास्‍थ्‍य लाभ ले रहे हैं। वे अब लंबा सफर करने में असमर्थ हैं। इसलिए अब निवास पर ही रहते और सबसे मिलते जुलते रहते है। उनकी पुस्‍तक को कोटा के फ्रेण्‍डस हेल्‍पलाइन प्रकाशन के बैनर तले श्री नरेंद्र कुमार चक्रवर्तीजी ने छापा और इसे बनाया व सम्‍पादन किया गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’ ने। उन्‍होंने दोनों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए अंत में कहा कि आज श्री मिश्र के जन्‍म दिन के सुअवसर पर यह सम्‍मान प्राप्‍त करने और बड़े बड़े साहित्‍यकारों से मिलने का जो सौभाग्‍य मिला वह अविस्‍मरणीय रहेगा।




इस अवसर पर काव्‍यगोष्‍ठी का आयोजन भी किया गया। अल्‍पाहर से पूर्व गोष्‍ठी का संचालन जनकवि ‘आकुल’ने और बाद में शायर फर्रूख नदीम ने किया। गोष्‍ठी का शुभारंभ पुखराज के देशभक्ति गीत ‘उन्‍नत भाल किया जिन्‍होंने उन शहीदों को अभिनन्दन’ से हुआ। गोष्‍ठी में वेद प्रकाश परकाश ने बुलंद आवाज़ में ग़जल सुनाई-‘प्‍यार का कुछ सिला दीजिए, मेरा दिल ही दुखा दीजिए। लड़खड़ाने लगे हैं कदम, अब तो अपना पता दीजिए’ और अपनी प्रतिनिधि ग़ज़ल ‘इक तेरा इशारा नहीं है, वर्ना क्‍या कुछ हमारा नहीं है, उसके हम वो हमारा नहीं है, जिसको वतन प्‍यारा नहीं है।' डा0 निर्मल पाण्‍डे ने अपनी हिंदी गजल सुना कर महफि‍ल को ऊँचाइयाँ प्रदान की- ‘पादपों को बरगदों से दूर रहने दीजिए, अंकुरों को चिलचिलाती धूप सहने दीजिए’ एहतेशाम अख्‍तर पाशा ने कुछ शेर और एक ग़ज़ल सुनाई-‘मन की पुस्‍तक में मैंने लिखा था,हाँ अभी तक वो नाम बाकी है। मार सकता नहीं मुझे रावण, जब तलक दिल में राम बाकी है।' दूसरे मुक्‍तक से उन्‍होंने दाद बटोरी-‘माहौल से हम लोग बगावत नहीं करते,मजलूम की हम लोग हिमायत नहीं करते,उन्‍होंने एक ग़ज़ल भी सुनाई-कहानी दर्द की मैं जिन्‍दगी से क्‍या कहता। ये दर्द उसने दिया है उसी से क्‍या कहता।' फर्रुख नदीम ने भी अपनी गजल से खूबसूरत दस्‍तक दी-‘पी लिया है सारा गम उसने समंदर की तरह, फि‍र भी जिन्‍दा है किसी मुर्दा सिकन्‍दर की तरह। आजकल है देश की सरकार जिनके हाथों में, झगड़ा करते हैं वो भी संसद में बन्‍दर की तरह। ‘आकुल’ने अपने मुक्‍तक से काव्‍य पाठ की शुरुआत की-‘हर ग़ज़ल मज्‍़मुआ मुझे दीवान लगता है,किताबों का हर सफ़्हा गीता कुरान लगता है। सुना है हर मुल्‍क में बसे हैं हिन्‍दुस्‍तानी, मुझे सारा संसार हिन्‍दुस्‍तान लगता है।‘सरकार पर कटाक्ष करते हुए अपने अगले मुक्‍तक में भी उन्‍होंनें दाद बटोरी-‘कुछ ऐसा करो उनकी शहादत खाली न जाये,हक़ की,रोटी की लड़ाई खाली न जाये। कोताही न बरतो सियासतदाँओं अब तो संज़ीदा बनो, छोड़ दो गद्दी अवाम जो सम्‍हाली न जाये। गोष्‍ठी में प्रमिला आर्य ने ‘भूल जा विगत को आज का सम्‍मान करके,बावरा मन है बीते दिन को याद करके,भूल जा अब उस विगत को आज का सम्‍मान करके सुनाई,अतिथि शायर बवंडर ने ‘हार पे हार सही है पर गम की कोई बात नहीं है, माना मुकद्दर भी जालिम है साथ नहीं है, मुझको डुबो सको लहरो तुम मे इतनी औक़ात नहीं है’ और शरद जायसवाल ने गीत होती है शाम जब भी दिल बैठने लगता है’। 
पधारे साहित्‍यकार बायें से- बृजेंद्र सिंह झाला पुखराज, फ़र्रूख़ नदीम, वेदप्रकाश परकाश, डा0 निर्मल पाण्‍डे, शरद जायसवाल, आकुल, प्रमिला आर्य, डा0 रघुनाथ मिश्र, एहतेशाम अख्‍तर पाशा, क्षमा मिश्रा, डा0 नलिन, डा0 अशोक मेहता और हिमांशु बवंडर
गोष्‍ठी में  डा0 नलिन, डा0 अशोक मेहता, उपासना मिश्रा, जनकवि डा0 मिश्रा ने भी काव्‍यपाठ किया। डा0 मिश्र के सुपुत्र सौरभ मिश्र ने अंत में सभी साहित्‍यकारों का आभार व्‍यक्‍त किया।

रविवार, 9 सितंबर 2012

भारतेंदु हरिश्‍चन्‍द्र जयन्ति महोत्‍सव में विभिन्‍न राज्‍यों के साहित्‍यकार सम्‍मानित

सम्‍मान समारोह में अध्‍यक्षता कर रहे जबलपुर के आचार्य श्री भगवत दुबे और 
मुख्‍य अतिथि आकाशवाणी दिल्‍ली के केंद्र निदेशक श्री लक्ष्‍मीशंकर वाजपेयी 
कोटा। 8-9 सितम्‍बर 2012 को दो दिवसीय भारतेंदु हरिश्‍चन्‍द्र जयन्ति महोत्‍सव का शुभारंभ 8 सितम्‍बर को अभिनंदन समारोह से आरंभ हुआ। शहर के माहेश्‍वरी भवन में आयोजित अभिनंदन समारोह में विभिन्‍न राज्‍यों से आये साहित्‍यकारों को पुष्‍पगुच्‍छ दे कर अभिनंदन किया गया। प्रेस कांफ्रेंस में पधारे साहित्‍यकारों ने अपने अपने विचार प्रकट किये और ऐसे साहित्यिक समारोहों की आवश्‍यकता पर जोर दिया। जबलपुर से पधारे वयोवृद्ध साहित्‍यकार आचार्य भगवत दुबे ने कहा कि हम उम्र की उस दहलीज पर खड़े हैं जहाँ हमें अब सम्‍मानों की आवश्‍यकता नहीं, हमे द्राक्षासव और च्‍यवनप्राश की आवश्‍यकता है, जिससे हम साहित्‍यकारों के बीच उठ बैठ सकें, जिससे एक नई ऊर्जा मिलती है। अहिन्‍दीभाषी क्षेत्र में हिन्‍दी के उन्‍नयन के लिए जुझारू हैदराबाद से पधारे वयोवृद्ध साहित्‍यकार नेहपाल सिंह और आचार्य रत्‍न कला मिश्रा ने दक्षिण में हिन्‍दी के विकास के लिए किये गये उनके कार्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि हैदराबाद में अनेकों राजस्‍थानी बसे हुए हैं, किन्‍तु आज शिक्षा के क्षेत्र में समानांतर अंग्रेजी भाषा के संस्‍थानों को खोलना उनकी मजबूरी है। अंतर्राष्‍ट्रीय पत्रिका गोलकोण्‍डा दर्पण और गीत चांदनी जैसी साहित्यिक संस्‍था हैदराबाद में हिंदी के लिए संघर्षरत है। दिल्‍ली से आये आकाशवाणी के केंद्र निदेशक श्री लक्ष्‍मी शंकर वाजपेयी भी अतिव्‍यस्‍ता के बावजूद कोटा में इस साहित्‍यकार समागम के अप्रतिम महोत्‍सव में शामिल होने का अहसास रोमांचित कर गया। उन्‍होंने कहा कि भारतेंदु हरिश्‍चंद्र का कोटा से कोटा से कोई सम्‍बंध नहीं था, फि‍र भी कोटा में वर्षों से उनके नाम से चली आ रही इस समर्थ संस्‍था भारतेंदु समिति वह कार्य कर रही है जो बड़ी बड़ी संस्‍थायें नहीं कर पा रही हैं। कोलकाता से पधारे हिंदी वांग्‍मय पीठ के
सम्‍मान प्रशस्‍ति पत्र, मोमेन्‍टो लिए पुष्‍पहार व शाल ओढ़े साहित्‍यकाऱ्
अध्‍यक्ष प्रोफेसर श्‍याम लाल उपाध्‍याय और साहित्‍य त्रिवेणी जैसी सशक्‍त पत्रिका के सम्‍पादक साहित्‍यकार श्री कुंवर सिंह मार्तण्‍ड ने भी यहाँ अपने विचार रखें और बांग्‍ला में साहित्‍य प्रेमी पाठकों की संख्‍या में हिंदी साहित्‍य के प्रति बढ़ रहे रुझान पर संतोष व्‍यक्‍त किया। गुवाहाटी आसाम से पधारे चंद्र प्रकाश पौद्दार ने साहित्‍यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए हमें ऐसे समारोहों में जा कर साहित्‍य को जीवंत रखने और उसे देश समाज और साहित्‍य से दूर भागते युवा पीढ़ी को साहित्‍य की आवश्‍यकता को समझाने की आवश्‍यकता फर बल दिया और कहा कि अहिंदी भाषी क्षेत्र में हिन्‍दी के उन्‍नयन से ही हम राजभाषा हिन्‍दी को राष्‍ट्रभाषा के रूप में सँजोये सपने को सच कर दिखायेंगे। अन्‍य राज्‍यों से पधारे साहित्‍यकारों ने भी अपने विचार व्‍यक्‍त किये। सभी ने आज देश में फैली विद्रूपता, महँगाई, भ्रष्‍टाचार पर अपने अपने तरीके से कुछ न कुछ कहा। सत्‍ता की बेशर्मी, संविधान के समानता के मौलकि अधिकारों पर आरक्षण की तलवार से कटाक्ष किया और देश में जातिवाद को बढ़ावे देने वाली वोट की राजनीति पर प्रहार किया। दिन दूनी रात चौगुनी सम्‍पत्ति के मालिक बनते जा रहे जनता के प्रतिनिधि नेताओं पर देश को कमज़ोर करने का जिम्‍मेदार ठहराया। जनता को गुमराह करने  के लिए प्रलोभनों और आश्‍वासनों की नींव पर देश को खोखला करने और गृह युद्ध जैसी बनती जा रही स्थाति के लिए साहित्‍यकारों की महती भूमिका के  लिए सभी को आह्वान किया। समारोह की अध्‍यक्षता कर रहे यूआईटी के अध्‍यक्ष रविन्‍द्र त्‍यागी ने पधारे सभी साहित्‍यकारों का अभिनंदन करते हुए कहा कि जो मशाल हिन्‍दी के विकास के लिए भारतेंदु ने जलाई है उसे बुझने नहीं दिया जाये, उसके लिए समिति जो कार्य कर रही है, उससे साहित्‍यकारों को ऐसे सम्‍मान समारोह आयोजित करने से एक नई दिशा,जोश और कुर कर गुजरने का मौका मिलता है। स्‍वल्‍पाहार के पश्‍चात् रात्रि को आठ बजे कवि सम्‍मेलन आरंभ हुआ।
समारोह में उपस्थित श्रोतागण साहित्‍यकार
समारोह में उपस्थित श्रोतागण साहित्‍यकार
अभिनंदन समारोह के बाद देर रात तक चले कवि सम्‍म्‍ेलन में सभी कवियों ने भ्रष्‍टाचार, समाज में फैली विद्रूपता, कन्‍या भ्रूण हत्‍या, सफाई व्‍यवस्‍था, आतंकवाद, आदि  देश की समसामयिक घटनाओं पर कवितायें कहीं व्‍यंग्‍य सुनाये । आचार्य भगवत दुबे ने 'विक्रम के कंधे लगा सत्‍ता का बेताल, प्रश्‍न मछलियाँ हो गये उत्‍तर हुए घड़ियाल', इंजन को चला रहा जिनके तन का तेल, चल कर उनके पेट पर दिल्‍ली जाती रेल'सुना कर सत्‍ता पर कटाक्ष किया। नई दिल्‍ली की टी-वी-आर्टिस्‍ट एंकर कलाकार साहित्‍यकार ममता किरण ने बेटियों पर होने वाले जुर्म पर  'एक निर्णय भी नहीं मेरे हाथ में, कोख मेरी है, लेकिन बचा लूँ तुझे' कन्‍या भ्रूण हत्‍या पर रचना सुनाई, ।
दूसरे दिन 9 सितम्‍बर को सायं पाँच बजे शहर के बीचों बीच भारतेंदु समिति के वातानु‍कूलित हॉल में सैंकड़ों साहित्‍यकारों के बीच श्री भारतेन्‍दु हरिश्‍चन्‍द्र के 162वें जन्‍मतिथि पर आयोजित भारतेंदु हरिश्‍चन्‍द्र जयन्ति महोत्‍सव  में आमंत्रित साहित्‍यकारों को विभिन्‍न सम्‍मानों से नवाज़ा गया। साहित्‍यश्री, स्‍वरसुधा श्री,आचार्य हनुमान प्रसाद सक्‍सैना स्‍मृति सम्‍मान 2012 से कोटा नगर के साहित्‍यकारों सहित कोलकाता, दिल्‍ली, आसाम, आगरा, कानपुर, जबलपुर आदि से पधारे साहित्‍यकारों को सम्‍मानित किया गया। सर्वप्रथम कोटा में

स्‍वर सुधाश्री कोटा की सुश्री रेखा राव को
हनुमान प्रसाद सक्‍सैना स्‍मृति सम्‍मान 
हैदराबाद के श्री नेहपाल वर्मा को 

भारतेंदु समिति के स्‍थापक की स्‍मृति में दिये जाने वाले हनुमान प्रसाद सक्‍सैना स्‍मृति सम्‍मान-2012 हैदराबाद के श्री नेहपाल वर्मा को  दे कर सम्‍मानित किया गया। इसके पश्‍चात् संगीत के क्षेत्र में नाम रोशन करने वाली एक नारी प्रतिभा को दिये जाने वाले पुरस्‍कार व सम्‍मान 'स्‍वर सुधाश्री' के लिए इस बार टी-वी- सीरियल 'बालिका वधु' के लिए टाइटल गीत 'छोटी सी उमर परणाई बाबो सा' और प्रख्‍यात मांड गीत 'केसरिया बालम आओ रे , पधारे म्‍हारे देस' एवं हाल ही आरंभ हुए सीरियल रामायण में भी रवींद्र जैन के साथ रामायण की चौपाइयाँ गाने वाली एवं सैंकड़ों राजस्‍थानी लोक गीतों के एलबम जिनके निकले हैं, कोटा की ही मशहूर  गायिका 'सुश्री रेखा राव' को इस साल का यह सम्‍मान दिया गया। शेष सभी साहित्‍यकारों को 'साहित्‍यकार श्री' सेसम्‍मानित किया गया। सम्‍मान में पुष्‍प माला पहना कर प्रशस्ति पत्र,श्रीफल, शॉल और भारतेंदु हरिश्‍चंद्र के चित्र वाला मोमेंटो भेंट दिया गया। समारोह में आगरा के रामवीर शर्मा, कोटा के हितेश व्‍यास, कोटा के श्री प्रकाश नारायण मिश्र, हैदराबाद से ही आचार्य रत्‍नकला मिश्रा, गौहाटी असम से श्री चंद्रप्रकाश पौद्दार, दिल्‍ली से श्री लक्ष्‍मी शंकर वाजपेयी, कोटा के श्री भगवत सिंह जादौन मयंक, अटरूँ बारां, राजस्‍थान के श्री गोपाल नामेंद्र,जयपुर अवध विषादी,नई दिल्‍ली से श्रीमती ममता किरण, आगरा से  डा0 रुचि चतुर्वेदी,  नई दिल्‍ली से श्री आमेद कुमार, कोलकाता से कुंवर वीर सिंह मार्तण्‍ड, प्रोफेसर श्‍याम लाल उपाध्‍याय, जबलपुर से आचार्य भागवत दुबे आदि को सम्‍मानित किया गया।

बुधवार, 5 सितंबर 2012

सान्निध्य: शिक्षक

सान्निध्य: शिक्षक:   जो शिक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते हैं। जो दीक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते है। दिशा दिखाये, दे दृष्‍टांत, आगाह करे,...

सोमवार, 3 सितंबर 2012

सान्निध्‍य का Favicon जारी

ब्‍लॉग 'सान्निध्‍य' ने अपना Favicon जारी किया है। यह लोगो 'सान्निध्‍य' के सभी ब्‍लॉग 'सान्निध्‍य', 'सान्निध्‍य सेतु', 'सान्निध्‍य दर्पण', 'सान्निध्‍य स्रोत' सब की लिंक पर दिखाई देगा। 'आकुल' ने बताया कि फेवआइकन ब्‍लॉग की एक पहचान है। विश्‍व के ब्‍लॉगर लोगोस  में उसे शामिल किया जाता है।- सान्निध्‍य टीम