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सम्मान समारोह में अध्यक्षता कर रहे जबलपुर के आचार्य श्री भगवत दुबे और
मुख्य अतिथि आकाशवाणी दिल्ली के केंद्र निदेशक श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी |
कोटा। 8-9 सितम्बर 2012 को दो दिवसीय भारतेंदु हरिश्चन्द्र जयन्ति महोत्सव का शुभारंभ 8 सितम्बर को अभिनंदन समारोह से आरंभ हुआ। शहर के माहेश्वरी भवन में आयोजित अभिनंदन समारोह में विभिन्न राज्यों से आये साहित्यकारों को पुष्पगुच्छ दे कर अभिनंदन किया गया। प्रेस कांफ्रेंस में पधारे साहित्यकारों ने अपने अपने विचार प्रकट किये और ऐसे साहित्यिक समारोहों की आवश्यकता पर जोर दिया। जबलपुर से पधारे वयोवृद्ध साहित्यकार आचार्य भगवत दुबे ने कहा कि हम उम्र की उस दहलीज पर खड़े हैं जहाँ हमें अब सम्मानों की आवश्यकता नहीं, हमे द्राक्षासव और च्यवनप्राश की आवश्यकता है, जिससे हम साहित्यकारों के बीच उठ बैठ सकें, जिससे एक नई ऊर्जा मिलती है। अहिन्दीभाषी क्षेत्र में हिन्दी के उन्नयन के लिए जुझारू हैदराबाद से पधारे वयोवृद्ध साहित्यकार नेहपाल सिंह और आचार्य रत्न कला मिश्रा ने दक्षिण में हिन्दी के विकास के लिए किये गये उनके कार्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि हैदराबाद में अनेकों राजस्थानी बसे हुए हैं, किन्तु आज शिक्षा के क्षेत्र में समानांतर अंग्रेजी भाषा के संस्थानों को खोलना उनकी मजबूरी है। अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका गोलकोण्डा दर्पण और गीत चांदनी जैसी साहित्यिक संस्था हैदराबाद में हिंदी के लिए संघर्षरत है। दिल्ली से आये आकाशवाणी के केंद्र निदेशक श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी भी अतिव्यस्ता के बावजूद कोटा में इस साहित्यकार समागम के अप्रतिम महोत्सव में शामिल होने का अहसास रोमांचित कर गया। उन्होंने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र का कोटा से कोटा से कोई सम्बंध नहीं था, फिर भी कोटा में वर्षों से उनके नाम से चली आ रही इस समर्थ संस्था भारतेंदु समिति वह कार्य कर रही है जो बड़ी बड़ी संस्थायें नहीं कर पा रही हैं। कोलकाता से पधारे हिंदी वांग्मय पीठ के
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सम्मान प्रशस्ति पत्र, मोमेन्टो लिए पुष्पहार व शाल ओढ़े साहित्यकाऱ् |
अध्यक्ष प्रोफेसर श्याम लाल उपाध्याय और साहित्य त्रिवेणी जैसी सशक्त पत्रिका के सम्पादक साहित्यकार श्री कुंवर सिंह मार्तण्ड ने भी यहाँ अपने विचार रखें और बांग्ला में साहित्य प्रेमी पाठकों की संख्या में हिंदी साहित्य के प्रति बढ़ रहे रुझान पर संतोष व्यक्त किया। गुवाहाटी आसाम से पधारे चंद्र प्रकाश पौद्दार ने साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए हमें ऐसे समारोहों में जा कर साहित्य को जीवंत रखने और उसे देश समाज और साहित्य से दूर भागते युवा पीढ़ी को साहित्य की आवश्यकता को समझाने की आवश्यकता फर बल दिया और कहा कि अहिंदी भाषी क्षेत्र में हिन्दी के उन्नयन से ही हम राजभाषा हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में सँजोये सपने को सच कर दिखायेंगे। अन्य राज्यों से पधारे साहित्यकारों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। सभी ने आज देश में फैली विद्रूपता, महँगाई, भ्रष्टाचार पर अपने अपने तरीके से कुछ न कुछ कहा। सत्ता की बेशर्मी, संविधान के समानता के मौलकि अधिकारों पर आरक्षण की तलवार से कटाक्ष किया और देश में जातिवाद को बढ़ावे देने वाली वोट की राजनीति पर प्रहार किया। दिन दूनी रात चौगुनी सम्पत्ति के मालिक बनते जा रहे जनता के प्रतिनिधि नेताओं पर देश को कमज़ोर करने का जिम्मेदार ठहराया। जनता को गुमराह करने के लिए प्रलोभनों और आश्वासनों की नींव पर देश को खोखला करने और गृह युद्ध जैसी बनती जा रही स्थाति के लिए साहित्यकारों की महती भूमिका के लिए सभी को आह्वान किया। समारोह की अध्यक्षता कर रहे यूआईटी के अध्यक्ष रविन्द्र त्यागी ने पधारे सभी साहित्यकारों का अभिनंदन करते हुए कहा कि जो मशाल हिन्दी के विकास के लिए भारतेंदु ने जलाई है उसे बुझने नहीं दिया जाये, उसके लिए समिति जो कार्य कर रही है, उससे साहित्यकारों को ऐसे सम्मान समारोह आयोजित करने से एक नई दिशा,जोश और कुर कर गुजरने का मौका मिलता है। स्वल्पाहार के पश्चात् रात्रि को आठ बजे कवि सम्मेलन आरंभ हुआ।
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समारोह में उपस्थित श्रोतागण साहित्यकार |
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समारोह में उपस्थित श्रोतागण साहित्यकार |
अभिनंदन समारोह के बाद देर रात तक चले कवि सम्म्ेलन में सभी कवियों ने भ्रष्टाचार, समाज में फैली विद्रूपता, कन्या भ्रूण हत्या, सफाई व्यवस्था, आतंकवाद, आदि देश की समसामयिक घटनाओं पर कवितायें कहीं व्यंग्य सुनाये । आचार्य भगवत दुबे ने 'विक्रम के कंधे लगा सत्ता का बेताल, प्रश्न मछलियाँ हो गये उत्तर हुए घड़ियाल', इंजन को चला रहा जिनके तन का तेल, चल कर उनके पेट पर दिल्ली जाती रेल'सुना कर सत्ता पर कटाक्ष किया। नई दिल्ली की टी-वी-आर्टिस्ट एंकर कलाकार साहित्यकार ममता किरण ने बेटियों पर होने वाले जुर्म पर 'एक निर्णय भी नहीं मेरे हाथ में, कोख मेरी है, लेकिन बचा लूँ तुझे' कन्या भ्रूण हत्या पर रचना सुनाई, ।
दूसरे दिन 9 सितम्बर को सायं पाँच बजे शहर के बीचों बीच भारतेंदु समिति के वातानुकूलित हॉल में सैंकड़ों साहित्यकारों के बीच श्री भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के 162वें जन्मतिथि पर आयोजित भारतेंदु हरिश्चन्द्र जयन्ति महोत्सव में आमंत्रित साहित्यकारों को विभिन्न सम्मानों से नवाज़ा गया। साहित्यश्री, स्वरसुधा श्री,आचार्य हनुमान प्रसाद सक्सैना स्मृति सम्मान 2012 से कोटा नगर के साहित्यकारों सहित कोलकाता, दिल्ली, आसाम, आगरा, कानपुर, जबलपुर आदि से पधारे साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। सर्वप्रथम कोटा में
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स्वर सुधाश्री कोटा की सुश्री रेखा राव को |
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हनुमान प्रसाद सक्सैना स्मृति सम्मान
हैदराबाद के श्री नेहपाल वर्मा को
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भारतेंदु समिति के स्थापक की स्मृति में दिये जाने वाले हनुमान प्रसाद सक्सैना स्मृति सम्मान-2012 हैदराबाद के श्री नेहपाल वर्मा को दे कर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात् संगीत के क्षेत्र में नाम रोशन करने वाली एक नारी प्रतिभा को दिये जाने वाले पुरस्कार व सम्मान 'स्वर सुधाश्री' के लिए इस बार टी-वी- सीरियल 'बालिका वधु' के लिए टाइटल गीत 'छोटी सी उमर परणाई बाबो सा' और प्रख्यात मांड गीत 'केसरिया बालम आओ रे , पधारे म्हारे देस' एवं हाल ही आरंभ हुए सीरियल रामायण में भी रवींद्र जैन के साथ रामायण की चौपाइयाँ गाने वाली एवं सैंकड़ों राजस्थानी लोक गीतों के एलबम जिनके निकले हैं, कोटा की ही मशहूर गायिका 'सुश्री रेखा राव' को इस साल का यह सम्मान दिया गया। शेष सभी साहित्यकारों को 'साहित्यकार श्री' सेसम्मानित किया गया। सम्मान में पुष्प माला पहना कर प्रशस्ति पत्र,श्रीफल, शॉल और भारतेंदु हरिश्चंद्र के चित्र वाला मोमेंटो भेंट दिया गया। समारोह में आगरा के रामवीर शर्मा, कोटा के हितेश व्यास, कोटा के श्री प्रकाश नारायण मिश्र, हैदराबाद से ही आचार्य रत्नकला मिश्रा, गौहाटी असम से श्री चंद्रप्रकाश पौद्दार, दिल्ली से श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, कोटा के श्री भगवत सिंह जादौन मयंक, अटरूँ बारां, राजस्थान के श्री गोपाल नामेंद्र,जयपुर अवध विषादी,नई दिल्ली से श्रीमती ममता किरण, आगरा से डा0 रुचि चतुर्वेदी, नई दिल्ली से श्री आमेद कुमार, कोलकाता से कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड, प्रोफेसर श्याम लाल उपाध्याय, जबलपुर से आचार्य भागवत दुबे आदि को सम्मानित किया गया।
सचित्र समाचार -बाद में दुर्लभ हो जाते,यदि आप यह नेक कार्य समय निकल कर नहीं करते.यक़ीनन यह श्री भारतेंदु हरिश्चंद के १६२वेन जयंती महोत्सव की नयनाभिराम झांकी तों प्रस्तुत करते ही हैं और साथ ही महत्वपूर्ण दस्ताबेज बन गए हैं, जो आगे लंबे समय तक शोधादी सन्दर्भों में भी अहम भूमिका अदा करनेवाले हैं.बधाई व धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं-जन कवि डा. रघुनाथ मिश्र