बुधवार, 22 अगस्त 2012

'सान्निध्‍य' ब्‍लॉग ने 100 प्रविष्टियाँ पूरी कीं

जनवरी 2009 से आरंभ 'सान्निध्‍य' ब्‍लॉग ने भाईचारा बढ़े प्रविष्‍ट के साथ ही अपने 100 वीं प्रविष्टि का सफ़र पूरा कर लिया।  यह मेरे सृजन को समर्पित ब्‍लॉग है। इसे अभी और उन्‍नत बनाना है। मेरी प्रिय रचनाओं का यह चिट्ठा परिपूर्ण नहीं है। इस ब्‍लॉग को अभी लोगों तक पहुँचना है। लोग इसे पढ़ रहे हैं लेकिन टिप्‍पणी नहीं कर रहे। शायद कोई कमी है, मुझे शीघ्र ही उन्‍हें इससे ज्‍यादा से ज्‍यादा जोड़ने का प्रयास करना है। मेरी रचनाओं को लोगों ने काव्‍यगोष्ठियों में,  मित्रों ने, सराहा है और रचनायें कई ई-पत्रिकाओं अनुभूति-अभिव्‍यक्ति , व देश की अनेकों पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। रोज मैं ब्‍लॉग पर नहीं बैठ पाता। मैंने तय किया था कि 2013 तक अपनी 100 प्रविष्टियाँ पूरी कर लूँगा जो हालाँकि बहुत ही धीमी गति की प्रगति हैं, फि‍र भी मैं संतुष्‍ट हूँ । मैंने यह माइल स्‍टोन 4 ½  वर्ष में छुआ है। मेरी फीडजिट के आधार पर लग रहा है कि देश-विदेश के पाठक धीरे धीरे इस ब्‍लॉग पर भ्रमण कर रहे है। मेरी निम्‍न प्रविष्टियाँ काफी पाठकों द्वारा ब्‍लॉग पर भ्रमण कर पढ़ी गयी हैं-कब गरमी की रुत जाये, आज जो भी है वतन सावन जाने को है,यदा यदा हि धर्मस्‍य,मंगलमय हो स्‍वतंत्रता का स्‍वर्णिम पावन पर्वकितने रावण मारे अब तक  , प्रकाश पर्व  , गत एक वर्ष में राष्‍ट्रभाषा हिन्‍दी ने क्‍या खोया क्‍या पाया , गणेशाष्‍टक, मंगलमय हो स्‍वतंत्रता का शीघ्र ही मैं इसे उन्‍नत करने के प्रयास में लगा हूँ। मुझे पूरा विश्‍वास है कि नये वर्ष 2013 से ब्‍लॉग पर रोज कुछ नया प्रस्‍तुत कर सकूँ और ज्‍यादा से ज्‍यादा ब्‍लॉग पर नयी नयी सामग्री प्रस्‍तुत कर सकूँ, जिससे कि ब्‍लॉग को और अधिक पाठक मिलें। किमधिकम्।

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