हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग के नाथद्वारा अधिवेशन से लौट कर हिन्दी दिवस पर कुछ लिखने वाला था पर,धड़कते दिल से सवेरे का अखबार पढ़ा और हिन्दी की हिन्दी हो गयी। पेट्रोल की कीमत फिर बढ़ गयीं। हाल ही में मई में ही तो बढ़ाये थे दाम। राजस्थान में यह लगभग रु0 70-92 प्रति लीटर के आसपास बिकेगा। पिछले 14 माह में 10वीं बार बढ़े हैं ये दाम। बड़े लोगों की तो नींद भी नहीं टूटेगी,पर मध्यम वर्ग की नींद हवा हो जायेगी। भले ही कर्मचारियों का महँगाई भत्ता 7फीसदी बढ़ा दिया गया है,पर आगे त्योहार आ रहे हैं,अब त्योहारों तक तो बस एक ही आस है बोनस की। अब गैस पर भी राजनीति चल रही है। उधर सभी तरह के लोन महँगे हो रहे हैं। महँगाई बढ़ रही है,पर मंत्रियों की सम्पत्तियाँ कैसे बढ़ रही हैं!!!! 2009 में शहरी विकास मंत्रालय के कमलनाथ की सम्पत्ति 14 करोड़ से आज 41 करोड़ तक जा पहुँची है,भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल की सम्पत्ति लगभग 80 करोड़ से आज 122करोड़ तक पहुँच गई है और सबसे जयादा आश्चर्य कि डीएमके के एस जगतरक्षकण की लगभग 6 करोड़ से 80 करोड़ तक पहुँच गयी। कैसे कमा लेते हैं ये लोग,नेतागिरी में क्या वास्तव में ऐसा सम्भव है!!!!क्या इनके पास कोई अलादीन का चिराग़ है!!!!भरतपुर के गोपाल गढ़ में वक्फ़ भूमि विवाद में,कोटा जिले के मोड़क कस्बे में देव विमान पर हमला, साम्प्रदायिक सद्भाव को फिर चोट पहुँची। लूट अपहरण हत्याओं की घटना बदस्तूर जारी हैं। अन्ना के आन्दोलन का प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा। इन धड़कते समाचारों से आपको नहीं लगता कि दिल के मरीज़ों की संख्या में इजाफ़ा होने के आसार सौ फीसदी हैं !!!!चलिए कुछ खेल की बातें करें। टीम इंडिया अपना सा मुँह ले कर खाली हाथ लौटने वाली है, अभी भी उसे एक जीत की आशा है--- पर नहीं लगता--- कुछ चोटिल खिलाड़ी मुँह छिपा कर भारत लौट ही आये हैं, ओर सचिन शतकों के शतक से चूक गये---मैं समझता हूँ---,नहीं उनके प्रशंसकों में भी सुगबुगाहट है कि अब सचिन को संन्यास ले लेना चाहिए, यही सही समय है---मि0 रिलायबल ने सही निर्णय लिया है, इस टीम इंडिया के दौरे से हॉकी इंडिया को जरूर थोड़ी राहत मिली होगी--उनके साथ अवश्य ही सौतेला व्यवहार हो रहा है। चलिए अब हिन्दी की थोड़ी बात कर लें। पिछले दिनों एक इमेज डाउनलोड की तो सिर फिर गया। आप भी देखें। कैसे होगा हिन्दी का सम्मान। हिन्दी भी सही नहीं लिख सकते और पूरे विश्व में इसका प्रचार प्रसार हो रहा है और वह भी भारत के मानचित्र पर!!!! क्या संदेश जायेगा विश्व में इस चित्र से !!!!!! पिछले दिनों एक शीर्षस्थ अखबार दैनिक भास्कर ने हिन्दी दिवस पर एक विशिष्ट परिशिष्ट निकाला और उसकी कीमत रख दी पाँच रुपये और उस पर तुर्रा कि उसकी प्रति बुक करवायें!!! ये है उनका हिन्दी प्रेम यानि हिन्दी पर भी व्यापार। 60प्रतिशत से अधिक बड़े बड़े विज्ञापनों को झेलते हैं पाठक इस अखबार में और शेष में लूट,हत्या,बलात्कार,दुर्घटनाओं और नेताओं की नोक-झोंक व छींटाकशी से अटे पड़े रहते हैं,साहित्य तो सिर्फ ढूँढ़ने से ही मिलता है और वह भी डायबिटीज़ के बीमार की मीठे की चाहत की कशिश सा। इस अखबार के सप्ताह में कई संस्करण निकलते हैं वो भी मुफ़्त,तो क्या हिंदी दिवस पर यह विशेष अंक मुफ्त घर-घर नहीं पहुँच सकता था?हिन्दी की इतनी भी सेवा वह नहीं कर सकता था!!! सबसे बड़ा अखबार कहने का दम्भ भरता है वह,हिंदी दिवस पर वह यदि इसे अपने सभी हिंदी-अहिन्दी क्षेत्रों के समाचार पत्रों के साथ मुफ़्त बाँटता तो एक दिन के लिए वह कह सकता था कि दुनिया में सबसे ज्यादा हिंदी पढ़ने वाला अखबार बना भास्कर।चलिए आज के लिए इतना ही सही,फिर कुछ धड़कते समाचार लिखेंगे और आप पढ़ेंगे।
हिंदी की सच्ची सेवा तक नहीं हो सकेगी जब तक जन-जन के दिलों में हिंदी-भाषा के लिए प्यार पैदा नहीं हो जाता।
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