सोमवार, 31 मार्च 2014

साहित्यिक सांस्‍कृतिक कला संगम अकादमी का 14 वां सम्‍मेलन सम्‍पन्‍न

कोटा के डा0 रघुनाथ मिश्र 'सहज' के ग़ज़ल संग्रह 'प्राण-पखेरू' का लोकार्पण और
 डा0 इंद्रबिहारी सक्‍सैना को सारस्‍वत सम्‍मान

कोटा। महाभारत के रचयिता वेदव्‍यास की जहाँ पावन कर्मभूमि हो और समीप ही मनगढ़ में प्रख्‍यात संत स्‍व0 कृपालु महाराजजी की पावन जन्‍मभूमि हो और गंगा के तीरे जहाँ कण कण  पौराणिक स्‍थली की स्‍मृति ताजा कराता हो, ऐसे कला और सहित्‍य को समर्पित ग्राम परियावाँ में डा0 वृन्‍दावन त्रिपाठी 'रत्‍नेश' द्वारा 1989 में स्‍थापित साहित्यिक-सांस्‍कृतिक-कला संगम अकादमी का 18वाँ राष्‍ट्रीय एकता भाषाई सम्‍मेलन और सारस्‍वत सम्‍मान कार्यक्रम 23 मार्च 2014 को उनके निवास स्‍थान पर देश के अनेकों राज्‍यों से पधारे विद्वान् साहित्‍यकारों के बीच गरिमामय वातावरण के मध्‍य सम्‍पन्‍न हुआ। 
कार्यक्रम के आरंभ में सरस्‍वती पूजा के बाद मंच पर अध्‍यक्ष मंडल को मंचासीन किया गया । सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता सुनील कुमार बाजपेयी, विशिष्‍ट अतिथि डा0 ओमप्रकाश हयारण 'दर्द', एव अन्‍य विद्वानों में मेरठ के डा0 विजय पंडित, डा0 देवेश तिवारी बिराजमान हुए। कार्यक्रम के आरंभ में संस्‍था के संस्‍थापक डा0 वृन्‍दावंन त्रिपाठी 'रत्‍नेश' ने पधारे सभी विद्वान् साहित्‍यकारों का अभिवादन किया। कार्यक्रम का संचालन कोलकाता में हिन्‍दी के प्रचार प्रसार के लिए पत्रिका 'साहित्‍य त्रिवेणी' प्रकाशित कर रहे प्रख्‍यात डा0 कुँवर वीरसिंह 'मार्तण्‍ड' ने किया। कोटा से डा0 रघुनाथ मिश्रा 'सहज', अलीगढ़ इगलास से गाफि‍ल स्‍वामी, भारत हेवी इलेक्ट्रिल लि0 (भेल), झाँसी के श्री सुधीर कुमार गुप्‍ता 'चक्र', कोटा के ही डा0 इंद्रबिहारी सक्‍सैना,  व अन्‍य अनेकों राज्‍यों से पधारे लगभग 50 साहित्‍यकारों, विद्वानों के मध्‍य कार्यक्रम सम्‍पन्‍न हुआ। भाषाई एकता सम्‍मेलन में विषय 'राष्‍ट्रीय चरित्र निर्माण में साहित्‍यकार की भूमिका' पर चर्चा हुई और अनेक विद्वानों ने अपने विचार रखे। सम्‍मेलन में डा0 रघुनाथ मिश्र 'सहज' के ग़ज़ल संग्रह 'प्राण-पखेरू' और श्री चक्र की पुस्‍तक 'क्‍यों' व कई अन्‍य साहित्‍यकारों की पुस्‍तकों का लोकार्पण किया गया। सारस्‍वत सम्‍मान में साहित्‍य मनीषी, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्‍मृति सम्‍मान, विवेकानंद सम्‍मान, विद्या वाचस्‍पति सम्‍मानोपाधियों आदि से पधारे साहित्‍यकारों को सम्‍मानित किया गया। कोटा के डा0 सहज और डा0 इंद्रबिहारी सक्‍सैना को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्‍मृति सम्‍मान से सम्‍मानित किया गया। श्री 'चक्र' को विद्या वाचस्‍पति मानद उपाधि प्रदान की गई। भाषाई सम्‍मेलन में साहित्‍यकार की भूमिका पर बोलते हुए कोटा के जनकवि और वरिष्‍ठ साहित्‍यकार डा0 'सहज' ने बताया कि आज देशवासियों के चरित्र निर्माण से देश के चरित्र निर्माण का सीधा सम्‍बंध है। इसके लिए साहित्‍यकार, जन-जन में अपने साहित्‍य के माध्‍यम से एक अलख जगा सकता है, देश की काया पलट का रास्‍ता प्रशस्‍त कर सकता है। उन्‍होने दृष्‍टांत देते हुए कहा कि प्रेमचंद, कबीर, मीरा, विवेकानन्‍द, बेन्‍जामिन मुलाइस, रहीम, जायसी, आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल, निकोलाई आस्‍त्रोवस्‍की, नागार्जुन, टेगै, भारतेंदु हरिश्‍चंद्र, गालिब मीरतकी मीर, मैक्सिम गोर्की होचीमिन्‍ह, अमीर खुसरो, गजानन माधव 'मुक्तिबोध, फैज़ अहमद फै़ज, आदि अनेक नाम विचारणीय विषय में साहित्‍यकार की भूमिका के संदर्भ में संटीक , समय सापेक्ष्‍य, मूल्‍याधारित निर्भीक, निस्‍स्‍वार्थ, वैचारिक वर्चस्‍व का शिकार हुए बिना अथक-बेबाक-बेलाग-बेझिझक-पूर्णतया  अर्थपूर्ण व्‍यावहारिक 'सर्जक' के रूप में उद्धृत किये जाने योग्‍य हैं। अध्‍यक्षता कर रहे  सुनील कुमार बाजपेयी ने बताया कि कालांतर में लोग कभी कबीर, मीरा, तुलसीदास, ग़ालिब, मीर को पढ़ते थे, फि‍र उन्‍होंने महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, बच्‍चन, रामधारी सिंह दिनकर को पढ़ा है, और आज नीरज, प्रसून, गुलजार, निदा फ़ाजली को पढ़ रहे हैं, कल आपको पढ़ें ऐसे साहित्‍य का सृजन किया जाना आज युगबोध के लिए अत्‍यावश्‍यक है। पधारे कई विद्वानों ने अपने अपने विचार प्रकट किये। अंत में अकादमी के संस्‍थापक डा0 वृंदावन त्रिापाठी 'रत्‍नेश' ने आभार व्‍यक्‍त किया।