मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

आकुल के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का विमोचन 'अहिसास' के राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मान समारोह नाशिक में सम्‍पन्‍न

समारोह में उनकेे गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' के लिए उन्‍हें 'विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान' से अलंकृत किया
'आकुल' के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का विमोचन करते अतिथि बाये से हैदराबाद के श्री सप्‍पति, अहिसास के अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र, एलआईसी मंडल प्रबंधक श्री शैणै, वैज्ञानिक (बार्क) श्री  विपुल सेन, अध्‍यक्ष समारोह श्रीमती मनीषा अधिकारी,  सम्‍मानित लेखक डा0 रामसनेही लाल यायावर, रमेश यादव, आकुल और एक अन्‍य अतिथि

नाशिक। दिनांक 16 अक्‍टूबर, रविवार को महाराष्‍ट्र की पुण्‍यभूमि त्रयम्‍बकेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग, सिंहस्‍थ तीर्थ और दक्षिण की गंगा गोदावरी के तट पर बसे नाशिक के पूर्तकोटि सभागार में अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा
'आकुल' को दिया गया विद्योत्‍तमा सम्‍मान
(अहिसास) के पहले राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मान एवं हास्‍य कवि सम्‍मेलन भव्‍य गरिमा के साथ सम्‍पन्‍न हुआ। इस समारेाह में विभिन्‍न प्रान्‍तों यथा, कर्नाटक, राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, मध्‍यप्रदेश और उत्‍तर प्रदेश से पधारे साहित्‍यकारों को उनकेे द्वारा हिन्‍दी में की जारही सेवा को ध्‍यान में रखते हुए विभिन्‍न पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया गया। इस अवसर पर कोटा के डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' केे सद्य प्रकाशित नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का लोकार्पण हुअा मंच पर उपस्थिति विद्वान् मनीषियों यथा भाभा एटोमिक रिसर्च परिषद  (बार्क) के वैज्ञानिक श्री विपुल सेन, श्री प्रदीप शैणे, वरिष्ठ  प्रबंध मंडल जीवन बीमा निगम,
श्रीमती मनीषा अधिकारी, डाइरेक्‍टर,एसडब्‍ल्‍यूएस फाइनेंशियल सोल्‍यूशंस एवं सम्‍मानित किये जाने वाले सम्‍मानार्थियों एवं अहिसास के अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र एवं लेखक 'आकुल' के करकमलों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित 'अहिसास' के सदस्‍यों व शहर के गणमान्‍य नागरिकों की उपस्थिति से कार्यक्रम गुंजायमान हो गया। साथ ही इस अवसर पर समारेाह की स्‍मारिका विद्याभारती, 
समारोह की स्‍मारिका विद्याभारती का लोकार्पण करते हुए अतिथि
हिन्‍दी पत्रिका 'सार्थक नव्‍या' केे अक्‍टूबर के अंक 'विदर्भ विशेषांक' का भी विमोचन हुआ। इस अवसर पर डा0 आकुल द्वारा नवगीत संग्रह का परिचय देते हुए बताया गया कि यह पुस्‍तक सम्‍मानित पुस्‍तक 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ'  और नवगीत संग्रह दोनों एक साथ प्रकाशित हुई हैं, नवगीत संग्रह आज के भारतीय परिवेश में व्‍याप्‍त विद्रूपताएँँ, विषमताओं पर जन जन केे मानसिक द्वंद्व का नवगीत के रूप में प्रस्‍तुतीीकरण है और उसका समाधान ले कर  गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वर्ग सजाएँँ' बनाया है। उन्‍होंने संक्षिप्‍त में परिचय को यह कह कर खत्‍म किया कि आज भारत में गली-गली में छोटी से छोटी समस्‍याओं पर विद्रोह जैसी स्थिति बनी हुई है, आज का 
अहिसास की पत्रिका 'सार्थक नव्‍या' का लोकार्पण करते अतिथि
भारत, भारत नहीं रहा, महाभारत हो गया है, फिर भी मेरा भारत अपनी अक्षुण्‍ण संस्‍कृति और सभ्‍यता के बलबूते खुशहाल है। उन्‍होंने अंत में अपने नवगीत संग्रह का एक गीत सुना कर - 'जोश अभी भी नहीं हुआ कम, देश मेरा खुशहाल है'  श्रोताओं से दाद बटोरी और वाणी को विराम दिया। विमोचन के बाद सम्‍मानित सदस्‍यों का परिचय और मंच पर उपस्थिति अतिथियों द्वारा पत्र पुष्‍प, शॉल, प्रशस्ति पत्र और पुष्‍पगुच्‍छ एवं स्‍मारिका 'विद्याभारती' व 'सार्थक नव्‍या' दे कर उन्‍हें सम्‍मानित किया गया।  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें