समारोह में उनकेे गीत संग्रह 'नवभारत का स्वप्न सजाएँँ' के लिए उन्हें 'विद्योत्तमा साहित्य सम्मान' से अलंकृत किया
नाशिक। दिनांक 16 अक्टूबर, रविवार को महाराष्ट्र की पुण्यभूमि त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग, सिंहस्थ तीर्थ और दक्षिण की गंगा गोदावरी के तट पर बसे नाशिक के पूर्तकोटि सभागार में अखिल हिन्दी साहित्य सभा
'आकुल' को दिया गया विद्योत्तमा सम्मान |
श्रीमती मनीषा अधिकारी, डाइरेक्टर,एसडब्ल्यूएस फाइनेंशियल सोल्यूशंस एवं सम्मानित किये जाने वाले सम्मानार्थियों एवं अहिसास के अध्यक्ष श्री सुबोध मिश्र एवं लेखक 'आकुल' के करकमलों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित 'अहिसास' के सदस्यों व शहर के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति से कार्यक्रम गुंजायमान हो गया। साथ ही इस अवसर पर समारेाह की स्मारिका विद्याभारती,
समारोह की स्मारिका विद्याभारती का लोकार्पण करते हुए अतिथि |
हिन्दी पत्रिका 'सार्थक नव्या' केे अक्टूबर के अंक 'विदर्भ विशेषांक' का भी विमोचन हुआ। इस अवसर पर डा0 आकुल द्वारा नवगीत संग्रह का परिचय देते हुए बताया गया कि यह पुस्तक सम्मानित पुस्तक 'नवभारत का स्वप्न सजाएँँ' और नवगीत संग्रह दोनों एक साथ प्रकाशित हुई हैं, नवगीत संग्रह आज के भारतीय परिवेश में व्याप्त विद्रूपताएँँ, विषमताओं पर जन जन केे मानसिक द्वंद्व का नवगीत के रूप में प्रस्तुतीीकरण है और उसका समाधान ले कर गीत संग्रह 'नवभारत का स्वर्ग सजाएँँ' बनाया है। उन्होंने संक्षिप्त में परिचय को यह कह कर खत्म किया कि आज भारत में गली-गली में छोटी से छोटी समस्याओं पर विद्रोह जैसी स्थिति बनी हुई है, आज का
अहिसास की पत्रिका 'सार्थक नव्या' का लोकार्पण करते अतिथि |
भारत, भारत नहीं रहा, महाभारत हो गया है, फिर भी मेरा भारत अपनी अक्षुण्ण संस्कृति और सभ्यता के बलबूते खुशहाल है। उन्होंने अंत में अपने नवगीत संग्रह का एक गीत सुना कर - 'जोश अभी भी नहीं हुआ कम, देश मेरा खुशहाल है' श्रोताओं से दाद बटोरी और वाणी को विराम दिया। विमोचन के बाद सम्मानित सदस्यों का परिचय और मंच पर उपस्थिति अतिथियों द्वारा पत्र पुष्प, शॉल, प्रशस्ति पत्र और पुष्पगुच्छ एवं स्मारिका 'विद्याभारती' व 'सार्थक नव्या' दे कर उन्हें सम्मानित किया गया।
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