बुधवार, 28 सितंबर 2011

शक्ति की अधि‍ष्‍ठात्री देवी माँ दुर्गा

आश्विन शुक्ल दशमी मास के शुक्ल पक्ष के शुरुआती नौ दि‍न भारतीय संस्कृति‍ में नवरात्र के नाम से शक्ति‍ की पूजा के लि‍ए नि‍र्धारि‍त है
इन दि‍नों शक्ति ‍की अधि‍ष्ठात्री देवी माता दुर्गा की आराधना, उपासना व अर्चना की जाती है। 1- शैलपुत्री 2- ब्रह्मचारि‍णी 3-चंद्रघंटा 4-कूष्मादण्डा 5-स्कन्दमाता 6- कात्यायनी 7- कालरात्रि‍ 8- महागौरी 9- सि‍द्धि‍दात्री। ये नौ रूप दुर्गा के ही अन्य प्रतीक हैं, जो शक्‍ति‍ ‍ के सशक्त संबल हैं। दुर्गा का अर्थ ही है-दुर्गम, कठि‍नता से प्राप्ति के योग्य शक्ति‍।
दुर्गा के आठ हाथों में से सात हाथों में शक्ति के प्रतीक चि‍ह्न हैं। शंख, चक्र, गदा, पद्म, त्रि‍शूल, खड्.ग व धनुषबाण। आठवाँ हाथ ऊँ से अंकि‍त खाली व आशीर्वाद का प्रतीक है। आशीर्वाद भी स्वयं एक महाशक्ति है, जो प्रेरि‍का व नि‍र्माण करने वाली है। योग दर्शन में आठ प्रकार की सि‍द्धि‍याँ, शक्तियाँ मानी गईं हैं- अणि‍मा, गरि‍मा, लघि‍मा, महि‍मा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशि‍त्व, एवं वशि‍त्व। ये सब अनादि‍,अनंत व अखण्ड स्वरूपा, आदि‍ति‍नमि‍का माता दुर्गा के ही प्रति‍रूप हैं।
इस शक्ति‍‍ स्वरूपा माता की हुंकार को वैदि‍क ऋचाओं में भी सुना जा सकता है। ‘वागाम्भृतणी सूक्तं (ऋग्वेद) के आठ मंत्र दुर्गा माँ के नि‍खि‍ल स्वरूप व समस्त शक्तियों के प्रति‍नि‍धि‍ रूप है। ब्रह्मा,वि‍ष्णु व महेश, जो जगत् के क्रमश: नि‍र्माता, पालयि‍ता व संहर्ता के रूप में जाने जाते हैं- इन सब देवताओं की शक्ति को माता दुर्गा ने अपने हाथों में समेट रखा है। ब्रह्मा के चारों अस्त्र-शस्त्र, शंख-चक्र, गदा-पद्म, दुर्गा के नि‍यंत्रण में हैं।
शंख- शंख प्रतीक है स्फूर्ति‍ एवं चेतना का। शंखनाद युवाओं में प्राण फूँक देता है। कुरुक्षेत्र के समरांगण में भी सभी ने अपने शंखों को फूँका था। ‘शंख दध्मौ प्रतापवान्।‘ (गीता) श्रीकृष्‍ण का पांचजन्य‍ समाज के (पाँचों जनों)(पाँच पाण्डखवों) को जागरूक करता था।
चक्र- चक्र काल व गति‍ का प्रतीक है। केन्द्र बि‍न्दु व केन्द्र के चारों ओर की परि‍धि‍ के माध्यम से सम्पूर्ण जगत् व ब्रह्माण्ड का प्रति‍नि‍धि‍ रूप है चक्र। अखण्ड कराल ‘काल’ जो सबको पीछे छोड़ जाता है, महाशक्तिज का रूप है।
गदा- गदा को त्रोटक, प्रस्फोटक, भंजक व वि‍ध्वं‍सकारी माना गया है, अत: यह शक्ति भी महामाया में ही नि‍हि‍त है।
त्रि‍शूल व धुनष- त्रि‍शूल व धनुष, पि‍नाकपाणि‍, त्रि‍शूलधारी शि‍व के अस्त्र हैं। त्रि‍नेत्र भगवान् शि‍व को त्रि‍शूल त्रि‍लोक के तीनों दु:खों का संहारक है। रुद्र शि‍व के लि‍ए, दुर्गा धनुष की डोर खींच लेती हैं- ‘अहं रुद्राय धनुरातनोमि‍’ (ऋग्वेद) के इस मंत्र की छाया में दुर्गा के स्वरूप को देखा जा सकता है, जि‍सके बि‍ना शि‍व शव के रूप में परि‍णत है। यजुर्वेद का रुद्राध्यामय भी रुद्र की महि‍मा का द्योतक है।
पद्म- पद्म यानि‍ कमल खि‍लता हुआ सौंदर्य है। वि‍ध्वंस के पश्चात् सुंदरतम नि‍र्माण का यह प्रतीक है। यह शक्ति‍माँ दुर्गा में ही नि‍हि‍त है।
खड्.ग- यानि‍ तलवार भी तुरंत वार का प्रतीक है। राक्षसों के झुंडों के मुंडों का कर्तक होने के कारण यह दुर्गा माता के हाथ की शोभा व शृंगार है। अष्टभुजाधारि‍णी, राक्षसमर्दि‍नी, आशीर्वाददात्री, माता दुर्गा सिंहासना है, यानि‍ सिंह पर आसीन है। सिंह पशुराज है। मानवेतर प्राणि‍यों की भी वे कर्त्री-धर्त्री हैं। इस तथ्य को इससे दर्शाया गया है- समग्रत: वि‍वि‍ध अस्त्र-शस्त्रों के माध्यम से दुर्गा माता का जो शक्ति ‍स्वरूप उभारा गया है, वह अप्रति‍म व अनुपम है।
नवरात्र में दुर्गा पूजा के माध्य‍म से वस्तुत: शक्ति‍ का ध्यान कि‍या जाता है, क्योंकि‍ ‘शक्तिर्यस्त्र वि‍राजते से बलवान् स्थू‍लेषू क: प्रत्यय:’ अर्थात् जो व्यक्‍ति‍‍ शक्तित‍मान् है, वही बलवान् व वि‍जयवान् है।
(नवरात्र उपासना, फ्रेण्‍ड्स हेल्‍पलाइन, कोटा के प्रकाशन से साभार)

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

धड़कते समाचार

हि‍न्‍दी साहि‍त्‍य सम्‍मेलन प्रयाग के नाथद्वारा अधि‍वेशन से लौट कर हि‍न्‍दी दि‍वस पर कुछ लि‍खने वाला था पर,धड़कते दि‍ल से सवेरे का अखबार पढ़ा और हि‍न्‍दी की हि‍न्‍दी हो गयी। पेट्रोल की कीमत फि‍र बढ़ गयीं। हाल ही में मई में ही तो बढ़ाये थे दाम। राजस्‍थान में यह लगभग रु0 70-92 प्रति‍ लीटर के आसपास बि‍केगा। पि‍छले 14 माह में 10वीं बार बढ़े हैं ये दाम। बड़े लोगों की तो नींद भी नहीं टूटेगी,पर मध्‍यम वर्ग की नींद हवा हो जायेगी। भले ही कर्मचारि‍यों का महँगाई भत्‍ता 7फीसदी बढ़ा दि‍या गया है,पर आगे त्‍योहार आ रहे हैं,अब त्‍योहारों तक तो बस एक ही आस है बोनस की। अब गैस पर भी राजनीति‍ चल रही है। उधर सभी तरह के लोन महँगे हो रहे हैं। महँगाई बढ़ रही है,पर मंत्रि‍यों की सम्‍पत्‍ति‍याँ कैसे बढ़ रही हैं!!!! 2009 में शहरी वि‍कास मंत्रालय के कमलनाथ की सम्‍पत्‍ति‍ 14 करोड़ से आज 41 करोड़ तक जा पहुँची है,भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्‍ल पटेल की सम्‍पत्‍ति‍ लगभग 80 करोड़ से आज 122करोड़ तक पहुँच गई है और सबसे जयादा आश्‍चर्य कि‍ डीएमके के एस जगतरक्षकण की लगभग 6 करोड़ से 80 करोड़ तक पहुँच गयी। कैसे कमा लेते हैं ये लोग,नेतागि‍री में क्‍या वास्‍तव में ऐसा सम्‍भव है!!!!क्‍या इनके पास कोई अलादीन का चि‍राग़ है!!!!भरतपुर के गोपाल गढ़ में वक्‍फ़ भूमि‍ वि‍वाद में,कोटा जि‍ले के मोड़क कस्‍बे में देव वि‍मान पर हमला, साम्‍प्रदायि‍क सद्भाव को फि‍र चोट पहुँची। लूट अपहरण हत्‍याओं की घटना बदस्‍तूर जारी हैं। अन्‍ना के आन्‍दोलन का प्रभाव दि‍खाई नहीं दे रहा। इन धड़कते समाचारों से आपको नहीं लगता कि‍ दि‍ल के मरीज़ों की संख्‍या में इजाफ़ा होने के आसार सौ फीसदी हैं !!!!चलि‍ए कुछ खेल की बातें करें। टीम इंडि‍या अपना सा मुँह ले कर खाली हाथ लौटने वाली है, अभी भी उसे एक जीत की आशा है--- पर नहीं लगता--- कुछ चोटि‍ल खि‍लाड़ी मुँह छि‍पा कर भारत लौट ही आये हैं, ओर सचि‍न शतकों के शतक से चूक गये---मैं समझता हूँ---,नहीं उनके प्रशंसकों में भी सुगबुगाहट है कि‍ अब सचि‍न को संन्‍यास ले लेना चाहि‍ए, यही सही समय है---मि‍0 रि‍लायबल ने सही नि‍र्णय लि‍या है, इस टीम इंडि‍या के दौरे से हॉकी इंडि‍या को जरूर थोड़ी राहत मि‍ली होगी--उनके साथ अवश्‍य ही सौतेला व्‍यवहार हो रहा है। चलि‍ए अब हिन्‍दी की थोड़ी बात कर लें। पि‍छले दि‍नों एक इमेज डाउनलोड की तो सि‍र फि‍र गया। आप भी देखें। कैसे होगा हि‍न्‍दी का सम्‍मान। हि‍न्‍दी भी सही नहीं लि‍ख सकते और पूरे वि‍श्‍व में इसका प्रचार प्रसार हो रहा है और वह भी भारत के मानचि‍त्र पर!!!! क्‍या संदेश जायेगा वि‍श्‍व में इस चि‍त्र से !!!!!! पि‍छले दि‍नों एक शीर्षस्‍थ अखबार दैनि‍क भास्‍कर ने हि‍न्‍दी दि‍वस पर एक वि‍शि‍ष्‍ट परि‍शि‍ष्‍ट नि‍काला और उसकी कीमत रख दी पाँच रुपये और उस पर तुर्रा कि‍ उसकी प्रति‍ बुक करवायें!!! ये है उनका हि‍न्‍दी प्रेम यानि‍ हि‍न्‍दी पर भी व्‍यापार। 60प्रति‍शत से अधि‍क बड़े बड़े वि‍ज्ञापनों को झेलते हैं पाठक इस अखबार में और शेष में लूट,हत्‍या,बलात्‍कार,दुर्घटनाओं और नेताओं की नोक-झोंक व छींटाकशी से अटे पड़े रहते हैं,साहि‍त्‍य तो सि‍र्फ ढूँढ़ने से ही मि‍लता है और वह भी डायबि‍टीज़ के बीमार की मीठे की चाहत की कशि‍श सा। इस अखबार के सप्‍ताह में कई संस्‍करण नि‍कलते हैं वो भी मुफ़्त,तो क्‍या हिंदी दि‍वस पर यह वि‍शेष अंक मुफ्त घर-घर नहीं पहुँच सकता था?हि‍न्‍दी की इतनी भी सेवा वह नहीं कर सकता था!!! सबसे बड़ा अखबार कहने का दम्‍भ भरता है वह,हिंदी दि‍वस पर वह यदि‍ इसे अपने सभी हिंदी-अहि‍न्‍दी क्षेत्रों के समाचार पत्रों के साथ मुफ़्त बाँटता तो एक दि‍न के लि‍ए वह कह सकता था कि‍ दुनि‍या में सबसे ज्‍यादा हिंदी पढ़ने वाला अखबार बना भास्‍कर।चलि‍ए आज के लि‍ए इतना ही सही,फि‍र कुछ धड़कते समाचार लि‍खेंगे और आप पढ़ेंगे।

सोमवार, 12 सितंबर 2011

DHARMMARG: वर्ष भर की एकादशियां, Ekdashi Fasts And Ekadashi D...

DHARMMARG: वर्ष भर की एकादशियां, Ekdashi Fasts And Ekadashi D...: BHAGWAN VISHNU (VISHVARUP) हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास य...

DIL ka RAJ: Hindi positions and plight

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सान्निध्य: गत एक वर्ष में राष्ट्रूभाषा हिंदी ने क्या खोया क्य...

सान्निध्य: गत एक वर्ष में राष्ट्रूभाषा हिंदी ने क्या खोया क्य...: 14 सि‍तम्‍बर हि‍न्‍दी दि‍वस है। आइये उस दि‍न को कुछ खास अंदाज़ में मनायें। संकल्‍प लें। हि‍न्‍दी की एक कवि‍ता लि‍खें, एक वाक्‍य लि‍खें, बच्...

रविवार, 11 सितंबर 2011

वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर दर्दनाक हादसे को दस वर्ष पूरे हुए

महाशक्‍ति‍ अमेरि‍का पर तीन बड़े हमलों ने आतंकि‍यों के हौसले बुलंद कर दि‍ये और पूरा वि‍श्‍व आज आतंकवाद की चपेट में है। जनहानि‍ से देश की व्‍यवस्‍थाओं को धक्‍का पहुँचता है। सारी योजनायें धरी की धरी रह जाती हैं। दस वर्ष बीत गये पर उसके ज़ख्‍़म अभी भी हरे हैं। 2982 मौत हुईं इस हादसे में जि‍समें 3051 बच्‍चों ने अपने माता-पि‍ता खोये हैं। आज वि‍श्‍व में सबसे जयादा ध्‍यान सुरक्षा पर दि‍या जा रहा है। हमारा इति‍हास बर्बर घटनाओं का साक्षी रहा है। चाहे वह सोमनाथ को लूटने की बार बार कोशि‍श हो अथवा वर्तमान में अक्षरधाम पर हमला हो, संसद पर हमला हो या अफ़गानि‍स्‍तान पर सैन्‍य कार्यवाही, ओसामा का अंत हो या पाकि‍स्‍तान को आतंकवादि‍यों की पनाहगाह कहें, पर हमला तो देशों की संस्‍कृति‍ पर है, जि‍न्‍हें सहेज कर रखा जाना एक चुनौती बन गया है। वर्ल्‍ड ट्रेड सेन्‍टर जो आज ग्राउण्‍ड ज़ीरो है, जि‍स पर दफन हुए एक इति‍हास को नई 104 मंजि‍ला इमारत बन कर अमेरि‍का क्‍या संदेश देना चाहता है ? यह अमेरि‍का की सबसे बड़ी इमारत होगी। क्‍यों कि‍या अमेरि‍का ने ? क्‍या आवश्‍यकता थी इस इमारत की ? 11 अरब डॉलर की इस परि‍योजना के स्‍थान पर इस राशि‍ से सोमालि‍या को हरा भरा और खुशहाल कि‍या जा सकता है!!! एक नया देश बनाया जा सकता है!!! हरि‍त क्रांति‍ लायी जा सकती है!!! पर्यावरण पर काम कि‍या जा सकता है!!! आतंकवाद को खत्‍म करने के लि‍ए संयुक्‍त राष्‍ट्र स्‍तर पर एक नयी सर्वाधुनि‍क खुफि‍या एजेंसी स्‍थापि‍त की जा सकती है, जि‍सकी शाखायें वि‍श्‍व के सभी संवेदनशील देशों में हों, पर इस इमारत को बना कर अमेरि‍का क्‍या दर्शाना चाहता है, और वह भी तब जब वह स्‍वयं आर्थिक मंदी के दौर से ग़ुज़र रहा है।
ख़ैर, आइये शहीद हुए उन लोगों को स्‍मरण करें जि‍न्‍होंने वि‍श्‍व को फि‍र इक दि‍शा दी है, जीने की, कुछ कर गुज़रने की, पि‍छला भूल जाने की, जागरूक बनने की, बच्‍चों को भवि‍ष्‍य के लि‍ए एक सबक़ देने की, दादी नानी को किंवदंती बनी इन घटनाओं की कहानी अपने पोते पोति‍यों से कहने के लि‍ए। अपने हृदय पर हाथ रख कर एक संकल्‍प लेने की कि‍ हम कि‍तने जागरूक हैं ऐसी कि‍सी भी घटना के लि‍ए या हम प्रशासनि‍क व्‍यवस्‍था पर ही नि‍र्भर रहेंगे !!!‍

गुरुवार, 8 सितंबर 2011

अब राष्ट्रपति‍ भवन बचा है!!!!!! गृह मंत्री को इस्ती‍फ़ा दे देना चाहि‍ए!!!!!!

मुंबई ब्लास्ट----- ताजमहल होटल आतंकी नि‍शाने पर----------जयपुर ब्लास्ट--------अक्षरधाम---------संसद पर हमला----------अब हाइकोर्ट भी खून से सना-------सुप्रीमकोर्ट पर हमले की धमकी---------तो बचा क्या -----------राष्ट्रपति‍ भवन!!!!!!
क्यों नहीं लगा सकते यहाँ आतंकी सैंध-------- जान की क्षति‍ न हो पर इस ऐति‍हासि‍ इमारत को तो खंडहर में बदला जा सकता है? जब आतंकि‍यों का हौसला इतना था कि‍ वे पेंटागन पर कर आक्रमण कर सकते हैं और वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर पर सफलता से तो पूरा वि‍श्‍व किंकर्तव्‍यविमूढ़ रह गया था, तो उनके ज़ज्‍़बे के लि‍ए फि‍र कुछ भी कर गुज़रना संभव है। चोर-चोर मौसेरे भाई। आतंकी कि‍सी भी आतंकी गुट से मदद ले कर एक ऐति‍हसि‍क दुर्घटना को कभी भी अंजाम दे सकते हैं।
आज प्रधान मंत्री क्यों मानते हैं कि‍ हमारी सुरक्षा व्यवस्था में खामी है---- सुरक्षा व्यवस्था में आज से नहीं लंबे समय से खामि‍याँ बदस्तूर जारी हैं----- तो फि‍र क्या शेष रह गया?
डाक्टर अस्पतालों में मरीजों का इलाज नहीं करते, बल्कि परीक्षण पर परीक्षण करते हैं, क्योंकि‍ आज एक आम बात हो गयी हैं, यदि‍ बीमारी समझ में नहीं आई, तो मरीज से टेस्ट पर टेस्ट करवाना उनका एक उसूल बन गया है। जाँच करना हो तो समि‍ति‍ पर समि‍ति‍याँ बन जाती हैं सरकारी महकमों में----गवाह तोड़े मरोड़े जाते हैं---साक्ष्य मि‍टाये जाते हैं----बयान बदले जाते हैं—अदालतों में तारीख पर तारीख बदलती जाती हैं--------और पुलि‍स महकमे में छोटा मोटा आतंकी पकड़ लि‍या, तो उसके लिंक के लि‍ए पहले रि‍माण्ड, फि‍र दूर दूर तक ख़ोज, जैसे कि‍ वि‍श्व का पूरा आतंकवाद एक दि‍न में खत्म कर देंगे----आतंकि‍यों की सुरक्षा पर सारा ध्यान केंद्रि‍त कर दि‍या जाता है, ताकि‍ लिंक के लि‍ए कि‍ये गये प्रयास बीच में खत्म न हो जायें। यहीं कारण है की स्व0 राजीवगाँधी के हत्यारों को अभी तक फाँसी नहीं दी जा सकी है-----अफ़जल का यह कहना की वह माफ़ी नहीं चाहता----तो उसके जवाब में यह क़हर क्यों -------क्या आतंकि‍यों के लि‍ए अफ़जल की कोई अहमि‍यत है, जो यह अंज़ाम--?
हमारे देश के नागरि‍कों को एक स्वर में इसका वि‍रोध करना चाहि‍ए कि‍ न तो कोई सरकारी वकील और न ही कोई नि‍जी वकील ऐसे आतंकि‍यों की पैरवी करे जो देश के लि‍ए ख़तरा बना हो------कानून को भी ऐसे आतंकि‍यों के लि‍ए लोक दालत जैसी प्रक्रि‍या अपनाने सम्बंधी व्यवस्थायें बनानी चाहि‍ए ताकि‍ बुद्धि‍जीवी वकीलों को अपनी कानूनी बुद्धि‍मानी जैसी वकालत झाड़ने का मौका न मि‍ल सके और आतंकि‍यों और संगीन अपराधि‍यों को जल्दी से जल्दी सज़ा मि‍ले ताकि‍ दूसरे अपराधि‍यों को एक नसीहत मि‍ल सके। इतना मौका मि‍लने से ही आतंकि‍यों का सुप्रीम कोर्ट को धमकी देने का हि‍म्मात और हौसला बढ़ता है।
हमें अपनी सड़ी गली कानूनी व्यवस्थायें बदलनी होंगी।
इस घटना से पूरा देश फि‍र एक आशंका से दो चार हो रहा है। सामने दशहरा दीपावली जैसे त्योहार आ रहे हैं जहाँ गली-गली चौराहे-चौराहे पर भीड़भाड़ का माहौल रहेगा-----ऐसे में हमारी व्यवस्था क्या होगी यह अहम सवाल देश के कर्णधारों को देखना है सोचना है। पुलि‍स वालों को चाहि‍ए कि‍ वे देश के हालात को गंभीरता से लें। सरकार को चाहि‍ए कि‍ सेना की एक विंग, बटालि‍यन, टुकड़ी सि‍वि‍ल सेवा के लि‍ए भी तय कर तत्का‍ल देश की सुरक्षा के लि‍ए संवेदनशील स्थानों पर तैनात करे। आज बोर्डर्स से ज्यादा अंदर के हालात नाज़ुक हैं---उन्हें कठोर नि‍र्णय लेने होंगे।
अब और कई क्षति‍ नहीं------अब कोई और हताहत नहीं--------अब और ज्यादा बर्दाश्त नहीं--------- करारा जवाब देना होगा इस वहशि‍यत का----------हमारे कानूनदाँओं को--------- हम फि‍र भी यह तो सहन कर लेंगे---------लेकि‍न कि‍तने इस ज़ख्म को नासूर की तरह झेलेंगे---और कि‍तने युवा इससे क्या सीख लेंगे------या तो ईश्वर जाने या भवि‍ष्य-------------कोई आम आदमी हाथों में बारूद न उठा ले---------घर में ही आतंकी न पनपने लग जायें---------------हमें धैर्य रखना होगा-------हमें अपनी संस्कृति‍ को बचाना होगा-----------हमें सत्यमेव जयते के लि‍ए फि‍र संघर्ष करना होगा----------------आइये हताहतों के लि‍ए ईश्वर से प्रार्थना करें--------उन्हें शांति‍ दे--------------किमधि‍कम्--------------- अब क़लम नहीं चल पायेगी----------!!!!!!!

बुधवार, 7 सितंबर 2011

उड़ीसा अब ओडि‍शा होगा और उड़ि‍या भाषा अब ओडि‍या होगी

संसद के दोनों सदनों ने उड़ीसा राज्य का नाम ओडि‍शा रखने पर मोहर लगा दी। अब केवल राष्ट्रपति‍ के हस्ताक्षर की देर है। मंगलवार 6 सि‍तम्‍बर को संसद में उड़ीसा बि‍ल लोकसभा में पारि‍त हो गया।
प्राचीनकाल में उत्कल,दक्षि‍ण कौशल आदि‍ के नाम से भी प्रख्यात था। महाभारत काल में यह चेदि‍ और मत्स्‍य नाम से भी पहचाना जाता था। दशरथ पत्नी कौशल्या यहॉं की ही पुत्री थी, राजा वि‍राट् मत्स्‍य देश के राजा थे जि‍नके यहाँ पाण्डवों ने अज्ञातवास काटा था। इसका सबसे चर्चि‍त और लंबे समय तक चला नाम नाम कलिंग था। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में (ई0पू0 268) मौर्य सम्राट् अशोक ने कलिंग को जीतने के लि‍ए सशक्त सेना भेजी। कलिंग पराभूत हो गया किंतु वहाँ के जनसंहार ने अशोक को बदल दि‍या, उसने बौद्घ धर्म अपना लि‍या। अशोक की मृत्यु के बाद कलिंग फि‍र स्‍वाधीन हो गया। भारत के पूर्वी तट पर झारखण्ड, बि‍हार, आंध्रप्रदेश, मध्य‍प्रदेश और बंगाल की खाड़ी से घि‍रा यह राज्य वि‍ख्यात चि‍लका झील के लि‍ए प्रसि‍द्ध है। अशोक के बाद खारवेल के शासन तक यह राज्य शक्ति‍शाली रहा। बाद में सभी राजाओं ने इसे लूटा,यहाँ तक कि‍ समुद्रगुप्त ने भी इसे तहस-नहस कि‍या। अंत में हर्ष ने से अपने अधीन कर लि‍या। 795 ई0 में महाशि‍वगुप्त ययाति‍ द्वि‍तीय के शासन काल इसका स्वंर्णकाल कहलाया। कहते हैं इसी ने पुरी का वि‍ख्यात जगन्नाथ मंदि‍र बनवाया। नरसिंह देव ने कोणार्क मंदि‍र बनवाया। 1592 ई0 में अकबर ने इसे मुग़ल साम्राज्य में वि‍लय कर लि‍या। मुग़लों के पतन के बाद 1803 तक यह मराठों के कब्ज़े में रहा। उसके बाद यह अंग्रेजों के शासन में आ गया। 1949 में यह एक स्वतंत्र राज्य बना। मंदि‍रों का शहर भुबनेश्वर इस राज्य की राजधानी है। इससे पहले इसकी राजधानी कटक थी। पुरी (जगन्नाथ पुरी) समुद्रतटीय शहर है। कटक का बाराबती कि‍ला ऐति‍हासक स्थवल है। संबलपुर के पास हीराकुण्ड बाँध वि‍श्व का चौथा सबसे बड़ा बाँध है। ओडि‍शा में चक्रवात आते रहते हैं, सबसे तीव्र चक्रवात 1999 में आया था। यह सम्पूर्ण चावल उत्पादक राज्य है।

शनिवार, 3 सितंबर 2011

आकुल को 'साहि‍त्‍य श्री' सम्‍मानोपाधि‍

कोटा के जनवादी कवि‍, संगीतकार, साहि‍त्‍यकार, लेखक, सम्‍पादक क्रॉसवर्ड वि‍जर्ड गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' को राष्‍ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्‍ट, सि‍होरा, जबलपुर म0प्र0 द्वारा उनकी हि‍न्‍दी साहि‍त्‍य सेवा व सम्‍पादन कार्य के लि‍ए 2011 की 'साहि‍त्‍य श्री' सम्‍मानोपाधि‍ प्रदान की है। श्री 'आकुल' के साथ कोटा के ही वरि‍ष्‍ठ साहि‍त्‍यकार श्री रघुनाथ मि‍श्र को साहि‍त्‍यि‍क, सांस्‍कृति‍क कला संगम अकादमी परि‍यावाँ, प्रतापगढ़ उ0प्र0 द्वारा वर्ष 2011 के लि‍ए सम्‍मान के लि‍ए भी चयन कि‍या गया है। 30 अक्‍टूबर 2011 को आयोजि‍त होने जा रहे इस भव्‍य समारोह में श्री 'आकुल' को 'वि‍वेकानन्‍द सम्‍मान' से वि‍भूषि‍त कि‍या जायेगा और श्री मि‍श्रा को 'वि‍द्या वाचस्‍पि‍त (मानद)' से सम्मानि‍त कि‍या जायेगा। अकादमी के सचि‍व श्री वृन्‍दावन त्रि‍पाठी रत्‍नेश ने पत्र एवं दूरभाष से सम्‍पर्क कर दोनों को चयन की सूचना दी और बधाई दी। उन्‍होंने बताया कि‍ इस भव्‍य समारोह अखि‍ल भारतीय स्‍तर के लगभग 40 से 50 साहि‍त्‍यकारों को प्रति‍वर्ष सम्‍मानि‍त कि‍या जाता है। इस वर्ष भी 100 से अधि‍क साहि‍त्‍यकारों को सम्‍मानि‍त कि‍या जायेगा। सभी जगह आमंत्रण पत्र भि‍जवा दि‍ये गये हैं ओर स्‍वीकृति‍याँ आने लग गयी हैं। समारोह में हि‍न्‍दी गरि‍मा सम्‍मान, कला मार्तण्‍ड, हि‍न्‍दी सेवी सम्‍मान, साहि‍त्‍य मार्तण्‍ड, पत्रकार मार्तण्‍ड, वि‍द्या वाचस्‍पति‍, वि‍द्या वारि‍धि‍, साहि‍त्‍य महामहापाध्‍याय, रोहि‍त कुमार माथुर स्‍मृति‍ सम्‍मान, पं0 जगदीश नारायण त्रि‍पाठी स्‍मृति‍ सम्‍मान, पं0 जगदीश नारायण त्रि‍पाठी स्‍मृति‍ सम्‍मान, प0 दुर्गाप्रसाद शुक्‍ल स्‍मृति‍ सम्‍मान, सुश्री सरस्‍वती सिंह सुमन स्‍मृति‍ सम्‍मान और कबीर सम्‍मान भी दि‍ये जायेंगे। श्री भट्ट और श्री मि‍श्रा 29 अक्‍टूबर को कोटा से परि‍यावाँ के लि‍ए रवाना होंगे। श्री त्रि‍पाठी ने बताया कि‍ सम्‍मान समारोह की भागीदारी सहयोगी संस्‍था तारि‍का वि‍चार मंच करछना इलाहाबाद और विंध्‍यवासि‍नी हि‍न्‍दी वि‍कास संस्‍थान नई दि‍ल्‍ली भी साहि‍त्‍यकारों का सारस्‍वत सम्‍मान करेंगी।
श्री भट्ट और मि‍श्रा को इस सम्‍मान के लि‍ए बधाइयों का ताँता लगा हुआ है। भट्ट को उनकी पुस्‍तक 'जीवन की गूँज' और श्री मि‍श्रा को उनकी पुस्‍तक 'सोच ले तू कि‍धर जा रहा है' के लि‍ए उनकी साहि‍त्‍य सेवा के लि‍ए सम्‍मानि‍त कि‍या जा रहा है।

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

यह कोई नई चाल तो नहीं !!!!!

भ्रष्‍ट लोग अपने बचाव के लि‍ए कि‍सी भी हद तक गुज़र सकते हैं। अन्‍ना ने अनशन तोड़ दि‍या, ठीक है, अग्‍नि‍वेश की असलि‍यत सामने आई, चलो यह भी ठीक है, शांति‍पूर्ण आंदोलन खत्‍म हुआ, अन्‍ना खेमा भी कमजोर पड़ने लगा था इसलि‍ए जो हुआ ठीक ही हुआ, अन्‍ना दृढ़ हैं, पर नकी टीम !!!!! तूफ़ान के बाद की शांति‍ से लगता है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं, माना सरकार के पास मानने के सि‍वा कोई चारा ही नहीं था,भावी नेता की छवि‍ में राहुल गाँधी के वक्‍तव्‍य ने जनता को फि‍र सोचने को मज़बूर कर दि‍या है, कांग्रेस के पास भावी प्रधानमंत्री की छवि‍ धूमि‍ल है,पि‍छले दि‍नों एक आई ए एस ने अपनी पत्‍नी को डंडे से पीट कर मार डाला और अदालत जा पहुँचा,कामकाज कि‍या, परि‍वादों में तारीखें दीं,पि‍छले दि‍नों राजस्‍थान वि‍धान सभा में भ्रष्‍टाचार पर बहस ही नहीं हो सकी और चप्‍पल कांड और महि‍ला वि‍धायक से अभद्रता और अपशब्‍द जैसी घटना हो गयी,क्‍या बौखला गये हैं नेता? या इस आंदोलन से उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा, देश के हालात जस के तस हैं, काम काज जस का तस चल रहा है,रैगिंग पर भले ही सुप्रीप कोर्ट ने रोक लगा दी हो लेकि‍न धड़ल्‍ले से रैगिंग हो रही है, सीनि‍यर रेजि‍डेन्‍ट डॉक्‍टर्स जूनि‍यर्स पर बॉसगि‍री थोप रहे हैं, इस बार की बरसात ने भ्रष्‍टाचार की पोल खोल दी है,मुद्रा स्‍फीति‍ का बोझ और आयरीन समुद्री तूफान ने अमेरि‍का को अंदर से बहुत कमज़ोर बना दि‍या है,भारत को इस तक का लाभ उठाना चाहि‍ए, पर ऐसा दि‍माग से नहीं नहीं करेंगे नेता,इसमें भी कोई मौक़ा ढूँढ़ेंगे, बालि‍का वधु और ससुराल सि‍मर टी0वी0 सीरि‍यल समाज को ग़लत संदेश दे रहे हैं,स्‍व0 राजीव गाँधी के हत्‍यारों को फाँसी के लि‍ए फि‍र राजनीति‍ खेली जा रही है,राजस्‍थान में आरक्षण के अदालती आदेश पर सरकारें नि‍र्णयों की पालना करने को गंभीरता से नहीं ले रही है, सूचना का अधि‍कार को लागू कर सरकार ने जो सि‍रदर्द मोल ले लि‍या है,कहीं ऐसा तो नहीं शांति‍पूर्ण ढंग से जनता के आक्रोश को देख कर सरकार ने आनन फानन में स्‍वीकार तो कर लि‍या, यह सोच कर कि‍ दो दि‍न में तो जन लोक पाल बि‍ल बनना नहीं है,कोई नया लोकुना मि‍ल जायेगा, तो उसे खि‍सकाया जा सकता है, जन सैलाब के परि‍णाम कुछ भी हो सकते थे,क्‍योकि‍ सरकारी कामों को खि‍सकाना हो तो अनेकों कार्यालयों में काम का बोझ सरकार पर डालने की परम्‍परा 'सरकार से पूछा जाये,स्‍वीकृति‍ लें,उच्‍च स्‍तर पर नि‍र्णय के लि‍ए अग्रेषि‍त करें,जैसे जुमले आए दि‍नों सुनने देखने को मि‍लते हैं।ठीक है, देखते हैं ऊँट कि‍स करवट बैठता है,पर अन्‍नाजी,एक गाँधी गि‍री से पाकि‍स्‍तान बन गया, दूसरी कूटनीति‍ से बांग्‍लादेश बन गया किंतु इससे हमने बहुत कुछ खोया है जि‍सका वि‍क्‍ल्‍प आज तक नहीं मि‍ल रहा है,हमने वल्‍ल्‍भ भाई पटेल की बात नहीं मानी,परि‍णाम सामने है,काश्‍मीर मुद्दा नासूर बन रहा है,लाल बहादुर शास्‍त्री जैसा कद्दावर नेता खोया है हमने,आज कि‍सी भी पार्टी के पास वि‍श्‍वसनीय भावी अगुआ नहीं है,अपने देश में पग-पग पर भ्रष्‍टाचार को गाँधीगि‍री से नहीं खत्‍म कि‍या जा सकता,इस पर कुछ नया सोचना होगा,आप सोचि‍ए आपके पास रक्षक,अंगरक्षक और संरक्षक सब हैं,आम जनता को तो पहले पेट पालना है,इन मुद्दों पर लंबी लड़ाई लड़ने की ताक़त कहाँ से लायेगी जब जन संगठन कि‍सी न कि‍सी रूप में बि‍ना कठोर नि‍यंत्रण के चल रह हैं औश्र मजदूर संगठन अब लगभग रहे ही नहीं जो एक आवाज़ पर खड़े हो जाया करते थे, आधुनि‍क तकनीक ने यह नुकसान तो कि‍या है,खैर सौ बातो की एक बात,दि‍ल्‍ली अब सौ साल की हो गयी है,हर मुद्दे पर वह अपना नि‍यंत्रण खोती जा रही है,क्‍या अब दूसरी राजधानी नहीं बनायी जानी चाहि‍ए!!!!, मुंबई नहीं बन सकती !!!!! अभेद्य दुर्ग, फि‍र आतंकवाद का हल स्‍वत: मि‍ल जायेगा, हि‍न्‍दी भाषा को एक नया आयाम मि‍लेगा, पर अन्‍ना यह तो बतायें, अभी तक जो भी हुआ, क्‍या सरकार की यह कोई नई चाल तो नहीं !!!!! आज गणेश चतुर्थी है, अन्‍ना बधाई हो, श्रीगणेश तो हुआ, आज के पर्व की बहुत बहुत बधाई हो, अन्‍ना गणपति‍ बप्‍पा मोरि‍या।