मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

सान्निध्य: ढाई अक्षर प्रेम के

सान्निध्य: ढाई अक्षर प्रेम के: प्रेम, प्यार और प्रीत अढाई। वक्त, भक्त, प्रभु, मि‍त्र अढाई। धर्म, कर्म, वि‍द्या, भी ढाई। जगत्पाल वि‍ष्णु भी ढाई। ढाई कोस चले नि‍त काया। स...

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

सान्निध्य: दूल्हा राग बसंत

सान्निध्य: दूल्हा राग बसंत: सभी राग बाराती हैं बस, दूल्हा राग बसंत। लोक गीत देहाती हैं सब, आल्हा राग बसंत।। हरसायेगी पवन बसंती सरदी का अब अंत। सूरज ने भी बदला है पथ ...