महाशक्ति अमेरिका पर तीन बड़े हमलों ने आतंकियों के हौसले बुलंद कर दिये और पूरा विश्व आज आतंकवाद की चपेट में है। जनहानि से देश की व्यवस्थाओं को धक्का पहुँचता है। सारी योजनायें धरी की धरी रह जाती हैं। दस वर्ष बीत गये पर उसके ज़ख़्म अभी भी हरे हैं। 2982 मौत हुईं इस हादसे में जिसमें 3051 बच्चों ने अपने माता-पिता खोये हैं। आज विश्व में सबसे जयादा ध्यान सुरक्षा पर दिया जा रहा है। हमारा इतिहास बर्बर घटनाओं का साक्षी रहा है। चाहे वह सोमनाथ को लूटने की बार बार कोशिश हो अथवा वर्तमान में अक्षरधाम पर हमला हो, संसद पर हमला हो या अफ़गानिस्तान पर सैन्य कार्यवाही, ओसामा का अंत हो या पाकिस्तान को आतंकवादियों की पनाहगाह कहें, पर हमला तो देशों की संस्कृति पर है, जिन्हें सहेज कर रखा जाना एक चुनौती बन गया है। वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर जो आज ग्राउण्ड ज़ीरो है, जिस पर दफन हुए एक इतिहास को नई 104 मंजिला इमारत बन कर अमेरिका क्या संदेश देना चाहता है ? यह अमेरिका की सबसे बड़ी इमारत होगी। क्यों किया अमेरिका ने ? क्या आवश्यकता थी इस इमारत की ? 11 अरब डॉलर की इस परियोजना के स्थान पर इस राशि से सोमालिया को हरा भरा और खुशहाल किया जा सकता है!!! एक नया देश बनाया जा सकता है!!! हरित क्रांति लायी जा सकती है!!! पर्यावरण पर काम किया जा सकता है!!! आतंकवाद को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र स्तर पर एक नयी सर्वाधुनिक खुफिया एजेंसी स्थापित की जा सकती है, जिसकी शाखायें विश्व के सभी संवेदनशील देशों में हों, पर इस इमारत को बना कर अमेरिका क्या दर्शाना चाहता है, और वह भी तब जब वह स्वयं आर्थिक मंदी के दौर से ग़ुज़र रहा है।
ख़ैर, आइये शहीद हुए उन लोगों को स्मरण करें जिन्होंने विश्व को फिर इक दिशा दी है, जीने की, कुछ कर गुज़रने की, पिछला भूल जाने की, जागरूक बनने की, बच्चों को भविष्य के लिए एक सबक़ देने की, दादी नानी को किंवदंती बनी इन घटनाओं की कहानी अपने पोते पोतियों से कहने के लिए। अपने हृदय पर हाथ रख कर एक संकल्प लेने की कि हम कितने जागरूक हैं ऐसी किसी भी घटना के लिए या हम प्रशासनिक व्यवस्था पर ही निर्भर रहेंगे !!!
ख़ैर, आइये शहीद हुए उन लोगों को स्मरण करें जिन्होंने विश्व को फिर इक दिशा दी है, जीने की, कुछ कर गुज़रने की, पिछला भूल जाने की, जागरूक बनने की, बच्चों को भविष्य के लिए एक सबक़ देने की, दादी नानी को किंवदंती बनी इन घटनाओं की कहानी अपने पोते पोतियों से कहने के लिए। अपने हृदय पर हाथ रख कर एक संकल्प लेने की कि हम कितने जागरूक हैं ऐसी किसी भी घटना के लिए या हम प्रशासनिक व्यवस्था पर ही निर्भर रहेंगे !!!
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