रविवार, 23 दिसंबर 2012

सनसनी के दो पहलू और आप

'दिल्‍ली को शर्मसार करती घटना और सचिन का एक दिवसीय क्रिकेट से संन्‍यास' आपके लिए कितना उपयोगी?-आकुल
      सप्‍ताह की दो सनसनीखेज खबरें, जिनसे आम आदमी पर सीधा असर दिखाई दिया। 18 दिसम्‍बर को दिल्‍ली में बस में मेडिकल छात्रा के साथ दुर्दान्‍त मानवों द्वारा सामूहिक बलात्‍कार की घटना और आज क्रिकेट के महामानव सचिन द्वारा एक दिवसीय क्रिकेट से संन्‍यास की घोषणा। यूँ  तो गुजरात में मोदी की जीत, भारत रत्‍न पंडित रविशंकर के निधन पर भी चर्चायें हुईं, किंतु दिल्‍ली की घटना और सचिन की अचानक घोषणा का प्रभाव ज्‍यादा दिखाई दिया। एक मानव की घिनौनी मानसिकता को उजागर कर गयी, दूसरी घटना चौंका गई। देश में फैले आक्रोश से सारे देश का ध्‍यान राजधानी की शर्मनाक घटना पर केंद्रित था। मीडिया द्वारा दिल्‍ली की घटना को बढ़चढ़ कर दिखाने से खुद की गिरफ्त में फँसे हुए शायद दूसरी घटना पर ध्‍यान आकर्षित कराने से घाव पर मरहम की तरह सचिन के संन्‍यास की घटना ने थोड़ा सा ध्‍यान आम आदमी का भटकाया। शायद इससे आक्रोश में थोड़ी राहत मिले और मीडिया भी चैन की साँस ले। मैं ही नहीं दिल्‍ली की घटना से पूरा देश आहत है। इसकी भर्त्‍सना तो होनी ही चाहिए। 
सचिन तेंदुलकर 
     ईश्‍वर द्वारा सबसे बुद्धिमान बनाये गये मनुष्‍य से ऐसा हो गया जो पशु भी नहीं करते। इसलिए इसे पाशविक तो नहीं ही कहा जायेगा। महामानव की तरह क्रिकेट में पूजे जाने वाले सचिन पर दिन पर दिन संन्‍यास के लिए बढ़ते जा रहे दबाव चलते सचिन द्वारा लिये गये इस निर्णय, एक दिवसीय क्रिकेट में संन्‍यास की घटना ने आम क्रिकेट प्रेमी को चौंका दिया। उसने यह तो नहीं चाहा था कि सचिन ऐसा और ऐसे समय पर निर्णय ले जब भारतीय क्रिकेट की चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्‍तान क्रिकेट टीम भारत आ रही है और टेस्‍ट क्रिकेट में जूझ रही टीम इंडिया और इंग्‍लेंड की नयी एक दिवसीय  टीम से खिताब नहीं बचा पाई टीम इंडिया बुरे दौर से गुज़र रही है।
दिल्‍ली की घटना ऐसी है, जिसका शब्‍दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। करना पड़े तो सभी शब्‍द भावनाशून्‍य और नाटकीय लगेंगे। अब मनुष्‍य के मनुष्‍य के प्रति लंबे समय तक मधुर सम्‍बन्‍धों के बारे में सोचने के लिए विवश करने का आग्रह करती है, यह घटना। उधर सचिन ने देश के लिए, भारतीय क्रिकेट के लिए कितना भी किया हो, लोग हमेशा किसी से यह चाहें कि वह जादुई कारनामे दिखाता रहे, नहीं तो वह अयोग्‍य है, तो कितना ठीक है? तुरत-फुरत में लिया गया निर्णय हो या सोच समझ कर लिया गया निर्णय पर हो गया, एक दिवसीय क्रिकेट में अपना लोहा मनवाने वाले सचिन का बल्‍ला अब मौन हो गया।

वैसे तो अपनों से तो प्रताड़ित होता ही रहता है व्‍यक्ति, अब अजनबी से भी सौहार्दपूर्ण वातावरण की कैसे आशा करेंगे हम? कौन किस वेश में आपसे क्‍या उम्‍मीद लगाये बैठा है? कैसे जानेंगे हम? क्‍या हम संवेदनहीन हो जायें? क्‍या हमारे सांस्‍कृतिक मूल्‍यों का अवमूल्‍यन होने लगा है? नारी ही क्‍यों, ऐसे किसी भी कृत्‍य जिसकी मनुष्‍य से कल्‍पना करना भी सोच से परे हो्, ऐसे अत्‍याचारों से हम क्‍या दर्शाना चाहते हैं? यह आक्रोश किसके लिए है, किसको हम क्‍या कहना क्‍या बताना चाहते है? यह कोई वैज्ञानिक फतांसी फि‍ल्‍म की घटना नहीं है, कि उँगली कटने या घाव लगने से उँगली वापिस आ जाती है या घाव क्षणों में भर जाता है। यह पुलिस का भी नहीं, राजनेताओं का भी नहीं, कानूनविज्ञों का भी नहीं, यह काम हमें स्‍वयं को सोच कर उस पर अमल करने का है, कि हम कैसा समाज, कैसा राज्‍य, कैसा देश चाहते है? सांस्‍कृतिक मूल्‍यों का ग्राफ, जो कम से कमतर होता जा रहा है, उसे ऊँचा उठाना है, तो हमें जागरूक होना होगा। हमें नैतिक शिक्षा, आत्‍मरक्षा के लिए सब कुछ कर गुजरने के लिए कमर कसनी होगी। पौराणिक अनुमानों पर दृष्टि डालें, तो कलयुग का यह प्रथम चरण है, आगे इससे भी बदतर होना है, तो फि‍र हर वक्‍त दिमाग चैतन्‍य रखने की आदत डालनी होगी। सिंहावलोकन करते रहने की आदत डालनी होगी। अब स्‍वतंत्रता की कसौटी पर खरा उतरना होगा हम सब को।
लंदन के तुसाद संग्रलाय में मोम के सचिन 
उधर टीम इंडिया को भी अपनी साख बचाने, फि‍र ऊँचा उठने के लिए कुछ ऐसा ही करना होगा। आज नहीं तो कल सचिन को जाना ही था और सचिन जैसे सभी दिग्‍गजों को जाना ही होगा। अंग्रेजों की बिल्‍कुल नये खिलाड़ियों से सजी टी-20 टीम से भारतीय क्रिकेटरों, अधिकारियों को ऐसा ही कुछ करना और सीखना होगा। आज सचिन गये हैं, तो कल सहवाग, धोनी, हरभजन सिंह, ज़हीर को जाना ही होगा।
पुलिस पर अनचाहा दबाव और खेल में राजनीति दोनों ही देश के सांस्‍कृतिक वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं, जिसका प्रतिरोध आम आदमी आक्रोश बता कर, रैलियाँ निकाल कर, आंदोलन करके ही तो कर सकता है? इसे विदेशी ताकतें किस रूप में लेती हैं? आर्थिक जगत् पर इसके क्‍या प्रभाव होंगे? राजनैतिक हलकों में इसे कैसे परिवर्तन की दृष्टि से देखा जा रहा होगा? समय बतायेगा। वैसे वर्तमान सरकार पर दो मार तो जबर्दस्‍त पड़ी है। पहली गुजरात में मोदी की जीत उसका वर्चस्‍व, आम आदमी में ऐसे नेता की चाहत और दूसरी दिल्‍ली की मर्मान्‍तक घटना।
कौनसे परिवर्तन का सूचक है यह। माया कैलेण्‍डर तो समाप्‍त हो गया किंतु थोड़ा सा संकेत तो दे ही गया। संक्रांति समीप ही है, देखे सूरज का घोड़ा कौनसी तरफ भागता है? सनसनी के इन दोनों पहलुओं पर आप भी गौर करें और आत्‍ममंथन करें कि आप कितने सुरक्षित है? आपकी प्रतिष्‍ठा भी एक न एक दिन संन्‍यास लेगी। आपकी युवापीढ़ी को आप क्‍या संदेश देना चाहेंगे?

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

डा0 मिश्र को भारतीय भाषा रत्‍न सम्‍मान और 'आकुल' को विद्या वाचस्‍पति की उपाधि

कोटा। 14 दिसम्‍बर को मौनतीर्थ उज्‍जैन में हुए विक्रमशिला विद्यापीठ के साहित्‍य सम्‍मान समारोह में सैंकड़ों को साहित्‍यकारों, रचनाकारों को सम्‍मानित किया गया। हर वर्ष की भाँति इस बार भी पावन शिप्रा नदी के तट पर बसा मौन तीर्थ उज्‍जैन 13 और 14 दिसम्‍बर 2012 को साहित्‍य रस में डूबा रहा। विक्रमशिला विद्यापीठ गांधीनगर, भागलपुर बिहार के वार्षिक सम्‍मान समारोह में अखिल भारतीय साहित्‍यकारों का सम्‍मान किया गया। 13 दिसम्‍बर को सांगठनिक चर्चा और 14 को साहित्‍य सम्‍मान समारोह आयोजित हुआ।
मंचासीन कुलाधिपति संतश्री डा0 सुमनभाई, मानस भूषण, कुलपति तेज नारायण कुशवाहा, प्रतिकुलपति डा0 सुभाष वधान, कुलसचिव डा0 देवेन्‍द्रनाथ साह, साहित्यिक पत्रिका *कर्मनिष्‍ठा* के सम्‍पादक डा0 मोहन तिवारी आनंद द्वारा पधारे सभी साहित्‍यकारों का सम्‍मान किया गया।
सम्‍मान समारोह में वयोवृद्ध साहित्‍यकार आचार्य भगवत दुबे को महाकवि से अलंकृत किया गया। कार्यक्रम में वरिष्‍ठ साहित्‍यकार जबलपुर से गार्गी शरण मिश्र मराल, साज़ जबलपुरी, अशोक पण्‍ड्या, राजकुमार सुमित्र, बरेली से डा0 राजीव श्रीवास्‍तव, बल्‍लारी कर्नाटक से डा0 जयसिंह अलवरी, कोटा से डा0 रघुनाथ मिश्र, दौसा के डा0 सलिल, भोपाल से श्री संतराम ‘संत’, डा0 मोहन आनंद तिवारी, झाँसी से सुश्री सागर, सुश्री साहिल आदि लगभग 65 से 70 साहित्‍यकारों को भारत गौरव, भारतीय भाषा रत्‍न, साहित्‍य शिरोमणि, विद्यावाचस्‍पति आदि से सम्‍मानित किया गया। इस समारोह में मुख्‍य अतिथि जिला जज इंदोर थे। मंच पर कार्यक्रम का संचालन चंद्रदेव पाण्‍डेय ने किया।  
कोटा के श्री गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’ इस कार्यक्रम में नहीं जा पाये थे, किन्‍तु उनके प्रतिनिधि के रूप में डा0 रघुनाथ मिश्र ने 'विद्या वाचस्‍पति' उपाधि प्राप्‍त की।  डा0 मिश्र को भी इस सम्‍मान समारोह में 'भारतीय भाषा रत्‍न' से सम्‍मानित किया गया। पिछले वर्ष श्री मिश्र को विद्यापीठ की तरफ से 'विद्यावाचस्‍पति' से सम्‍मानित किया गया था। कोटा पहुँच कर श्री ‘आकुल’ को डा0 मिश्र ने  अपने परिवार के मध्‍य मैडल, स्‍मृति चिह्न और उपाधि दे कर बधाई दी। आकुल ने भी उनका हृदय से आभार व्‍यक्‍त किया।

बुधवार, 19 दिसंबर 2012

नवगीत की पाठशाला: ९. समय का पहिया चलता जाये

नवगीत की पाठशाला: ९. समय का पहिया चलता जाये: जीवन का संगीत सुनाये समय का पहिया चलता जाये उल्लासों से भरे हुए मन कुछ करने को उत्साहित मन उच्छवासों को कोने कर, कुछ पाने को हैं विचलि...

रविवार, 18 नवंबर 2012

जलेस राज्‍य परिषद् की बैठक जयपुर में सम्‍पन्‍न


कोटा।  जनवादी लेखक संघ, राजस्थान राज्य परिषद् की बैठक 11/11/12 को पूर्वान्ह 11 बजे, बी-4, एम0एल0ए0  क्वाटर्स , जयपुर में संपन्न हुई।  कोटा के वरिष्ट साहित्यकार, जलेस जिलाध्यक्क्ष , राज्य कमेंटी व् केन्द्रीय परिषद् सदस्य, जन कवि  डा रघुनाथ मिश्र ( जो राजस्थान राज्य कमिटी की और से कोटा  संभाग के प्रभारी भी हैं )  ने उक्त बैठक में भाग लेकर लौटने पर प्रेस के लिए जारी एक विज्ञप्ति में बताया की उक्त बैठक विजेंद्र  की अध्यक्षता  और राज्य सचिव राजेन्द्र  साईवाल  के सञ्चालन में संपन्न हुई।  मुख्य अतिथि थे संघ के राष्ट्रीय महासचिव डा चंचल चौहान।

डा मिश्र  ने बताया की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण  निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए, जिसके अनुसार संघ का मुखपत्र  'एक और अंतरीप'  त्रैमासिक  पुनः शुरू की जाय अथवा  प्रख्यात साहित्यकार विजेंद्र द्वारा  लम्बे समय से स्वयं  के सम्पादन में प्रकाशित  त्रैमासिक पत्रिका ' कृति ओर'  जलेस के मुखपत्र के रूप में भी चलाये जाने की  पेशकश  भी बैठक में विजेंद्र ने की।  सर्वसम्मति से दोनों में से  एक को मुखपत्र के रूप में प्रभावी  तरीके से प्रकाशित किये जाने के निर्णय के साथ ही  सहकारी आधार पर पुस्तक प्रकाशन की  श्रृंखला भी शुरू करने का सर्वसम्मत निर्णय लिया गया। प्रकाशनों  में स्थापित- प्रतिष्ठित -सर्वज्ञात साहित्यकारों के साथ साथ जलेस से जुड़े रूचि रखने वाले अन्य व् नवोदित साहित्यकारों को भी स्थान देकर प्रोत्साहित किया जाना तय किया गया। राज्य की सभी जिला व निचली इकाइयों  को सक्रिय करने पर विशेष बल दिया गया।

जिला सम्मलेन व तदुपरांत राज्य सम्मलेन यथाशीघ्र किये जाने सहित राज्य भर में जलेस को अनेक गतिविधियों के जरिये सक्रीय करने, नए लेखकों को संगठन  से जोड़ने, अल्पसंख्यक, राजस्थानी, महिला लेखकों को अधिकाधिक प्रोत्साहन देने के प्रभावी तरीके अपनाए जाने व पूरे वर्ष 2013 का कार्यक्रम कैलेण्डर भी बनाया जाना निर्णीत हुआ। प्रेम चद, सफ़दर हाशमी, नागार्जुन, निराला, हरीश भादानी, जमना प्रसाद ठाड़ा 'राही', विपिन मणि   सहित प्रख्यात दिवंगत  साहित्यकारों के जन्मदिवस पर बड़े-छोटे, जो संभव हो, आयोजन  किये जाने का सर्वसम्मत प्रस्ताव लिया  गया।
डा0 चंचल चौहाचौहान ने पूरे देश  में जलेस गतिविधियों पर विस्तृत प्रकाश डाला। संगठन का, राज्य के लिए ब्लॉग चलाये जाने का सर्वसम्मत निर्णय लिया गया, जिसकी जिम्मेदारी राघवेन्द्र रावत ने ली।
प्रस्‍तुति - गोपाल कृष्ण भट्ट' आकुल'

शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

परियावाँ में 31 वाँ राष्‍ट्रस्‍तरीय भाषाई एकता सम्‍मेलन और सम्‍मान समारोह सम्‍पन्‍न

राजस्‍थान से एक मात्र प्रतिनिधि डा. रघुनाथ मिश्र भी सम्‍मानित 
     परियावाँ 4 नवम्‍बर । साहित्यिक  सांस्‍कृतिक कला संगम  अकादमी , परियावाँ, प्रताप गढ के 31 वेँ अधिवेशन में आयोजित ' राष्‍ट्र स्तरीय भाषाई एकता सम्मेलन  और सहित्यकार सम्मान समारोह में हमेशा की तरह इस बार भी 10 राज्योँ से उत्साहजनक संख्या में सहित्यकारों-कलाकारों-पत्रकारों-समाजसेवियों की उपस्थिति प्रेरक रही. 50-60 विद्वानों को इस मौके पर विभिन्न मानद व  सम्मानोपाधियोँ  से अलँक्रित किया गया. अकादमी  के साथ पिछले वर्ष की भाँति इस वर्श भी 5 अन्य संस्थायें- तारिका विचार मंच, प्रयाग, इलाहाबद, भारतीय वांग्मय पीठ, कोलकाता, साहित्य त्रिवेणी पत्रिका, कोलकाता,  स्वर्ग विभा, मुम्बई  और श्री रामसुन्दर धनपति देवी फाउण्‍डेशन, उन्नाव भी शामिल रहीं और सभी संस्थाओं ने चयनित विद्वानों को प्रतीक चिह्न, सम्मान पत्र, शाल और पुस्तकें देकर सम्मनित किया.
परियावाँ सम्‍मानित होते डा0 रघुनाथ मिश्र 
      सम्मेलन व सम्मान समारोह की अध्‍यक्षता अकादमी और भारतीय वांग्मय पीठ, कोलकाता के  अध्‍यक्ष प्रो.श्याम लाल उपाध्याय ने की और साहित्य त्रिवेणी पत्रिका, कोलकाता के प्रधान सम्‍पादक  डा. कुँवर  वीर सिंह मार्तण्‍ड ने समारोह का सफल संचालन किया. लगभग 15 विद्वानों ने विषय पर अपने उद्गार में हिन्दी को राष्‍ट्र भाषा का दर्जा दिये जाने सहित भारत में बोली और समझी जाने वाली सभी राष्‍ट्र स्तरीय भाषाओं की व्यापक व प्रभावी एकता पर खास जोर दिया. उससे पूर्व सभी प्रतिभागी संस्था प्रधानों  ने अपनी-अपनी संस्थाओँ के बारे में सदन को जानकरी दी. स्वर्गविभा  और श्री राम सुन्दर धनपति देवी फाउण्‍डेशन पहली बार शामिल हुई थीं और दोनों ही संस्थाओँ ने साहित्यकरों-समाजसेवियों-साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओँ और किसी भी प्रकार से जरूरतमन्द साहित्यकारों-विद्वानों-कलाकारों का, जानकारी  होने पर हर प्रकार से सहयोग  करने की घोषणा की. इन दोनों संस्थाओँ के अध्यक्ष वी.पी. वर्मा( स्वर्गविभा) और वीरेन्द्र शुक्ल (श्री राम सुन्दर धनपति देवी) भी मंचासीन थे. इसी तरह अकादमी और भारतीय वांग्‍मय पीठ के अध्यक्ष प्रो. श्याम लाल उपाध्याय, सचिव वृन्‍दावन त्रिपाठी 'रत्‍नेश', तारिका विचार मंच के अध्यक्ष भगवान प्रसाद उपाध्याय और साहित्य त्रिवेणी के प्रधान सम्पादक डा. कुँवर वीर सिंह मार्तण्‍ड भी अन्य अतिथियों सहित मंचासीन थे.
      डा. रघुनाथ मिश्र राजस्थान से मात्र प्रतिनिधि थे और अपने उद्गार में विषय को सारगर्भित बन कर प्रशंसा अर्जित की. डा. मिश्र को अकादमी ने मानद उपाधि 'विवेकानन्द सम्मान',  तारिका विचार मंच ने उत्‍कृ ष्‍ट हिन्दी सेवी सारस्वत सम्‍मानोपाधि, भारतीय वांग्‍मय पीठ ने 'पण्डित कामता प्रसाद गुरु सारस्वत साहित्य सम्मनोपाधि' और साहित्य त्रिवेणी ने त्रिवेणी साहित्य सम्मानोपाधि से अलंकृत किया.
      चार-चार सम्मानों से अलंकृत होकर लौटे मिश्र ने जब यह जानकारी दी तो उनके प्रशंसकों, मित्रों, परिजनों सहित कोटा के सहित्याकारों व देश भर से सैकड़ों साहित्यकारों से बधाइयों का अनवरत सिलसिला जारी है. उक्त समारोह 4 नवंबर 2012 को आयोजित किया गया था. समारोह में प्रतिभागी विद्वानों ने आपस में पुस्तकों का आदान-प्रदान किया और वहाँ मिले सद्भावनाओं और भाईचारे से अभिभूत डा. मिश्र ने कोटा के साहित्यकारों और साहित्यिक संस्थाओं में आपसी ताल-मेल और भाईचारा सदैव बनाये रखने पर जोर दिया है.

सोमवार, 12 नवंबर 2012

सान्निध्य: घर घर दीप जलाइये


सान्निध्य: घर घर दीप जलाइये: -दोहे- लाये घर दीपावली, सुख समृद्धि उजास। कृपा करे लक्ष्‍मी सदा, भरा रहे आवास।।1।। लक्ष्‍मी पूजन कीजिए, सुख वैभव घर आय। ...

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

Kavita Sansar ( Hindi / Urdu Poetry collection ): मेरे देश में हर दिन त्‍योहार


Kavita Sansar ( Hindi / Urdu Poetry collection ): मेरे देश में हर दिन त्‍योहार: मेरे देश में हर दि‍न त्योहार । दि‍न दूना और रात चौगुना बढ़ता जाये प्यार। मेरे देश में हर दि‍न त्योहार। महक उठा मन सौंधी खुशबू जो लाई पुरवाई...

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

स्‍वास्‍थ्‍य को समर्पित संस्‍थान 'फ्रेण्‍ड़स हेल्‍थलाइन' का शुभारंभ। हेल्थलाइन की पुस्‍तक और कैलेण्‍डर का भी विमोचन।

कोटा। पिछले दिनों शहर के प्रख्‍यात तीर्थ स्‍थल गोदावरी धाम पर फ्रेण्‍ड्स हेल्‍थलाइन का शुभारम्‍भ हुआ। स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जाग्रति के लिए आरंभ किया गया यह प्रकल्‍प दृष्टिकोण पत्रिका से ख्‍याति प्राप्‍त मित्रों की संस्‍था फ्रेण्‍ड़स हेल्‍पलाइन के एक पूर्व प्रकल्‍प 'प्रतिरक्षण चेतना मंच' का बदला हुआ नाम है। इस अवसर पर फ्रेण्‍ड्स हेल्‍थलाइन, फ्रेण्ड्स हेल्‍पलाइन के सदस्‍य एवं अन्‍य अतिथियों ने सपरिवार सम्मिलित हो कर कार्यक्रम को सार्थक बनाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्‍य अतिथियों को मंच पर आमंत्रित कर किया गया। सर्वप्रथम अतिथियों ने गणेश प्रतिमा को माल्‍यार्पण एवं दीप प्रज्‍ज्‍वलन किया। तत्‍पश्‍चात् विशिष्‍ट अतिथियों को प्रकल्‍प के संचालक श्री कृष्‍ण गोपाल गुप्‍ता एवं फ्रेण्‍ड्स हेल्‍पलाइन के मानद सचिव एवं प्रबंध सम्‍पादक श्री नरेंद्र कुमार चक्रवती एवं अन्‍य सदस्‍यों द्वारा माल्‍यार्पण कर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम के विशिष्‍ट अतिथि अधीक्षण अभियंता (सी0ए0डी0) से सेवानिवृत्‍त श्री जगदीश कुमारजी गुप्‍ता एवं सिस्‍टम एवं सोफ्टवेयर इंजीनियर व चित्‍तौड़ प्रान्‍त के सेवा भारती के मंत्री श्री राधेश्‍यामजी शर्मा थे।
 

प्रकल्‍प व हेल्‍पलाइन के संस्‍थापक सदस्‍यों श्री रमेश बिरला, श्री अशोक पाठक आदि ने भी अतिथियों को माल्‍यार्पण कर अभिनंदन किया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में हेल्‍थलाइन के संचालक, मानद प्रभारी श्री के0जी0 गुप्‍ता ने अपने प्रकल्‍प का संक्षिप्‍त परिचय दिया। उन्‍होंने बताया कि यह प्रकल्‍प आरोग्‍य के लिए समर्पित संस्‍थान है। उन्‍होंने इसके मूल मंत्र 'स्‍वस्‍थस्‍य स्‍वास्‍थ्‍य रक्षणम्' पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति स्‍वास्‍थ्‍य की रक्षा करे। इस अवसर पर और अधिक प्रकाश डालने के लिए हेल्‍थलाइन द्वारा विकसित एवं प्रकाशित ‘हमारा स्‍वास्‍थ्‍य हमारे हाथ’ पुस्‍तक का विमोचन  मंचासीन अतिथियों व अन्‍य संस्‍था के पदाधिकारियों द्वारा किया गया और पुस्‍तक उपस्थित सभी व्‍यक्तियों को वितरित की गयी। इस अवसर पर स्‍वास्‍थ्‍य चेतना के लिए विकसित किये गये एक कैलेण्‍डर का भी अतिथिगण एवं श्री चक्रवर्ती के करकमलों द्वारा विमोचन किया गया।
फ्रेण्‍ड़स हेल्‍थ लाइन के संचालक श्री के0 जी0 गुप्‍ता ने हेल्‍थलाइन की उपयोगिता और उसके कार्यक्रमों के बारे में विस्‍तार से बताया। उन्‍होंने न्‍यूनतम स्‍वास्‍थ्‍य रक्षा कार्यक्रम के लिए समय समय पर आयोजन के लिए हेल्‍थ लाइन के ज्‍यादा से ज्‍यादा सदस्‍य बनने के लिए आग्रह किया और कहा कि आज प्रदूषित वातावरण से जूझने के लिए हम स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति चैतन्‍य तो बनें ही साथ ही थोड़ा सा समय इस कार्यक्रम के माध्‍यम से नियमित व्‍ययाम और योगादि में संलग्‍न रह कर प्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ायें। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता कर रहे श्री राधेश्‍यामजी शर्मा ने इसे राष्‍ट्रीय कार्यक्रम का एक अंग बताया। उन्‍होंने कहा कि सरकार स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा के लिए अरबों खरबों रुपये खर्च करती है, किंतु रोग के निदान के अलावा बहुत कम हैं जो रोग के आक्रमण से पूर्व स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जागरूक रहते है। फ्रेण्‍ड़स हेल्‍थलाइन से ज्‍यादा से ज्‍यादा जुड़ कर ओर जोड़ कर इसका लाभ उठायें। विशिष्‍ट अतिथि श्री जगदीश कुमार गुप्‍ताजी ने भी इसकी अपरिहार्यता पर बल दिया और कहा कि आज के प्रदूषित और जहरीले वातावरण के लिए स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति स्‍वाभाविक रूप से ध्‍यान दिया जाना अत्‍यावश्‍यक है, ताकि हमारी और हमारे परिवार की रोग से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता का विकास हो। इस कार्यक्रम में सभी ने अपने अपने अनुभव उपस्थित लोगों को बाँटे। संक्षिप्‍त कार्यक्रम में योग के प्रख्‍यात आसन 'सूर्य नमस्‍कार' पर श्री के0 जी0 गुप्‍ता ने विशेष आग्रह करते हुए कहा कि शरीर के समस्‍त अंगों के व्‍यायाम के लिए सूर्य नमस्‍कार सर्वाधिक प्रभावी है,इसे बच्‍चे, बड़े बूढ़े सभी आसानी से कर सकते है। कैलेण्‍डर प्रमुख रूप से सूर्यनमस्‍कार पर ही केंद्रित है। इससे कई प्रकार के रोगों का स्‍वत: निदान होता है।
परम्‍परानुसार अतिथियों को हाड़ौती के हिंदी और संस्‍कृत के वरिष्‍ठ साहित्‍यकार गदाधर भट्ट की पुस्‍तक ‘पुष्टिमार्ग एवं वल्‍लभाचार्य का परिचय, हाड़ौती के शतायुपार कवि भँवर लाल गुप्‍ता ‘भमर’ की गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’ सम्‍पादित पुस्‍तक ‘भ्रमर उत्‍सव’, प्रख्‍यात ग़ज़लकार डा0 नलिन की पुस्‍तक ‘चाँद निकलता तो होगा’ और फ्रेण्‍ड्स हेल्‍पलाइन, कोटा की अखिल भारतीय स्‍तर पर चर्चित पुस्तिका ‘दृष्टिकोण’ का ताजा ग़ज़ल विशेषांक भेंट किया गया।
कार्यक्रम में श्री जगदीश प्रसाद गुप्‍ता, श्री रमेश बिरला, श्री अशोक पाठक, श्री के0जी0गुप्‍ता, , श्री आर0 सी0 आर्य, एम0जी0 सप्रे, श्री बसंत कुमार बरुआ, श्री अतुल कुमार खन्‍ना, श्री हरीश चंचलानी, श्री त्रिलोक चंद शर्मा, श्री अंकुर गुप्‍ता, श्री पंकज धामाणी और श्री चैतन्‍य खण्‍डेलवाल सपत्‍नीक पधारे। अन्‍य परिजनों में सुश्री वंदना गुप्‍ता, श्रीमती सुलोचना परिहार, सुश्री सरिता शोभनानी, श्री भास्‍कर दाधीच, डा0 नलिन, श्री मधुसूदन गुप्‍ता, श्री वी0 डी0 गुप्‍ता,  श्री जी0 के0 गुप्‍ता, श्री बजरंग लाल, श्री देवीशंकर, श्री एच0 सी0 जोशी, श्री रामप्रकाश पारीक, श्री नरेंद्र कुमार चक्रवर्ती, और श्री ‘आकुल’ ने भी भाग लिया। छायांकन श्री चक्रवर्ती और ‘आकुल’ ने किया।
अंत में फ्रेण्‍डस हेल्‍पलाइन के संस्‍थापक एवं संरक्षक सदस्‍य श्री रमेश चंद्र बिरला ने पधारे सभी अतिथियों, सदस्‍यों व परिवारजनों का आभार व्‍य‍क्‍त किया। विचार विमर्श और स्‍वरुचि भोज के पश्‍चात् कार्यक्रम का समापन हुआ।

समाचार kggfriendshealthline@gmail.com (श्री के0 जी0 गुप्‍ता, फ्रेण्‍डस हेल्‍थलाइन, कोटा) द्वारा प्रेषित

रविवार, 14 अक्तूबर 2012

फेसबुक मैत्री सम्‍मेलन भरतपुर में आयोजित

दिल्ली से हम सब साथ साथ हैं पत्रिका के संपादक किशोर श्रीवास्तव एवं श्रीमती शशि श्रीवास्तव जी और बयाना से श्री अशोक खत्री जी के मार्गदर्शन में इस प्रोग्राम का आयोजन संभव हुआ| 29 सितम्बर ........ मै और नरेश 29 सितम्बर को मथुरा में गोकुल धाम के दर्शन कर भरतपुर लगभग दोपहर 4.30 बजे पहुंचे| 29 सितम्बर की सुबह से कई फेसबुक मित्रगण वहाँ आने शुरू हो गये थे जिनमे सबसे पहले पहुँचने वाले थे उज्जैन से संदीप सृजन( शब्द प्रवाहके संपादक) और उनके बाद लेखक /कवि डाक्टर ए.कीर्तिवर्धन (मुज़फ्फरनगर), प्रसिद्द व्यंग्यकार सुभाष चन्द्र (दिल्ली ),गज़लकार ओमप्रकाश यति (नॉएडा ), डाक्टर सुधाकर आशावादी ,कवि अतुल जैन सुराना और गाफ़िल स्वामी (अलीगढ ) भी अपना घरपहुंचे |..दिल्ली से आने वाले मित्रों में किशोर श्रीवास्तव ,शशि श्रीवास्तव के साथ संगीता शर्मा (बच्चों सहित ),ऋचा मिश्रा (दैनिक जागरण,नॉएडा ) पूनम तुशामड , सुषमा भंडारी और मानव मेहता (हरियाणा से) आये| झाँसी से नवीन शुक्ला जी और भीलवाडा, भरतपुर, बाड़मेर तथा फतहपुर सीकरी से भी कई मित्र इसमें रात तक शामिल हो गये थे| ‘अपना घर से जुड़े हुए अशोक खत्री जी और अपना घर के संस्थापक डाक्टर दम्पति माधुरी जी एवं बी ऍम भारद्वाज जी के सफल निर्देशन में सभी आमंत्रित मेहमानों के रहने ,खाने पीने का बंदोबस्त किया गया था | 5 बजे पंजीकरण और परिचय सत्र में सबने अपना-२ परिचय दे कर दो-दिवसीय आयोजन की शुरुआत की| चाय पीकर सभी अपना घरसंस्था के भ्रमण के लिए अशोक खत्री जी के साथ निकले जहाँ जिंदगी के वीभत्स किन्तु मार्मिक रूप से रु-ब-रु हुए| बातचीत के दौरान मानसिक रूप से परेशान बालिकाओं ,महिलाओं और वृद्धो से उनके हालात के बारे में पता चला कि कैसे जिंदगी ने और उनके अपनों ने ही उन्हें छला था | ‘अपना घरसंस्था इन अजनबी, अनजान, मुसीबतों से ग्रस्त हर आयु के लोगो को रहने, खाने-पीने और उपचार तथा व्यवसाय की सुविधायें प्रदान कर सामाजिक कार्यों में बेहतरीन योगदान कर रही है| दिल्ली से आये प्रख्यात पत्रकार एवं कवि श्री सुरेश नीरव जी के शब्दों में अपना घरआना एक तीर्थ यात्रा के समान है | अपना घर भ्रमण के बाद एक विचार गोष्ठी आयोजित की गयी जिसका विषय थामैत्री भाईचारे के प्रचार प्रसार व साहित्यिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक सन्दर्भ में फेसबुक की उपयोगिता”| उदघोषणा किशोर श्रीवास्तव जी ने की और श्री सुभाष चन्द्र जी की अध्यक्षता में लगभग सभी सदस्यों ने ( सर्वश्री कीर्तिवर्धन , पूनम तुशामड , सुधाकर आशावादी , शशि श्रीवास्तव ,गाफिल स्वामी , सुषमा भंडारी , ऋचा मिश्रा , अशोक खत्री , पूनम माटिया और रघुनाथ मिश्र जी ने अपने विचार रखे और सबने लगभग यही बात कही कि फेसबुक एक उपयोगी माध्यम साबित हो रहा है इस सन्दर्भ में | अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में सुभाष जी ने कहा फेसबुक तब अपनी बुलंदियों को पाता है जब उस से सरोकार जुड़े’ | अतुल जैन सुराना ने धन्यवाद ज्ञापन दिया | रात्रि भोज के बाद गीत संगीत की महफ़िल जमी जिसमे किशोर जी ने ढोलक की थाप पर भजन और गीत प्रस्तुत किये तथा मिमिक्री से सबका मन मोह लिया |नवीन शुक्ला जी ने अपने मीठी बांसुरी की तान से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया | पूनम तुशामड , संगीता शर्मा , सुषमा भंडारी सभी ने अपने-२ स्टाइल में गीत सुनाये | सुभाष चन्द्र , ऋचा मिश्रा और कई मित्रों ने गज़ल सुनाकर महफ़िल में समा बाँधा |गाफ़िल जी ने माँ को समर्पित अपनी रचना बड़े जोर शोर से सुनाई | ढोलक की थाप ,ढपली और मजीरे की झंकार के साथ एक लोक गीत पर पूनम माटिया यानि मैने नृत्य भी किया | 30 सितम्बर कचोडी-आलू, जलेबी और पोहे के नाश्ते के साथ सबने किशोर श्रीवास्तव कृत खरी-खरीकार्टून प्रदर्शनी का भी लुत्फ़ उठाया | उस समय तक कई और फेसबुक मित्र भरतपुर पधार चुके थे जिनमे पुरुस्कृत अरविन्द पथिक’, हेमलता वशिष्ठ, कृष्ण कान्त मधुर, पूनम त्यागी (दिल्ली)और अजय अज्ञात (फरीदाबाद) दिल्ली से प्रमुख हैं | प्रख्यात कवि सुरेश नीरव जी , प्रसिद्द गज़लकार साज़ देहलवी , डॉ रेखा व्यास (दिल्ली दूरदर्शन) , कवि रघुनाथ मिश्र (राजस्थान) इस आयोजन में शामिल हुए | ‘अपना घरकी ओर से आयोजित फतेहपुर सिकरी भ्रमण का लाभ 25-30 लोगो ने उठाया और तेज धूप के बावजूद सभी ने सलीम चिश्ती दरगाह और बुलंद दरवाजे का अवलोकन किया साथ ही खूब खरीदारी भी की | दोपहर के भोजन के उपरांत कवि सम्मलेन आयोजित किया गया जिसका सञ्चालन किशोर श्रीवास्तव और अरविन्द पथिकने किया |इस कवि सम्मलेन की अध्क्षता श्री सुरेश नीरव जी ने की और मंच पर उनका साथ दिया गज़लकार साज़ देहलवी जी, रघुनाथ मिश्र जी और डॉ रेखा व्यास जी तथा भारद्वाज जी और माँ माधुरी जी ने | इन महान विभूतियों के कर-कमलों द्वारा हम साथ-साथ हैपत्रिका द्वारा आयोजित मैत्री सम्मान श्री सुरेश नीरव जी को और श्रीमती पूनम माटिया को दिया गया | उसके उपरान्त विभिन्न कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया जिसको श्रोतायो ने बड़े मन लगाकर सुना और समय-२ तालियों से उनका हौसला वर्धन किया | इस दौरान सुषमा भंडारी जी का काव्य संग्रहअक्सर ऐसा भीका विमोचन भी किया | कविता पाठ और ग़ज़ल गायकी का क्रम मुझसे यानि पूनम माटिया से आरंभ हुआ और उसके बाद संदीप सृजन , अतुल जय सुराना ,दीक्षित जी, अजयअज्ञात’ ,पूनम तुशामद ,सुषमा भंडारी, संगीता शर्मा, ऋचा मिश्रा ,किशोर श्रीवास्तव , कृष्ण कान्त मधुर , ओम प्रकाश यति, गाफ़िल स्वामी, अशोक खत्री जी और अरविन्दपथिकजी कि जोश से भरी गायकी तक चला | अंत में रघुनाथ मिश्र जी और साज़ देहलवी जी , रेखा व्यास जी और श्री सुरेश नीरवजी ने अपनी भावनात्मक गज़लों से सबका मन मोह लिया | किशोर श्रीवास्तव जी ने धन्यवाद ज्ञापन देकर इस आयोजन की समाप्ति की घोषणा की | कार्यक्रम के अंत में अपना घरके संस्थापक डॉ भारद्वाज दंपत्ति ने प्रतीक चिन्ह देकर आये हुए सभी मित्रों को सम्मानित किया | विदा के पल अपना घरके वासियों के लिए और हमारे लिए काफी भावुक थे उनकी निगाहें पूछ रही थी फिर कब मिलने आओगे .... 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