सोमवार, 27 जुलाई 2015

तैलंगकुलम् समाज का पाँचवा प्रतिभा सम्‍मान एवं लाइफटाइम एचीवमेंट सम्‍मान समारोह 26 जुलाई, 2015 को जयपुर में सम्‍पन्‍न

सामुदायिक समन्‍वय, सौहार्द एवं सौमनस्‍यता सम्‍मान, साहित्‍य निधि सम्‍मान, विशिष्‍ट कला- साधना सम्‍मान, रंग पथिक सम्‍मान और रामादेवी भट्ट संस्‍कृति संवर्द्धन सम्‍मान भी दिये गये

बाये से- अध्‍यक्ष देवर्षि कलानाथ शास्‍त्री, मुख्‍य अतिथि, श्री बी0के0 तैलंग,
पूर्व IAS श्री जे0पी0 शर्मा, कुलम् अध्‍यक्ष श्री यदुनाथ भट्ट कुलम् प्रतिभा सम्‍मान
समारोह की परिचायिका का विमोचन करते हुए
कोटा। अपने पाँचवे  प्रतिभा सम्‍मान और लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्‍मान समारोह में सूचना केंद्र, जयपुर के खचाखच भरे रंगमंच हॉल में समाज के सैंकड़ों बुद्धिजीवी परिवारों के मध्‍य  दाक्षिणात्‍य वैल्‍लनाडु ब्राह्मण समाज का उत्‍तरोत्‍तर प्रगतिपथ पर अग्रसर मुखपत्र/पत्रिका तैलंगकुलम् का प्रतिवर्ष आयोजित प्रतिभा सम्‍मान समारोह इस वर्ष 26 जुलाई, 2015 को जयपुर में हर्षोल्‍लास के साथ सम्‍पन्‍न हुआ। कुलम् समाज के पदाधिकारियों व कार्यकारिणी के सदस्‍यों ने पधारे मुख्‍य अतिथि श्री ब्रजेश कुमार तैलंग, जयपुर विमान पत्‍तन प्राधिकरण के निदेशक, विशिष्‍ट अतिथि
भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्‍त श्री जगदीश चंद्र शर्मा, अध्‍यक्ष  जयपुर के संस्‍कृत मनीषी एवं भाषाविद् देवर्षि‍ श्री कलानाथ शास्‍त्री एवं सभी पधारे समाज बंधुओं व परिवारों का स्‍वागत किया । कार्यक्रम सरस्‍वती का पूजा अर्चन कर दीप प्रज्‍ज्‍वलन के साथ मथुरा से पधारीं संगीत साधिका श्रीमती वंदना तैलंग के सरस्‍वती गीत से हुआ। तत्‍पश्‍चात्र कुलम् के पदाधिकारियों द्वारा मंचस्‍थ अ‍तिथियों को माल्‍यार्पण के पश्‍चात् कुलम् समाज के पंचम लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड एवं प्रतिभा सम्‍मान समरोह के परिचायिका एवं वयम्-2 निदेशिका का विमोचन मंचस्‍थ अतिथियों ने किया।
श्रद्धांजलि देते हुए समाज के सभी पधारे अतिथि
सम्‍मान समारोह के आरंभ करने से पूर्व हाल ही 20 जुलाई, 2015 को समाज के दिवंगत हुए एक मनीषी के सम्‍मान में 2 मिनिट का मौन रख कर श्रद्धां‍जलि दी गयी।
सामुदायिक समन्‍वय, सौहार्द एवं सौमनस्‍यता सम्‍मान
 प्राप्‍त करते पूर्व IAS श्री जे0सी0 शर्मा
समारोह का आरंभ सर्वप्रथम समाज के पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री जे0 सी0 शर्मा को श्रीफल, प्रशस्तिपत्र, अंगवस्‍त्रम् और स्‍मृति चिह्न दे कर सामुदायिक समन्‍वय, सौहार्द एवं सौमनस्‍यता सम्‍मान दे कर किया गया। इसकी निरंतरता में कुलम् के लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2015 व अन्‍य सम्‍मान एवं पुरस्‍कार वितरण कार्यक्रम आरंभ हुआ।
 लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार इस बार तीन वरिष्‍ठ समाज सेवियों को दिया गया। पहला अवार्ड झालावाड़ के वरिष्‍ठ साहित्‍य सेवी, लगभग 25 पुस्‍तकों के लेखक, निबंधकार, सेवानिव़ृत्‍त पूर्व प्रधानाचार्य एवं जिला शिक्षाधिकारी, राजस्‍थान संस्‍कृत अकादमी के पूर्व निदेशक, निबंध संग्रह ''वैचारिकी'' पर राजस्‍थान साहित्‍य अकादमी द्वारा देवराज उपाध्‍याय  पुरस्‍कार प्राप्‍त एवं हिन्‍दी-संस्‍कृत भाषा के लिए जीवनपर्यन्‍त उत्‍कृट साहित्‍य सेवा के लिए 85 वर्षीय श्री गदाधर भट्ट को दिया गया।  अस्‍वस्‍थ होने के कारण वे सम्‍मान समारोह में उपस्थित नहीं हो सके। उनका यह सम्‍मान कोटा से पधारे डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' द्वारा ग्रहण किया गया। उन्‍हें भी इस सम्‍मान समारोह में डा0 प्रेमचंद गोस्‍वामी स्‍मृति पुरस्‍कार के लिए चयनित किया गया था। उन्‍हें श्री गदाधर भट्ट के लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार के तहत श्रीफल, प्रशस्ति पत्र, अंगवस्‍त्रम् और स्‍मृति चिह्न दे कर सम्‍मानित किया गया। दूसरा अवार्ड संगीत और वादन के क्षेत्र में समाज के वरिष्‍ठ वायलिन वादक  श्री सुरेश कुमार गोस्‍वामी, जयपुर को दिया गया। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रहे 67 वर्षीय श्री सुरेश कुमार गोस्‍वामी ने सुप्रसिद्ध सरोद वादक श्री दामोदर लाल काबरा से संगीत की उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त की और आकाशवाणी  व दूरदर्शन के 'ए' श्रेणी के कलाकार रहे हैं। आपको सुरसिंगार मुंबई द्वारा 'सुरमणि', राष्‍ट्रोदय फाउण्‍डेशन द्वारा भारतीय सांस्‍कृतिक सम्‍बंध परिषद् के सहयोग से 'राजस्‍थान-संगीत-रत्‍न' उपाधि से अलंकृत किया गया। आप राजस्‍थान संगीत नाटक अकादमी सहित अनेकों संस्‍थाओं द्वारा सम्‍मानित हैं। भारत के बड़े बड़े शहरों में आपने यादगार कार्यक्रम दिये। वे राजस्‍थान सरकार के उपक्रम कारखाना बायलर्स से अतिरिक्‍त निदेशक पद से सेव‍ानिवृत हुए। तीसरा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड संगीत और गायन के क्षेत्र में 75 वर्षीय श्री दिनेश चंद्र गोस्‍वामी, जयपुर को दिया गया । आपने प्रख्‍यात हवेली संगीतज्ञ श्री ढुंढि महाराज  से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की तथा उच्‍च व तकनीकी संगीत ज्ञान गांधर्व महाविद्यालय के पं0 बी0 के0 शर्मा तथा आगरा संगीत घराने के उस्‍ताद कादिर खाँ एवं ग्‍वालियर घराने के पं0 एस0 एस0 बोडस से प्राप्‍त की। आपको कई संगीत संस्‍थाओं द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, संगीत रसज्ञ, आउटस्‍टेंडिंग प्‍यूपिल ऑफ द ट्वेन्‍टीयथ सेन्‍चुरी अवार्ड से भी नवाजा गया।आप आकाशवाणी की ऑडिशन कमेटी के सदस्‍य, विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों, केंद्रीय विद्यालयों तथा दूरदर्शन द्वारा आयोजित संगीत प्रतियोगिताओं में प्रमुख निर्णायक के रूप में नामित किये गये।
डा0 प्रेमचंद गोस्‍वामी स्‍मृति अवार्ड 2015 ग्रहण करते चित्र खिंचवाते हुए बायें से कुलम के 
उपाध्‍यक्ष रवि गाेस्‍वामी, अध्‍यक्ष देवर्षि कलानाथशास्‍त्री, मुख्‍य अतिथि श्री बी0के0 तैलंग, 
डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल', विशिष्‍ट अतिथि श्री जे0सी0शर्मा, कुलम़ अध्‍यक्ष 
श्री यदुनाथ भट्ट और कुलम सचिव श्री भानुस्‍वरूप गोस्‍वामी 'भारवि'
श्री तटस्‍थ गोस्‍वामी प्रशस्ति पत्र और पत्र पुष्‍प प्रदान करते हुए 
वर्ष 2015 से आरंभ लेखन, पत्रकारिता और कला के क्षेत्र में पिछले 3 वर्षों में विशिष्‍ट कार्य करने वाले समाज के व्‍यक्तित्‍व को स्‍व0 डा0 प्रेमचंद्र गोस्‍वामी समृति पुरस्‍कार इस वर्ष के लिए लेखन के क्षेत्र में दिया जाना थां।  इस पुरस्‍कार के लिए वरिष्‍ठ साहित्‍य मनीषी देवर्षि कलानाथ शास्‍त्री की अध्‍यक्षता में गठित समिति  द्वारा उन्‍हें चयनित किया गया था। कोटा के समाज बंधु, साहित्‍यकार और जनकवि डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' को उनकी पुस्‍तक ''अब रामराज्‍य आएगा !!'' (लघुकथा संग्रह) पर दिया गया।  श्री भट्ट विगत 30 वर्षों से संगीत व साहित्‍य के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य कर रहे हैं। पिछले 3 वर्ष के उनके साहित्‍यि‍क अवदान के फलस्‍वरूप  पिछले 3 वर्षों में श्री 'आकुल'  की प्रकाशित एक पुस्‍तक ''अब रामराज्‍य आएगा !!'' (लघुकथा संग्रह) और 2 संकलनों 'कुण्‍डलिया कानन' और 'साहित्‍यकार-5' सहित राष्‍ट्रीय अंतर्राष्‍ट्रीय पत्र पत्रिकाओं, ई पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं के प्रकाशन के आधार और विगत साहित्यिक उपलब्धियों के लिए यह पुरस्‍कार उन्‍हें स्‍व0 डा0 प्रेमचंद गोस्‍वमी के पुत्र श्री तटस्‍थ गोस्‍वामी द्वारा प्रायोजित किया गया था। सम्‍मानस्‍वरूप प्रशस्ति पत्र, स्‍मृति चिह्न, अंगवस्‍त्र, श्रीफल और पत्र पुष्‍प के रूप में रु0 5100/- दे कर श्री आकुल को  सम्‍मानित किया गया। तैलंगकुलम् ने श्री आकुल को पिछले वर्ष भी विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर द्वारा 'भारतीय भाषा रत्‍न' उपाधि से सम्‍मानित किये जाने पर अपने प्रतिभा सम्‍मान समारोह में सम्‍मानित किया था।
साहित्‍य-निधि सम्‍मान के तहत 2 साहित्यकारों को सम्‍मानित किया गया। पहला सम्‍मान जयपुर के श्री सुभाष दीपक को उनके साहित्‍य सृजन (साहित्‍य-उपन्‍यास) में  यात्रा के अंतर्गत दिया गया। उनके 1 कहानी संग्रह और 3 उपन्‍यास प्रकाशित हो चुके हैं। आप मैकेनिकल इंजीनियर भी रहे हैं। वर्तमान में स्‍वतंत्र लेखन व अनुवाद कार्य में संलग्‍न हैं। दूसरा सम्‍मान जयपुर की जानी-मानी कवयित्री श्रीमती जया गोस्‍वामी को दिया गया। आप देवर्षि श्री कलानाथ शास्‍त्री की बहिन एवं पूर्व आई0ए0एस0 श्री हेमन्‍त शेष की मातुश्री हैं। आपने 'वैदिक सौर देवता' पर शोध भी किया है। आपके 3 ग़ज़ल संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं। आप चित्रकला ओर शिल्‍पकला में भी प्रवीण हैं। आपकी कई वार्ताएँ आकाशवाणी से प्रसारित हो चुकी हैं।
विशिष्‍ट कला-साधना सम्‍मान के तहत विश्‍वविख्‍यात साधकों ध्रुवपद गायिका डा0 मधु भट्ट तैलंग, जयपुर , 'सात्विक वीणा' वादक श्री सलिल भट्ट, जयपुर, शास्‍त्रीय गायन एव प्रशिक्षण में श्रीमती वंदना तैलंग, मथुरा और श्री आलोक भट्ट, जयपुर को, कार्टून केरीकेचर के क्षेत्र में श्री सुधीर गोस्‍वामी , जयपुर और पेंटिंग- मिनीयेचर में श्री शिशिर भट्ट, जयपुर को सम्‍मानित किया गया।
डा0 मधु भट्ट तैलंग, ध्रुवपद के प्रख्‍यात गायक पं0 लक्ष्‍मण भट्ट की पुत्री हैं। उन्‍होंने अपने पिता से गायकी सीखी और परवान चढ़ाई।  अापने इनसे ग्‍वालियर और डागर घराने की ध्रुवपद ख्‍याल शैली में उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त की। आपके दिग्‍दर्शन में लग्‍ाभग शताधिक ध्रुवपद प्रशिक्षण कार्यशालायें आयोजित की जा चुकी हैं। आप अपने पिता संचालित संस्‍थाओं 'रसमंजरी संगीतोपासना केंद्र, इंटरनेशनल ध्रुवपद-धाम ट्रस्‍ट की ट्रस्‍टी एवं प्रभारी हैं। आपने राष्‍ट्रीय स्‍तर की अठारह अखिल भारतीय ध्रुवद समारोहों का सफल आयोजन किया है।
डा0 मधु भट्ट तैलंग विशिष्‍ट कला साधना पुरस्‍कार लेते हुए 
आपने निमंत्रण पर न्‍यूयार्क, हेम्‍पशायर, मैरीलेण्‍ड, वांशिगटन, न्‍यू आयरलेण्‍ड, मैसेच्‍युएस्‍ट सहित यूएसए के विभिन्‍न शहरों में अमेरिकन विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया है। आपने कई राग-मालाओं की भी रचना की है। रावीन्‍द्रनाथ टैगोर की रचना व राजस्‍थानी मांड का क्रमश: बांग्‍ला-ध्रुवपद व ध्रुवपद में किया गया रूपान्‍तरण तथा कबीर, तुलसी, निराला, मीरा, घनानंद, दुष्‍यन्‍त आदि की रचनाओं का अपने कोकिल कंठी गायन से प्रशंसा पाई है। आपके अनेक वीडियों एवं एलबम्‍स जारी हो चुके हैं। आपको अनेकों सम्‍मान प्राप्‍त हो चुके हैं, जिनमें प्रमुख हैं- आकाशवाणी का ध्रुवपद गायन प्रतियोगिता में स्‍वर्ण पदक (1982), महाराणा मेवाड़ फाउण्‍डेशन के डागर घराना अवार्ड, सुरसिंगार संसद से सुरमणि, शान-ए-मौसिकी, वाराणसी महाराजा के स्‍वर्ण पदक एवं राष्‍ट्रीय स्‍वाति तिरुन्‍नाल अवार्ड, राष्‍ट्रीय जावित्री देवी प्रतिभा सम्‍मान, संस्‍था ए0बी0सी0, यू0एस0ए0 की वीमेन एडवाइजरी बोर्ड की मानद सदस्‍यता एवं मेसेज्‍यूएस्‍ट यूनिवर्सिटी, यू0एस0ए0 का सम्‍मान, महाराजा मानसिंह-द्वितीय ट्रस्‍ट द्वारा महारानी किशोर कँवर अवार्ड आदि ।
तंत्री सम्राट् श्री सलिल भट्ट पुरस्‍कार ले कर जाते हुए 
श्री सलिल भट्ट प्रयोगधर्मी गिटारवादक रहे हैं। उन्‍होंने अपने पिता पद्मश्री पं0 विश्‍वमोहन भट्ट के पदचिह्नों पर चलते हुए सात्विक वीणा का अन्‍वेषण किया और प्रतिष्‍ठा पाई। 'ग्‍लोबल इंडियन' की उपाधि से विभूषित भी सलिल भट्ट ने विगत 25 वर्षों में अनेक सांगीतिक यात्रायें की और अनेक देशों में अपनी एकल प्रस्‍तुतियाँ दीं और अनेक यादगार जुगलबंदियाँ भी दीं। आप देश के ऐसे पहले कलाकार रहे हैं जिन्‍होंने 2005
में जर्मनी की पार्लियामेंट, आइसलेण्‍ड जैसे सुदूरवर्ती देश में वहाँ की संसद एवं तत्‍कालीन भारतीय राष्‍ट्रपति के लिए वीणावादन किया। आपने कनाडा, जर्मनी, आस्‍ट्रेलिया, अमेरिका, ताइवान, इंग्‍लैण्‍ड स्विटजरलैंड, आइसलेंड, आयरलेंड, स्‍कॉटलेंड, आस्ट्रिया, स्‍पेन, सिंगापुर, खाड़ी देशों व कॉमनवेल्‍थ के कई देशों में अपने कार्यक्रम से भारत की ख्‍याति पहुँचाई। अब तक प्राप्‍त पुरस्‍कारों व सम्‍मान में आपको प्रमुख अवार्ड  तंत्री सम्राट उपाधि, महंत बिहारीदास राष्‍ट्रीय संगीत सम्‍मान, राष्‍ट्रीय संगीत गौरव, महाराणा मेवाड़ फाउण्‍डेशन, अभिनव कला सम्‍मान, महाकाल संगीत त्‍न, इंटरनेशनल अचीवर्स अवार्ड, राग-भविष्‍य सम्‍मान, हरिदास संगीत सम्‍मान, पं0 औंकारनाथ ठाकुर अवार्ड और राजस्‍थान गौरव सम्‍मान से भी उन्‍हें नवाजा जा चुका है।  आपका कनाडा के जूनो अवार्ड, ग्रासरूट ग्रैमी अवार्ड तथ्‍ज्ञा प्रिग्रेमी अवार्ड के लिए भी नॉमिनेशन किया जा चुका है। आपके जारी एलबम में स्ट्रिंग्‍स अाफ फ्रीडम, स्‍वरशिखर, सोपान, स्‍लाइड टू फ्रीडम, मुम्‍बई टू म्‍यूनिख, जेनरेशन सीरीज़, सात्विक साउण्‍ड्स, कर्नाटका'ज वीणा जुगलबंदी, रिलेक्‍स,रेविटलाइज्‍ड आदि विश्‍वभर में सुने जाते हैं।
श्रीमती वंदना तैलंग पुरस्‍कार प्राप्‍त करते हुए 
श्रीमती वंदना तैलंग, मथुरा स्‍व0 आनंद बिहारीजी की पुत्री हैं, जो स्‍वयं एक सिद्धहस्‍त गायक व संगीत शिक्षक थे। श्रीमती वंदनाजी ने 'ब्रज की होली' विषय पर शोध करके पीएच0 डी0 की उपाधि ग्रहण की। आपने सम्पूर्ण भारत के बड़े बड़े सांस्‍कृतिक शहरों व संगीत संस्‍थाओं में अपनी गायन प्रतिभा का परिचय दिया है। साथ ही उनकी वैदेशिक यात्रा भी यादगार रही हैं। आपने बगदाद, जोर्डन, टर्की व इजिप्‍ट में अनेक मंचों पर नृत्‍य और गायन की एकल प्रस्‍तुतियाँ दी हैं। ऱाजस्‍थान संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, स्‍वामी हरिदास संगीत संस्‍थान अवार्ड, हिन्‍दी साहित्‍य परिषद् बुंदेलखंड, बृज साहित्‍य मंडल, जोधपुर, राग-अनुराग संगीत कला मंच मथुरा, रसमंजरी संस्‍थान, जयपुर, स्‍वावलंबी कला केंद्र मथुरा, श्रीकृष्‍ण जन्‍मस्‍थान समिति, मथुरा, आदि अनेकों सम्‍मान प्राप्‍त किये हैं। आपकी 'ब्रज के रसिया' की एक कैसेट भी जारी की गयी। 'ब्रज के लोकगीत एवं लोक पर्वों का सांगीतिक अध्‍ययन' विषय पर केंद्रित एक वृहद् मौलिक ग्रन्‍थ का प्रणयन भी आपने किया है। आप अपने पिता की स्‍थापित संस्‍थाओं 'श्री आनंद-नाद मंदिर' तथा 'संगीत साधाना स्‍थली' का मथुरा में संचालन कर रही है।
श्री आलोक भट्ट, जयपुर गायकी की शास्‍त्रीय और अर्द्धशासकीय विधा में निष्‍णात अपनी स्‍वर साधना के लिए समाज में ही नहीं राज्‍य व देश में प्रख्‍यात है। संगीत नाटक अकादमी, जवाहर कला केंद्र सहित अनेक मंचों पर आपकी प्रस्‍तुतियों को सराहा गया है। आप आकाशवाणी, जयपुर केंद्र में संगीत के कार्यक्रम अधिकारी हैं। हाल ही में आपको गायन के क्षेत्र में अप्रतिम सेवाओं के लिए अलवर में आयोजित समारोह में स्‍व0 पं0 रघुवीर शरण भट्ट स्‍मृति पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया। तैलंगकुलम् ने पिछले वर्ष भी आपको सम्‍मानित किया था।
श्री सुधीर गोस्‍वामी, जयपुर/ बीकानेर कार्टून केरीकेचर विधा में सिद्धहस्‍त हैं। कार्टून नगरी के नाम से समाज में प्रख्‍यात बीकानेर के घर-घर में कार्टून चितेरे इस विधा को जीवंत रखे हुए हैं। श्री सुधीर गोस्‍वामी ने अपनी कार्टून यात्रा हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स के साप्‍ताहिक संस्‍करण 'साप्‍ताहिक हिन्‍दुस्‍तान' से आरंभ की। फि‍र उन्‍होने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। आपके व्‍यंग्‍य चित्र देश के लगभग सभी प्रमुख हिंदी, अग्रेजी, पंजाबी पत्र-पत्रिकाओं यथा इंडियन एक्‍सप्रेस, दी ईवनिंग न्‍यूज, दिल्‍ली, दी इंडिपेंडेंट , द टे‍लीग्राफ, दी सन---आनलुकर, पंजाबी ट्रिब्‍यून आदि में प्रकाशित होते रहे हैं। आपने दूरदर्शन, आकाशवाणी, ईटीवी तथा बीबीसी हिंदी डॉट काॅम पर अपनी कार्टून प्रतिभा का प्रदर्शन सफलता से किया है। 1993 में आप राजस्‍थान पत्रिका जयपुर में चीफ एडिटोरियल कार्टूनिस्‍ट बने। ज्‍वलंत राष्‍ट्रीय व अंतर्राष्‍ट्रीय विषयों जैसे- अयोध्‍या, कारगिल, चुनाव आदि विषय पर उनके व्‍यंग्‍य चित्रों ने बड़ी-बड़ी कार्टून पत्रिकाओं में सम्‍मानजनक स्‍थान पाया।  वर्तमान में श्री सुधीर 'इंजि' जयपुर में राष्‍ट्रव्‍यापी 'चिल्‍ड्रेन्‍स कॉमिक स्ट्रिप्‍स', 'पुस्‍तकें' व '2डी एनीमेशन' पर कार्यरत हैं। वे एक कुशल ब्‍लॉग राइटर भी है।
श्री शिशिर भट्ट पुरस्‍कार प्राप्‍त करते हुए 
श्री शिशिर भट्ट, जयपुर विगत 3 दशकों से सृजनरत ऐसे पें‍टर-मिनिएचर हैं, जिन्‍हें यह कला न विरासत में मि ली और न ही इन्‍होंने इसके लिए काई औपचारिक पाठ्यक्रम किया। आज उनके चित्र उनकी अपनी संकल्‍पनाओं से उकेरी रचनायें हैं। आपके चित्रों की विभिन्‍न कला वीथियों में प्रदर्शन हो चुका है। पिछले 30 वर्षों में श्री शिशिर की चित्र प्रदर्शनियाँ देश में ही नहीं विदेशों में भी चर्चित रही हैं। उनकी कला का इससे बड़ा और क्‍या पुरस्‍कार हो सकता है कि उनके चित्र अमेरिकी राष्‍ट्रपति के राजकीय निवास व्‍हाइट हाउस की शोभा में अभिवृद्धि कर रही है। उनके चित्रों का प्रदर्शन यूएसए, लंदन सहित कई देशों में हो चुका है। उनके चित्र पहले पौराणिक विषयों के साथ साथ भारतीय शास्‍त्रीय संगीत की राग रागनियों एवं लोक-संस्‍कृति तूलिका का विषय हुआ करते थे, अब वे आधुनिक कला माध्‍यम पर भी कार्य कर रहे हैं।
रंग-पथिक सम्‍मान मुंबई के आमोद भट्ट , जयपुर के श्री शेखर शेष और जयपुर के श्री विनोद भट्ट व सुरेश गोस्‍वामी 'सुरेशजी' को दिया गया। ये चारों रंगमंच और दूरदर्शन के जाने माने कलाकार हैं। श्री आमोद भट्ट नाट्य रंककर्म में पार्श्‍व संगीत को समर्पित हैं। उन्‍होंने देश विदेशों में शताधिक प्रस्‍तुतियाँ दी हैं। उन्‍होंने अपनी शिक्षा औंकारनाथ ठाकुर के शिष्‍य एवं रंग निदेशक पद्मश्री बी0वी0कारंथ के मार्गदर्शन में ग्रहण की। उनकी प्रस्‍तुति में शेक्‍सपीयर के ग्‍लॉब थियेटर, लंदन, 2012 में तथा सिंगापुर नाट्य समारोह, लाहौर (पाकिस्‍तान) की प्रस्‍तुतियाँ प्रमुख है। टाइम्‍स म्‍यूजिक और एच0एम0वी0 म्‍यूजिक कम्‍पनियों ने आपके एलबम भी जारी किये हैं। आप फि‍ल्‍मों में भी सक्रिय हैं। आपने भोजपुरी फि‍ल्‍म 'कन्‍यादान' में भी संगीत दिया है। हाल ही में आपको चाणक्‍य फेम डा0 चंद्रप्रकाश द्विवेदी निर्देशित 'उपनिषद गंगा' के लिए रंगसंगीत की रचना पर 2013 के इंडियन टेली अवार्ड से नवाजा गया है। श्री शेखर शेष स्‍वांत: सुखाय अपने रंगकर्मी जीवनसाथी के साथ रंगमंचीय सेवा से जुड़े हुए हैं, वे पारिवारिक परिवेश व पहचान से दूर 'शेष' हो गये किंतु तैलंगकुलम् ने उन्‍हें ढूँढ निकाला और इस अवसर पर सम्‍मानित किया। श्री विनोद भट्ट और श्री सुरेश गोस्‍वमी 'सुरेशजी' पारिवारिक सदस्‍य भी हैं और दोनों ही लगभग साथ साथ अनेक रंगमंचीय, दूरदर्शन और फि‍ल्‍मी रंगकर्म से जुड़े हुए हैं। श्री विनोद भट्ट जयपुर रंगमंच का  एक जाना-माना नाम है। आपके अभिनीत नाटकों में ''एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ, उधार का पति, फैसला, सत्‍यवादी हरिश्‍चंद्र, खुशियाँ लुटाते जा, पोस्‍टर, आम्रपाली, खजुराहो का शिल्‍पी, चीफ मिनिस्‍टर, बलि का बकरा, दूधाँ, खेजड़ी की बेटी, अरे शरीफ लोग, घासीराम कोतवाल, दंगा, आरोपी हाजिर हो'' आदि विभिन्‍न प्रेक्षागृहों में कई बार मंचित हुई हैं। उक्‍त नाटकों में अभिनय को सँवारते पहचान बनाते हुए आपकी रंगकर्म यात्रा फि‍ल्‍मों तक उन्‍हें ले आई और दूरदर्शन के इस वरिष्‍ठ कलाकार  को श्‍याम बेनेगल के धारावाहिक यात्रा(1985), संजय खान के धारावाहिक 'टीपू सुलतान' (1990) तथा 'ग्रेट मराठा' (1994) के अलावा दूरदर्शन धारावाहिक ''दायरे, हँसगुल्‍ले, अजब-गजब, चूरमा-दाल-बाटी, भ्‍ाोर, अंधेर नगरी चौपट राजा, सांची बात सभी जग जाणी, खिलखिलाहट'' में अभिनय करने का मौका मिला, टेलीफि‍ल्‍म 'बिन चेहरों के चेहरे', 'पन्‍नाधाय, आशा, जागृति' के अलावा राजस्‍थानी फीचर फि‍ल्‍म 'नानीबाई रो मायरो' में भी आप बतौर चरित्र अभिनेता लोकप्रिय रहे हैं। आपके 400 नाट्य एकांश, फीचर्स एवं हास्‍य झलकियों में उनके द्वारा बोले गये संवाद आज भी गुजायमान होते हैं।
पुरस्‍कार प्राप्‍त करते श्री सुरेश गोस्‍वामी 'सुरेशजी'
श्री सुरेशजी ने 1997 में राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय, जयपुर से नाट्यकला में डिप्‍लोमा प्राप्‍त करने के बाद रंगयात्रा आरंभ की और तीन दशक में अपना एक विशि‍ष्‍ट स्‍थान बनाया। आपने भी नामचीन नाट्य निदेशकों यथा वासुदेव भट्ट, भानु भारती, एस0 वासुदेव, सरताज माथुर, डी0एन0 शैली, बेनी प्रसाद शर्मा, रवि झांकल, बृजमोहन व्‍यास, विजय माथुर, राजेश रेड्डी, साबिर खान, सुशील नागर आदि के सान्निध्‍य में अपने आप को निखारा। आपने अनेकों नाटकों व प्रख्‍यात दूरदर्शक धारावाहिक ''टीपू सुल्‍तान'' और ''द ग्रेट मराठा'', टेली फि‍ल्‍म 'जमीन', राजस्‍थानी फि‍ल्‍म ''चाँदा थारी चाँदनी'' और ''नानी बाई को मायरो'' में काम किया है। आप जयपुर की नाट्य संस्‍था 'रंगला' के संस्‍थापक सचिव है।

 

चित्र में 1- शिवानी गोस्‍वामी 2- आभार भट्ट 3- श्रीमती श्‍वेता गोस्‍वामी
सम्‍मान समारोह के अंत में सभी प्रतिभाशाली बच्‍चों को पुरस्‍कृत किया गया। विभिन्‍न राज्‍य में रह रहे परिवारों के 14 बच्‍चों द्वारा माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड में 75 प्रतिशत से अधिक व केंद्रीय बोर्ड के सीएपीजी में 8 व उससे अधिक ग्रेड प्राप्‍त बच्‍चों को सम्‍मान पत्र और पत्र पुष्‍प प्रदान किये गये। श्रीमती श्‍वेता गोस्‍वामी, भोपाल द्वारा बरकतुल्‍लाह विश्‍वविद्यालय, भोपाल से ''अष्‍टछाप कवि कृष्‍णदास एवं परमानन्‍द दास के काव्‍य का तुलनात्‍मक अध्‍ययन'' विषय पर  शोध कर 2014 में पीएच0डी0 उपाधि प्राप्‍त करने पर उन्‍हें सम्‍मानित किया गया। 

















समारोह में उपस्थित परिवार सहित पधारे समाज बंधु एवं अतिथिगण
समारोह में उपस्थित परिवार सहित पधारे समाज बंधु एवं अतिथिगण
                        अंत में पधारे मुख्‍य अतिथि श्री बी0के0 तैलंग ने विमान पत्‍तनम की आज की महती आवश्‍यकता के अंतर्गत 15 दिवसीय मुफ्त प्रशिक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि किसी भी समाज के युवा इंजीनियरों को विशिष्‍ट प्रशिक्षण आरंभ किया गया है, जिसके लिए वे उनसे कभी भी सम्‍पर्क कर सकते हैं। उन्‍होंने समाज की प्रतिभाओं के बारे में जान कर समाज के गौरवशाली इतिहास के बारे में सराहा। श्री जगदीश चंद्र शर्मा ने अपने विशिष्‍ट अतिथि भाषण में कहा कि समाज में कला साहित्‍य और संस्‍कृति के विश्‍वस्‍तरीय कलाकार, साहित्‍यकार और संगीतकार के रूप में होना इसकी महत्‍ता को बढ़ाता है। आज प्रशासनिक क्षेत्र में भी मेरे बाद श्री हेमंत शेष का भारतीय सेवा में होना भी इस बात का गौरव है कि समाज में आज भी उसी परम्‍परा को जीवंत रखा जा रहा है, जो आंध्र से 500 वर्ष पूर्व हमारे समाज के बुद्धिजीवी यहाँ आये और अपनी विद्वत्‍ता का झंडा गाड़ा और राजाश्रय प्राप्‍त कर यहीं बस गये। उन्‍होंने तैलंगकुलम् समाज द्वारा पिछले पाँच वर्षों में उत्‍तरोत्‍तर प्रगति का प्रतिमान स्‍थापित करने पर बधाई दी और समाज के मुखपत्र 'तैलंगकुलम्' के स्‍तरीय प्रकाशन की प्रशंसा की। अपने अध्‍यक्षीय भाषण में देवर्षि कलानाथ शास्‍त्री ने कहा कि हमारा इतिहास गौरवमयी इतिहास रहा है। हमारा समाज देश में एक मात्र ऐसा समाज है
अध्‍यक्षीय उद्बोधन करते श्री कलानाथ शास्‍त्री 
जिसके 500 सौ वर्ष पूर्व का इतिहास संकलित है, जिसका उदाहरण है हमारे पास 500 वर्ष पूर्व के पूर्वजों द्वारा निरंतर संकलित किया जा रहा वंशवृक्ष जो पिछले वर्ष संवर्द्धित कर नये कलेवर में प्रकाशित किया गया। आज हमारे समाज की निर्देशिका भी संशोधित रूप में नये परिवारों को जोड़ते हुए 'वयम्-2' प्रकाशित की गयी है, आज समाज को एक नई दिशा दे रही है। आज जयपुर में आंध्र समाज भी अपना स्‍थान बना रहा है। हम भी आंध्र से आये और यहाँ बस गये किंतु वहाँ की भाषा तेलुगू हम बोलना समझना पढ़ना भूल गये। यहाँ के आंध्रसमाज और हमारे समाज के लोग एक है, हम सब का डीएनए एक ही है। हम उनसे भी जुड़ें। तैलंगकुलम् का वैभव दिनोंदिन बढ़ रहा है। समाज के लिए संजीवनी का कार्य कर रही पत्रिका ''तैलंगकुलम्'' का स्‍तरीय होना इस बात का द्योतक है कि हमारा समाज आज भी शिक्षा साहित्‍य और तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी है। यहाँ की प्रतिभायें भविष्‍य के लिए एक धरातल तैयार कर रही हैं जो संतोषजनक है।
कार्यक्रम के अंत में सभी सम्‍मानित प्रतिभाओं के साथ एक सामूहिक फोटो सेशन हुआ।
बायें से दायें (प्रथम पंक्ति)- श्री रवि गोस्‍वामी, देवर्षि श्री कलानाथ शास्‍त्री, श्री बी0के0तैलंग, श्री जे0सी0 शर्मा, श्री यदुनाथ भट्ट, श्री आलोक भट्ट, श्री---, (द्वितीय प‍ंक्ति)- श्रीमती श्‍वेता गोस्‍वामी, श्रीमती जया गोस्‍वामी, श्रीमती वंदना तैलंग, डा0 मधु भट्ट तैलंग, श्रीमती सावित्री देवी भट्ट , श्रीदिनेश चंद्र गोस्‍वामी, डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल', श्री शिशिर भट्ट, श्री सुरेश गोस्‍वामी 'सुरेशजी'
कुलम् के अध्‍यक्ष यदुनाथ भट्ट ने अंत में पधारे सभी अतिथियों, परिवारों, प्रतिभाओं का आभार प्रकट किया और अल्‍पाहार का आग्रह किया। कार्यक्रम के समापन के बाद सभी उपस्थित परिवार एक दूसरे से मिल कर अल्‍पाहर ले कर विदा हुए।                


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