जनकवि डा0 रघुनाथ मिश्र के घर सम्मान समारोह और काव्य गोष्ठी
‘पादपों को बरगदों से दूर रहने दीजिए । अंकुरों को चिलचिलाती धूप सहने दीजिए’-निर्मल पाण्डे
कोटा। रविवार 23-09-2012 को कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार और जनकवि डा0 रघुनाथ मिश्र के तलवण्डी स्थित स्व निवास पर शहर के ख्यातनाम साहित्यकार,शायर इकट्ठे हुए। मौका था हाड़ौती के शतायुपार कवि डा0 भँवर लाल तिवारी ‘भ्रमर’ को दिये जाने वाले सम्मान और मिश्रजी के जन्म दिन का।
दोपहर 2 बजे आरंभ हुए इस कार्यक्रम में भवानीमंडी से सम्मान लेने पधारे डा0 भँवर लाल तिवारी ‘भ्रमर’ के पुत्र श्री अवनीश तिवारीजी, कटनी मध्य प्रदेश से पधारे प्रख्यात व्यवसायी और कवि शरद जायसवाल, उज्जैन के हास्य कवि हिमांशु ‘बवंडर’, शहर के वरिष्ठ शायर एहतेशाम अख्तर पाशा, वेद प्रकाश ‘परकाश’, युवा शायर फर्रूख नदीम, डा0 अशोक मेहता, डा0 निर्मल पाण्डे, डा0 नलिन, कवयित्री श्रीमती प्रमिला आर्य, कवि पुखराज, गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ और डा0 मिश्र के परिवार से पु्त्र सौरभ मिश्र, पुत्रवधु उपासना मिश्र, प्रख्यात समाज सेविका क्षमा मिश्र, बाल कवियत्री पूर्वी मिश्र और प्रायोजित सम्मान के लिए पधारे उ0 प्र0 के डा0 अशोक ‘गुलशन’ के पुत्र उत्कर्ष पाण्डेय आदि।
दोपहर 2 बजे आरंभ हुए इस कार्यक्रम में भवानीमंडी से सम्मान लेने पधारे डा0 भँवर लाल तिवारी ‘भ्रमर’ के पुत्र श्री अवनीश तिवारीजी, कटनी मध्य प्रदेश से पधारे प्रख्यात व्यवसायी और कवि शरद जायसवाल, उज्जैन के हास्य कवि हिमांशु ‘बवंडर’, शहर के वरिष्ठ शायर एहतेशाम अख्तर पाशा, वेद प्रकाश ‘परकाश’, युवा शायर फर्रूख नदीम, डा0 अशोक मेहता, डा0 निर्मल पाण्डे, डा0 नलिन, कवयित्री श्रीमती प्रमिला आर्य, कवि पुखराज, गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ और डा0 मिश्र के परिवार से पु्त्र सौरभ मिश्र, पुत्रवधु उपासना मिश्र, प्रख्यात समाज सेविका क्षमा मिश्र, बाल कवियत्री पूर्वी मिश्र और प्रायोजित सम्मान के लिए पधारे उ0 प्र0 के डा0 अशोक ‘गुलशन’ के पुत्र उत्कर्ष पाण्डेय आदि।
कार्यक्रम के आरंभ में मुख्य अतिथि श्री अवनीश तिवारी,विशिष्ट अतिथि शरद जायसवाल और अध्यक्ष एहतेशाम अख्तर पाशा और डा0 मिश्र को मंचासीन किया गया। सर्वप्रथम शायर एहतेशाम अख्तर पाशा, डा0 नलिन, डा0 निर्मल पाण्डे आदि पधारे सभी साहित्यकारों ने जनकवि डा0 रघुनाथ मिश्र के जन्मदिन पर उनको पुष्पहार पहना कर अभिनंदन किया। बाद में श्री मिश्र,‘आकुल’और उत्कर्ष पाण्डेय ने भवानी मंडी से पधारे मुख्य अतिथि को माल्यार्पण कर स्वागत किया। डा0 भ्रमर को सम्मानित किये जाने का यह कार्यक्रम भवानी मंडी में भ्रमर के स्व निवास पर किया जाना था, किंतु अपरिहार्य कारणों से उसे स्थगित करना पड़ा। डा0 भ्रमर को यह सम्मान उनकी सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘भ्रमर उत्सव’ पर बहराइच उत्तर प्रदेश के प्रख्यात शायर डा0 अशोक कुमार ‘गुलशन’ प्रायोजित था। उनके पिता पं0 बृज बहादुर पाण्डेय स्मृति सम्मान प्रतिवर्ष एक कवि को दिया जाता है। सम्मान में प्रशस्ति पत्र, शॉल, रु0 1100 पुष्प पत्र व स्मृति चिह्न दे कर कवि डा0 भ्रमर के प्रतिनिधि के रूप में पधारे उनके पुत्र अवनीश तिवारी को डा0गुलशन के पुत्र श्री उत्कर्ष पाण्डेय द्वारा सम्मानित किया गया। एक अन्य सम्मान ‘धरती रत्न’कजरा इंटरनेशनल फिल्मस समिति, गोण्डा द्वारा प्रायोजित था, जिसे ‘आकुल’,डा0 मिश्र औश्र उत्कर्ष पाण्डेय द्वारा उन्हें दिया गया। सम्मान ग्रहण के बाद उन्होंने अपने पिता की कविता ‘हिन्द घोष’ पढ़ कर सुनाई-‘तुम पर माता का अतुल प्यार, तुम युवक हिंद के होनहार। आजादी कायम रखने का लो इन कंधो पर बोझ भार।‘
सम्मान से अभिभूत अवनीश तिवारी ने सर्व प्रथम श्री मिश्र को जन्म दिन की बधाई दी और पिता को सम्मानित किये जाने के इस सुअवसर को अविस्मरणीय बताया। उन्होंने संक्षेप में अपने पिता के बारे में बताया कि झालावाड़ रियासत के महाराव राजेन्द्र सिंहजी ‘सुधाकर’ के शासन काल से पोषित उनके साहित्य की शृंखला की चौथी पुस्तक ‘भ्रमर उत्सव’ पर उन्हें सम्पूर्ण भारतवर्ष से सैंकड़ों साहित्यकारों के अभिमत, आशीर्वाद, समीक्षायें, मिल रही है। पिता डा0 भ्रमर श्री ‘आकुल’ के सम्पादन में छपी इस पुस्तक से भावविभोर हैं और उनकी इस पुस्तक को मिल रही प्रतिक्रियाओं से नई ऊर्जा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 7 सितम्बर 2011 में जन्मे उनके पिता, 101 वर्ष पूरे कर अपनी दिनचर्या में संलग्न स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। वे अब लंबा सफर करने में असमर्थ हैं। इसलिए अब निवास पर ही रहते और सबसे मिलते जुलते रहते है। उनकी पुस्तक को कोटा के फ्रेण्डस हेल्पलाइन प्रकाशन के बैनर तले श्री नरेंद्र कुमार चक्रवर्तीजी ने छापा और इसे बनाया व सम्पादन किया गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ ने। उन्होंने दोनों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए अंत में कहा कि आज श्री मिश्र के जन्म दिन के सुअवसर पर यह सम्मान प्राप्त करने और बड़े बड़े साहित्यकारों से मिलने का जो सौभाग्य मिला वह अविस्मरणीय रहेगा।
इस अवसर पर काव्यगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। अल्पाहर से पूर्व गोष्ठी का संचालन जनकवि ‘आकुल’ने और बाद में शायर फर्रूख नदीम ने किया। गोष्ठी का शुभारंभ पुखराज के देशभक्ति गीत ‘उन्नत भाल किया जिन्होंने उन शहीदों को अभिनन्दन’ से हुआ। गोष्ठी में वेद प्रकाश परकाश ने बुलंद आवाज़ में ग़जल सुनाई-‘प्यार का कुछ सिला दीजिए, मेरा दिल ही दुखा दीजिए। लड़खड़ाने लगे हैं कदम, अब तो अपना पता दीजिए’ और अपनी प्रतिनिधि ग़ज़ल ‘इक तेरा इशारा नहीं है, वर्ना क्या कुछ हमारा नहीं है, उसके हम वो हमारा नहीं है, जिसको वतन प्यारा नहीं है।' डा0 निर्मल पाण्डे ने अपनी हिंदी गजल सुना कर महफिल को ऊँचाइयाँ प्रदान की- ‘पादपों को बरगदों से दूर रहने दीजिए, अंकुरों को चिलचिलाती धूप सहने दीजिए’ एहतेशाम अख्तर पाशा ने कुछ शेर और एक ग़ज़ल सुनाई-‘मन की पुस्तक में मैंने लिखा था,हाँ अभी तक वो नाम बाकी है। मार सकता नहीं मुझे रावण, जब तलक दिल में राम बाकी है।' दूसरे मुक्तक से उन्होंने दाद बटोरी-‘माहौल से हम लोग बगावत नहीं करते,मजलूम की हम लोग हिमायत नहीं करते,उन्होंने एक ग़ज़ल भी सुनाई-कहानी दर्द की मैं जिन्दगी से क्या कहता। ये दर्द उसने दिया है उसी से क्या कहता।' फर्रुख नदीम ने भी अपनी गजल से खूबसूरत दस्तक दी-‘पी लिया है सारा गम उसने समंदर की तरह, फिर भी जिन्दा है किसी मुर्दा सिकन्दर की तरह। आजकल है देश की सरकार जिनके हाथों में, झगड़ा करते हैं वो भी संसद में बन्दर की तरह। ‘आकुल’ने अपने मुक्तक से काव्य पाठ की शुरुआत की-‘हर ग़ज़ल मज़्मुआ मुझे दीवान लगता है,किताबों का हर सफ़्हा गीता कुरान लगता है। सुना है हर मुल्क में बसे हैं हिन्दुस्तानी, मुझे सारा संसार हिन्दुस्तान लगता है।‘सरकार पर कटाक्ष करते हुए अपने अगले मुक्तक में भी उन्होंनें दाद बटोरी-‘कुछ ऐसा करो उनकी शहादत खाली न जाये,हक़ की,रोटी की लड़ाई खाली न जाये। कोताही न बरतो सियासतदाँओं अब तो संज़ीदा बनो, छोड़ दो गद्दी अवाम जो सम्हाली न जाये। गोष्ठी में प्रमिला आर्य ने ‘भूल जा विगत को आज का सम्मान करके,बावरा मन है बीते दिन को याद करके,भूल जा अब उस विगत को आज का सम्मान करके सुनाई,अतिथि शायर बवंडर ने ‘हार पे हार सही है पर गम की कोई बात नहीं है, माना मुकद्दर भी जालिम है साथ नहीं है, मुझको डुबो सको लहरो तुम मे इतनी औक़ात नहीं है’ और शरद जायसवाल ने गीत होती है शाम जब भी दिल बैठने लगता है’।
गोष्ठी में डा0 नलिन, डा0 अशोक मेहता, उपासना मिश्रा, जनकवि डा0 मिश्रा ने भी काव्यपाठ किया। डा0 मिश्र के सुपुत्र सौरभ मिश्र ने अंत में सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया।
मेरे जन्म दिन पर शतायु पार युगद्रष्टा लेखक डा. भ्रमर का सम्मान मेरे व कोटा नगर के साहित्यकारों-कवियों-कलाकारों के लिए गौरव की बात है. इस सादे किन्तु अहम समारोह ( सम्मान व काव्यगोष्टि) का असर लंबे समय तक देखा जा सकेगा.भ्रमर साहब के पुत्र श्री अवनीश तिवारी का कोटा पधार कर अपने लेखक पिता जी डा. भंवर लाल तिवारी 'भ्रमर' की ओर से सम्मान प्राप्त करना और समारोह का मुख्या अतिथि बन, समारोह को गौरवान्वित करना भी यादगार बन गया है.डा. भ्रमर व उनके प्रिय पुत्र हमारे प्रिय श्री अवनीश तिवारी के शुभोज्ज्वाल भविष्य की अनंत शुभ कामनाएं.
जवाब देंहटाएंजन कवि डा. रघुनाथ मिश्र