मंगलवार, 8 नवंबर 2016

सोमवार, 7 नवंबर 2016

तैलंगकुलम् के प्रतिभा सम्‍मान समारोह में 'आकुल' केे गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' का लोकार्पण हुआ

'आकुल' की पुस्‍तक का लोकार्पण करते बायें से श्री प्रभात गोस्‍वामी, तैलंगकुलम् के सचिव 
श्री भानुस्‍वरूप गोस्‍वामी, आकुल, श्री ओम प्रकाशजी, श्री रवि गोस्‍वामी,  समारोह अध्‍यक्ष 
पूर्व जिला एवं सेशन जज श्री  एम.डी. गोस्‍वामी, पं0 कलानाथ शास्‍त्री,  तैलंगकुलम अध्‍यक्ष 
श्री यदुनाथ भट्ट
कोटा। 6 नवम्‍बर को सूचना केंद्र जयपुर में एक भव्‍य आयाजन में अनेकों प्रतिभाओं और अनेक, शोधार्थियाें, संगीतकारों, साहित्‍यकारों, चित्रकारों, पत्रकारों को सम्‍मानित किया गया। साथ ही तीन पुस्‍तकों का लोकार्पण भी किया गया. समारोह‍ का मुख्‍य आकर्षण थीं लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्‍कारों से नवाज़े गये समाज के प्रबुद्ध मनी‍षियों और स्‍व0 रामादेवी स्‍मृति पुरस्‍कार के अंतर्गत श्रीमती राधा देवी (बुलबुलजी) को पुरस्‍कृत किया जाना था. श्रीमती राधादेवी प्रख्‍यात सितारवादक स्‍व0 पं0 शशिमोहन भट्ट की पत्‍नी हैं। 
इस अवसर पर तीन पुस्‍तकों में 'आकुल' की पुस्‍तक के अलावा श्री ओम प्रकाश गोस्‍वामी (प्रकाशजी) द्वारा विरचित 'श्रीबलदेवचरितम्'  और डा0 ईशा भट्ट लिखित 'वस्‍त्र एवं परिधान' का लोकार्पण भी आकर्षण का केंद्र था. 
श्री 'आकुल' केे गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' का लोकार्पण उपरोक्‍त दो पुस्‍तकों के साथ ही मंचाासीन समारोह अध्‍यक्ष संस्‍कृत मनीषी देवर्षि पं. कलानाथ शास्‍त्री, मुख्‍य अतिथि पूर्व जिला एवं सेशन जज श्री मुरलीधर गोस्‍वामी, पूर्व न्‍यायाधीश श्री विनय गोस्‍वामी, तैलंगकुलम् के अध्‍यक्ष श्री यदुनाथ भट्ट, उपाध्‍यक्ष श्री रवि गोस्‍वामी, प्रख्‍यात पत्रकार एवं उद्धोषक श्री प्रभात गोस्‍वामी एवं लेखक त्रय के द्वारा सम्‍पन्‍न किया गया. श्री 'आकुल' ने सद्य प्रकाशित  नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' भी सभी मंचासीन अतिथियों को भेंट की. 


उन्होने बताया कि यह दोनों पुस्‍तक तैलंगकुलम् के प्रकाश स्‍तम्‍भ अनुष्‍टुप प्रकाशन, जयपुर से ही प्रकाशित हुई हैं. पुुस्‍तक के लोकार्पण के ऊहापोह के चलते विलम्‍ब होने पर 'आकुल' ने बताया कि नवम्‍बर में प्रतिभा सम्‍मान समारोह की घोषणा होने पर इस पुस्‍तक का लोकार्पण होना तय हो गया, किन्‍तु विलम्‍ब के कारण यह पुस्‍तक राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पुरस्‍कृत हो जाने के कारण एक औपचारिकता स्‍वरूप यह प्रकाशक द्वारा लोकार्पित किया जाना आवश्‍यक समझा गया. इस गीत संग्रह केे लिए अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा (अहिसास) नाशिक द्वारा 16 अक्‍टूबर को नाशिक में एक भव्‍य समारोह में श्री 'आकुल' सम्‍मानित किया गया. इसी कार्यक्रम में उनके सद्य प्रकाशित नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का भी लोकार्पण किया गया.  'आकुल' की पुस्‍तक के बारे में संचालक द्वारा वक्‍तव्‍य पढ़ा गया। बताया गया 'सपने वे नहीं होते, जो हम सोते हुए देखते हैं. पने वे होते हैं, जो हमें सोने नहीं देते, पर सुनहरे सपनों को सँजोए हुए रखते हैं. इसी हुंकार और टंकार के साथ आकुलजी का यह गीत संग्रह पाठकों के बीच है. इस संग्रह में 48 गीतों का विविधवर्णी समावेश है. ये गीत इस मन्‍तव्‍य का भी समर्थन करते हैं कि यदि वर्तमान को सुधारा जाय तो भविष्‍य अपने आप सुधर जाएगा. यही जीवन मार्ग राजमार्ग सिद्ध होगा. इन गीतों में चुनौतियों के प्रतिकार का सामर्थ्‍य दिखाई देता है. गीतकार का मनना है कि चुनौतियाँँ शाश्‍वत हैा, सदा रहेंगी. इनका सामना करना ही संघर्ष है. हौसला और कर्तव्‍यपरायणता इसकी प्राथमिकता है. 
कार्यक्रम के समापन पर 'आकुल' ने संग्रह की कुछ प्रतियाँँ प्रबुद्ध मनीषियों यथा, पूर्व आई.ए.एस. श्री जगदीश गोस्‍वामी, पूर्व कलक्‍टर श्री हेमन्‍त शेष, वरिष्‍ठ साहित्‍यकार, पत्रकार एवं इस समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार से सम्‍मानित श्री अशोक आत्रेय, साहित्‍यकार श्री सुरेश गोस्‍वामी, विशिष्‍ट कला साधना सम्‍मान से सम्‍मानित ध्रुपद सम्राट पं0 लक्ष्‍मण भट्ट के पुत्र वायलिन वादक श्री रविशंकर भट्ट आदि को भेंट स्‍वरूप प्रदान की।  
प्रस्‍तुति- आकुल         

तैलंगकुलम् के प्रतिभा सम्‍मान समारोह में 'आकुल' केे गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' का लोकार्पण हुआ

'आकुल' की पुस्‍तक का लोकार्पण करते बायें से श्री प्रभात गोस्‍वामी, तैलंगकुलम् के सचिव श्री भानुस्‍वरूप गोस्‍वामी, आकुल, श्री ओम प्रकाशजी, श्री रवि गोस्‍वामी,  समारोह अध्‍यक्ष पूर्व जिला एवं सेशन जज श्री  एम.डी. गोस्‍वामी, पं0 कलानाथ शास्‍त्री,  तैलंगकुलम अध्‍यक्ष  श्री यदुनाथ भट्ट. मंच संचालक श्री संबोध गोस्‍वामी. 
कोटा। 6 नवम्‍बर को सूचना केंद्र जयपुर में एक भव्‍य आयाजन में अनेकों प्रतिभाओं और अनेक, शोधार्थियाें, संगीतकारों, साहित्‍यकारों, चित्रकारों, पत्रकारों को सम्‍मानित किया गया। साथ ही तीन पुस्‍तकों का लोकार्पण भी किया गया. समारोह‍ का मुख्‍य आकर्षण थीं लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्‍कारों से नवाज़े गये समाज के प्रबुद्ध मनी‍षियों और स्‍व0 रामादेवी स्‍मृति पुरस्‍कार के अंतर्गत श्रीमती राधा देवी (बुलबुलजी) को पुरस्‍कृत किया जाना था. श्रीमती राधादेवी प्रख्‍यात सितारवादक स्‍व0 पं0 शशिमोहन भट्ट की पत्‍नी हैं। 
इस अवसर पर तीन पुस्‍तकों में 'आकुल' की पुस्‍तक के अलावा श्री ओम प्रकाश गोस्‍वामी (प्रकाशजी) द्वारा विरचित 'श्रीबलदेवचरितम्'  और डा0 ईशा भट्ट लिखित 'वस्‍त्र एवं परिधान' का लोकार्पण भी आकर्षण का केंद्र था. 
श्री 'आकुल' केे गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' का लोकार्पण उपरोक्‍त दो पुस्‍तकों के साथ ही मंचाासीन समारोह अध्‍यक्ष संस्‍कृत मनीषी देवर्षि पं. कलानाथ शास्‍त्री, मुख्‍य अतिथि पूर्व जिला एवं सेशन जज श्री मुरलीधर गोस्‍वामी, पूर्व न्‍यायाधीश श्री विनय गोस्‍वामी, तैलंगकुलम् के अध्‍यक्ष श्री यदुनाथ भट्ट, उपाध्‍यक्ष श्री रवि गोस्‍वामी, प्रख्‍यात पत्रकार एवं उद्धोषक श्री प्रभात गोस्‍वामी एवं लेखक त्रय के द्वारा सम्‍पन्‍न किया गया. श्री 'आकुल' ने सद्य प्रकाशित  नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' भी सभी मंचासीन अतिथियों को भेंट की. 


उन्होने बताया कि यह दोनों पुस्‍तक तैलंगकुलम् के प्रकाश स्‍तम्‍भ अनुष्‍टुप प्रकाशन, जयपुर से ही प्रकाशित हुई हैं. पुुस्‍तक के लोकार्पण के ऊहापोह के चलते विलम्‍ब होने पर 'आकुल' ने बताया कि नवम्‍बर में प्रतिभा सम्‍मान समारोह की घोषणा होने पर इस पुस्‍तक का लोकार्पण होना तय हो गया, किन्‍तु विलम्‍ब के कारण यह पुस्‍तक राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पुरस्‍कृत हो जाने के कारण एक औपचारिकता स्‍वरूप यह प्रकाशक द्वारा लोकार्पित किया जाना आवश्‍यक समझा गया. इस गीत संग्रह केे लिए अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा (अहिसास) नाशिक द्वारा 16 अक्‍टूबर को नाशिक में एक भव्‍य समारोह में श्री 'आकुल' सम्‍मानित किया गया. इसी कार्यक्रम में उनके सद्य प्रकाशित नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का भी लोकार्पण किया गया.  'आकुल' की पुस्‍तक के बारे में संचालक द्वारा वक्‍तव्‍य पढ़ा गया। बताया गया 'सपने वे नहीं होते, जो हम सोते हुए देखते हैं. पने वे होते हैं, जो हमें सोने नहीं देते, पर सुनहरे सपनों को सँजोए हुए रखते हैं. इसी हुंकार और टंकार के साथ आकुलजी का यह गीत संग्रह पाठकों के बीच है. इस संग्रह में 48 गीतों का विविधवर्णी समावेश है. ये गीत इस मन्‍तव्‍य का भी समर्थन करते हैं कि यदि वर्तमान को सुधारा जाय तो भविष्‍य अपने आप सुधर जाएगा. यही जीवन मार्ग राजमार्ग सिद्ध होगा. इन गीतों में चुनौतियों के प्रतिकार का सामर्थ्‍य दिखाई देता है. गीतकार का मनना है कि चुनौतियाँँ शाश्‍वत हैा, सदा रहेंगी. इनका सामना करना ही संघर्ष है. हौसला और कर्तव्‍यपरायणता इसकी प्राथमिकता है. 
कार्यक्रम के समापन पर 'आकुल' ने संग्रह की कुछ प्रतियाँँ प्रबुद्ध मनीषियों यथा, पूर्व आई.ए.एस. श्री जगदीश गोस्‍वामी, पूर्व कलक्‍टर श्री हेमन्‍त शेष, वरिष्‍ठ साहित्‍यकार, पत्रकार एवं इस समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार से सम्‍मानित श्री अशोक आत्रेय, साहित्‍यकार श्री सुरेश गोस्‍वामी, विशिष्‍ट कला साधना सम्‍मान से सम्‍मानित ध्रुपद सम्राट पं0 लक्ष्‍मण भट्ट के पुत्र वायलिन वादक श्री रविशंकर भट्ट आदि को भेंट स्‍वरूप प्रदान की।  
प्रस्‍तुति- आकुल         

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

21 प्रतिभाएँँ सम्‍मानित होंगी एवं 3 पुस्‍तकों के लोकार्पण भी

कोटा। तैलंगकुलम् के षष्‍टम प्रतिभा सम्‍मान समारोह एवं लाइफ टाइम एचीवमेंट समारोह 6 नवम्‍बर को सूचना केंद्र जयपुर में सायं 4 बजे से आयोजित किया जाएगा. इस समारोह में मुख्‍य अतिथि पूर्व जिला एवं सत्र न्‍यायालधीश श्री एम.डी.गोस्‍वामी होंगे। इस कार्यक्रम में लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्‍कार, साहित्यि निधि सम्‍मान, रंग पथिक सम्‍मान, विशिष्‍ट कला सम्‍मान और शोध शास्‍त्री सम्‍मान और डा0 प्रेमचंद्र गोस्‍वामी स्‍मृति सम्‍मान भी चित्रकला के क्षेत्र में दिया जाएगा. साथ ही 10 एवं 10+2 में किसी भी
बोर्ड से उत्‍तीर्ण समाज के प्रतिभाशाली 21 बच्‍चों को भी पुरस्‍कृत किया जाएगा.  इस समारोह में नरी के प्रख्‍यात दाऊजी मंदिर के प्रागेतिहास को उद्धृत करती मूल नरी एवं वर्तमान में जयपुर निवासी श्री ओम प्रकाश गोस्‍वामी द्वारा लिखित पुस्‍तक'' श्री बलदेवचरितम्'', डा0 ईशा भट्ट लिखित ''वस्‍त्र एवं परिधान एक परिचय'' पुस्‍तक एवं डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' लिखित गीत संग्रह ''नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ'' का लोकार्पण भी किया जाएगा. समारोह सायं 4 बजे से सवाई मान सिंह हॉस्पिटल के सामने स्थित सूचना केंद्र, जयपुर के हॉल में आयोजित किया जाएगा.



 

बुधवार, 19 अक्टूबर 2016

'आकुल' को 'विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान'

साहित्‍य साधना सम्‍मान फिरोजाबाद के डा0 यायावर को, साहित्‍य आराधना पुरस्‍कार हैदराबाद के श्री विजय सप्‍पति को , साहित्‍य सृजन सम्‍मान मुंबई के रमेश यादव को, अहिसास गौरव सम्‍मान नाशिक के नासिर शाकेब को  

डा0 आकुल को दिया गया
विद्योत्‍तमा सम्‍मान का स्‍मृति चिह्न 
नाशिक। 16  अक्‍टूबर, रविवार को पंचवटी, दसवें ज्‍योतिर्लिंग त्रयम्‍बकेश्‍वर महादेव और दक्षिण की गंगा के नाम से मशहूर गोदावरी नदी की तीर्थ भूूमि पर 2012 को स्‍थापित अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा का पहला राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मान 2016 नाशिक में पूर्तकोटि सभागार में भव्‍यरूप से आयोजित किया गया। 

कार्यक्रम का प्रथम सत्र सम्‍मान अलंकरण समारोह के  रूप में आरंभ हुआ दीप प्रज्‍ज्‍वलन कर के। माननीय मुख्‍य अतिथि श्री विपुल सेन, वैज्ञानिक, भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क), समारोह अध्‍यक्ष श्रीमती मनीषा अधिकारी, प्रबंधक एस.डब्‍ल्‍यू.एस. फाइनेंशियल सोल्‍यूशंस प्रा. लि. नाशिक, विशिष्‍ट  अतिथि श्री प्रदीप शैणे, मंडल प्रबंधक जीवन बीमा निगम, नाशिक एवंं सम्‍मानित साहित्‍यकारों के द्वारा किया गया। 

इसके पश्‍चात् कार्यक्रम का आगाज ईश वंदना से हुआ। सम्‍मान समारोह की शुरुआत अहिसास के अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र द्वारा अहिसास की स्‍थापना के औचित्‍य के उद्बोधन से हुई। उन्‍होंने बताया कि 2012 में अहिसास का आरंभ अहिंदी भाषी क्षेत्र महाराष्‍ट्र के नाशिक में हिन्‍दी-उर्दू-मराठी के विकास के लिए त्रिवेणी के रूप में अद्भुत संगम के साथ हुई। अहिसास की संस्‍थापक अध्‍यक्ष श्रीमती शीला डोंगेरे थी जिनके अमरावती चले जाने के कारण यह संस्‍था, उसकी त्रैमासिक हिन्‍दी पत्रिका 'सार्थक नव्‍या' के प्रकाशन से ही अपनी पहचान बनाये हुए थी। अहिसास में तिमाही कार्यक्रम होते हैं, जिसमें काव्‍य गोष्‍ठी, विचार गोष्‍ठी, सामयिक विषय पर प्रबुद्ध वक्‍ताओं की संगोष्‍ठी आयोजित करते हैं। वर्तमान में अहिसास के सदस्‍यों की संख्‍या सौ से अधिक हो गयी है। 

आकुल' के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का विमोचन करते अतिथि गण
इसके पश्‍चात्  अहिसास के इस सम्‍मान समारोह में अहिसास का पहला राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य हिन्‍दी सम्‍मान समारोह था, इसलिए उसकी स्‍मारिका विद्याभारती का लोकार्पण हुआ, अहिसास की त्रैमाकि पत्रिका सार्थक नव्‍या का नया अंक 'विदर्भ विशेषांक' का विमोचन भी किया गया। साथ ही डा0 आकुल के नये नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का भी विमोचन किया गया। विभिन्‍न प्रान्‍तों यथा उत्‍तर प्रदेश, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, कर्नाटक के साहित्‍यकारों को उनकी लंबी हिन्‍दी सेवा के लिए उन्‍हें विभिन्‍न सम्‍मानों से सम्‍मानित किया गया। राजस्‍थान केे तक्षशिला के नाम से प्रख्‍यात शिक्षा नगरी कोटा के डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' को विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान से श्री सुबोध मिश्र और भी मंचस्‍थ अतिथियों द्वारा शॉल, पुष्‍पपत्र, प्रश‍स्तिपत्र, श्रीफल और पुष्‍पगुच्‍छ दे कर सम्‍मानित किया गया। विद्योत्‍तमा सम्‍मान
अहिसास अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र एवं उनकी पत्‍नी एवं अन्‍य अतिथियों सहित
श्री आकुल को विद्योत्‍तमा  सम्‍मान से सम्‍मानित करते हुए 
स्‍मृतिशेष श्रीमती विद्या मिश्र की स्‍मृति में श्री सुबोध मिश्र, अध्‍यक्ष अहिसास द्वारा आरंभ किया गया है। श्रीमती विद्या मिश्र, श्री सुबोध मिश्र की माता थीं। इसी क्रम में साहित्‍य साधना पुरस्‍कार चूडि़यों के लिए प्रख्‍यात उ.प्र; के शहर फिरोजाबाद के डा0 राम सनेही लाल 'यायावर' को उनकी पुस्‍तक 'आधुनिकता का दर्पण' पर प्रदान किया गया। यह पुरस्‍कार म.प्र; के प्रख्‍यात हास्‍यकवि श्री रमेश चंद्र 'धुँआधार' के पुत्र स्‍व. अमित शर्मा की स्‍मृति में दिया गया। इसी क्रम में  स्‍वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित आत्‍मकथ्‍यात्‍मक उपन्‍यास 'बिम्‍ब-प्रतिबिम्‍ब पर दिया गया, जो श्री चन्‍द्रकांत खेतजी के मूल मराठी उपन्‍यास का हिन्‍दी रूपांतर है। इसमें श्री विवेकानंद के जीवन के कई ऐसे पहलुओं के बारे में रेखांकन है, जो बहुत कम लोग जानते हैं।
यह पुरस्‍कार डॉ. जी.एम.शेख की स्‍मृति में दिया गया। श्री शेख डिस्ट्रिक्‍ट रजिस्‍ट्रार आयुक्‍त से सेवानिवृत्‍त हो कर सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित हो गये थे। हैदराबाद के श्री विजय कुमार सप्‍पति को उनके कहानी संग्रह 'एक थी माया' पर दिया गया। श्री सप्‍पति को यह स्‍व0 नंद किशोर झालानी की स्‍मृति में उनकी पत्‍नी सुधा झालानी की ओर से दिया गया। श्री झालानी होल्‍कर की नगरी इंदौर में जन्‍में और उन्‍हें होल्‍कर साम्राज्‍य में मुंतजिम बहादुर की उपाधि से अलंकृत किया गया था। विदेश से शिक्षा दीक्षा और विभिन्‍न देशों में सेवा कर वे आखिर में भारत आ गये और हिंडाल्‍को से जुड़ गये। उनके स्‍लोगन 'नॉलेज इज़ माय गॉड' से वे निरंतर क्रियाशील रहे। अंतिम सम्‍मान नाशिक के ख्‍यातनाम शायर नासिर शाकेब को उनके ग़ज़ल संग्रह 'दर्द आशना' पर दिया गया। वे गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके, इसलिए उनके प्रतिनिधि को यह पुरस्‍कार व सम्‍मान दिया गया। यह पुरस्‍कार श्री अशफ़ाक़ अहमद खलीफा द्वारा प्रायोजित था।
कोटा के जनकवि और साहित्‍यकार डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' का परिचय व पुस्‍तक परिचय श्रीमती अनीता दुबे ने पढ़ कर सुनाया। उन्‍होंने किताब 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजायें' का परिचय देते हुए कहा कि इस गीत संग्रह में आकुल ने जीवन के कटु, यथार्थ, सामाजिक विद्रूपताओं, कलुषित मनोवृत्तियों तथा देश में वीभत्‍सतम रूप लेती समस्‍याओं को व्‍यक्‍त किया है। उन्‍होंने अपने आस-पास के परिवेश में केवल इन समस्‍याओं को गहना से परखा ही नहीं है बल्कि दृढ़ता से उनके खिलाफ अपने आपको को खड़ा भी रखा है। समस्‍याऍं तो हैं ही लेकिन गीतकार हमारे सामने एक सकारात्‍मक सोच लिए आते हैं और समाधान भी प्रस्‍तुत
सम्‍मानित पुस्‍तकों को पुरस्‍कारों के लिए चयन करने वाले
निर्णायकों को सम्‍मानित करते अतिथि गण एवं अध्‍यक्ष अहिसास
करते हैा। राष्‍ट्रीयता, नैतिकता, भारतीय संस्‍कृति एवं सभ्‍यता के साथ-साथ नवीन विचारधारा, वैज्ञानिकता उनके गीतों के मूल स्‍वर हैं। वे कहती हैं कि सबसे सुंदर पक्ष उनके गीत संग्रह का जो हृदय को छू जाता है वह है, उनके नारी के प्रति सम्‍मान से ओत-प्रोत गीत। पुरुष प्रधान समाज को चुनौतीपूर्ण स्‍वर में चेता रहे गीतकार कुछ इस प्रकार- मत कर नारी का अपमान.......हो न हो फिर नारी के नाम जाएगा.... ।' नारी सशक्तिकरण की प्रक्रिया में वे योगदान देते हुए अपनी सशक्‍त भूमिका रखते हैा। नारी माँँ, बहिन, बेटी, बहू हर रूप में सम्‍माननीय है, ऐसे संस्‍कारों की वर्तमान परिस्थितियों में बहुत आवश्‍यकता है। सभी को सम्‍मानित करने के पश्‍चात् सभी निर्णायकों को सम्‍मानित किया गया, जिन्‍होंने प्राप्‍त प्रविष्टियों से पाँँच साहित्‍यकारों को सम्‍मान हेतु चयन किया गया।  समारोह में सहयोगी बने सभी विज्ञापनदाता, प्रायोजकों को भी सम्‍मानित किया गया। अंत में शीला डोंगरे, संस्‍थापक अध्‍यक्ष अहिसास ने आभार व्‍यक्‍त किया।  दूसरे सत्र में पधारे सम्‍मानित साहित्‍यकारों व विशेष कर कवि सम्‍मेलन के लिए पधारे कवियों द्वारा मिश्रित काव्‍यपाठ किया गया।     

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2016

आकुल के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का विमोचन 'अहिसास' के राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मान समारोह नाशिक में सम्‍पन्‍न

समारोह में उनकेे गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' के लिए उन्‍हें 'विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान' से अलंकृत किया
'आकुल' के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का विमोचन करते अतिथि बाये से हैदराबाद के श्री सप्‍पति, अहिसास के अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र, एलआईसी मंडल प्रबंधक श्री शैणै, वैज्ञानिक (बार्क) श्री  विपुल सेन, अध्‍यक्ष समारोह श्रीमती मनीषा अधिकारी,  सम्‍मानित लेखक डा0 रामसनेही लाल यायावर, रमेश यादव, आकुल और एक अन्‍य अतिथि

नाशिक। दिनांक 16 अक्‍टूबर, रविवार को महाराष्‍ट्र की पुण्‍यभूमि त्रयम्‍बकेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग, सिंहस्‍थ तीर्थ और दक्षिण की गंगा गोदावरी के तट पर बसे नाशिक के पूर्तकोटि सभागार में अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा
'आकुल' को दिया गया विद्योत्‍तमा सम्‍मान
(अहिसास) के पहले राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मान एवं हास्‍य कवि सम्‍मेलन भव्‍य गरिमा के साथ सम्‍पन्‍न हुआ। इस समारेाह में विभिन्‍न प्रान्‍तों यथा, कर्नाटक, राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, मध्‍यप्रदेश और उत्‍तर प्रदेश से पधारे साहित्‍यकारों को उनकेे द्वारा हिन्‍दी में की जारही सेवा को ध्‍यान में रखते हुए विभिन्‍न पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया गया। इस अवसर पर कोटा के डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' केे सद्य प्रकाशित नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का लोकार्पण हुअा मंच पर उपस्थिति विद्वान् मनीषियों यथा भाभा एटोमिक रिसर्च परिषद  (बार्क) के वैज्ञानिक श्री विपुल सेन, श्री प्रदीप शैणे, वरिष्ठ  प्रबंध मंडल जीवन बीमा निगम,
श्रीमती मनीषा अधिकारी, डाइरेक्‍टर,एसडब्‍ल्‍यूएस फाइनेंशियल सोल्‍यूशंस एवं सम्‍मानित किये जाने वाले सम्‍मानार्थियों एवं अहिसास के अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र एवं लेखक 'आकुल' के करकमलों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित 'अहिसास' के सदस्‍यों व शहर के गणमान्‍य नागरिकों की उपस्थिति से कार्यक्रम गुंजायमान हो गया। साथ ही इस अवसर पर समारेाह की स्‍मारिका विद्याभारती, 
समारोह की स्‍मारिका विद्याभारती का लोकार्पण करते हुए अतिथि
हिन्‍दी पत्रिका 'सार्थक नव्‍या' केे अक्‍टूबर के अंक 'विदर्भ विशेषांक' का भी विमोचन हुआ। इस अवसर पर डा0 आकुल द्वारा नवगीत संग्रह का परिचय देते हुए बताया गया कि यह पुस्‍तक सम्‍मानित पुस्‍तक 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ'  और नवगीत संग्रह दोनों एक साथ प्रकाशित हुई हैं, नवगीत संग्रह आज के भारतीय परिवेश में व्‍याप्‍त विद्रूपताएँँ, विषमताओं पर जन जन केे मानसिक द्वंद्व का नवगीत के रूप में प्रस्‍तुतीीकरण है और उसका समाधान ले कर  गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वर्ग सजाएँँ' बनाया है। उन्‍होंने संक्षिप्‍त में परिचय को यह कह कर खत्‍म किया कि आज भारत में गली-गली में छोटी से छोटी समस्‍याओं पर विद्रोह जैसी स्थिति बनी हुई है, आज का 
अहिसास की पत्रिका 'सार्थक नव्‍या' का लोकार्पण करते अतिथि
भारत, भारत नहीं रहा, महाभारत हो गया है, फिर भी मेरा भारत अपनी अक्षुण्‍ण संस्‍कृति और सभ्‍यता के बलबूते खुशहाल है। उन्‍होंने अंत में अपने नवगीत संग्रह का एक गीत सुना कर - 'जोश अभी भी नहीं हुआ कम, देश मेरा खुशहाल है'  श्रोताओं से दाद बटोरी और वाणी को विराम दिया। विमोचन के बाद सम्‍मानित सदस्‍यों का परिचय और मंच पर उपस्थिति अतिथियों द्वारा पत्र पुष्‍प, शॉल, प्रशस्ति पत्र और पुष्‍पगुच्‍छ एवं स्‍मारिका 'विद्याभारती' व 'सार्थक नव्‍या' दे कर उन्‍हें सम्‍मानित किया गया।  

आकुल के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का विमोचन 'अहिसास' के राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मान समारोह नाशिक में सम्‍पन्‍न

समारोह में उनकेे गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' के लिए उन्‍हें 'विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान' से अलंकृत किया
'आकुल' के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का विमोचन करते अतिथि बाये से हैदराबाद के श्री सप्‍पति, अहिसास के अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र, एलआईसी मंडल प्रबंधक श्री शैणै, वैज्ञानिक (बार्क) श्री  विपुल सेन, अध्‍यक्ष समारोह श्रीमती मनीषा अधिकारी,  सम्‍मानित लेखक डा0 रामसनेही लाल यायावर, रमेश यादव, आकुल और एक अन्‍य अतिथि

नाशिक। दिनांक 16 अक्‍टूबर, रविवार को महाराष्‍ट्र की पुण्‍यभूमि त्रयम्‍बकेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग, सिंहस्‍थ तीर्थ और दक्षिण की गंगा गोदावरी के तट पर बसे नाशिक के पूर्तकोटि सभागार में अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा
'आकुल' को दिया गया विद्योत्‍तमा सम्‍मान
(अहिसास) के पहले राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मान एवं हास्‍य कवि सम्‍मेलन भव्‍य गरिमा के साथ सम्‍पन्‍न हुआ। इस समारेाह में विभिन्‍न प्रान्‍तों यथा, कर्नाटक, राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, मध्‍यप्रदेश और उत्‍तर प्रदेश से पधारे साहित्‍यकारों को उनकेे द्वारा हिन्‍दी में की जारही सेवा को ध्‍यान में रखते हुए विभिन्‍न पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया गया। इस अवसर पर कोटा के डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल' केे सद्य प्रकाशित नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का लोकार्पण हुअा मंच पर उपस्थिति विद्वान् मनीषियों यथा भाभा एटोमिक रिसर्च परिषद  (बार्क) के वैज्ञानिक श्री विपुल सेन, श्री प्रदीप शैणे, वरिष्ठ  प्रबंध मंडल जीवन बीमा निगम,
श्रीमती मनीषा अधिकारी, डाइरेक्‍टर,एसडब्‍ल्‍यूएस फाइनेंशियल सोल्‍यूशंस एवं सम्‍मानित किये जाने वाले सम्‍मानार्थियों एवं अहिसास के अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र एवं लेखक 'आकुल' के करकमलों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित 'अहिसास' के सदस्‍यों व शहर के गणमान्‍य नागरिकों की उपस्थिति से कार्यक्रम गुंजायमान हो गया। साथ ही इस अवसर पर समारेाह की स्‍मारिका विद्याभारती, 
समारोह की स्‍मारिका विद्याभारती का लोकार्पण करते हुए अतिथि
हिन्‍दी पत्रिका 'सार्थक नव्‍या' केे अक्‍टूबर के अंक 'विदर्भ विशेषांक' का भी विमोचन हुआ। इस अवसर पर डा0 आकुल द्वारा नवगीत संग्रह का परिचय देते हुए बताया गया कि यह पुस्‍तक सम्‍मानित पुस्‍तक 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ'  और नवगीत संग्रह दोनों एक साथ प्रकाशित हुई हैं, नवगीत संग्रह आज के भारतीय परिवेश में व्‍याप्‍त विद्रूपताएँँ, विषमताओं पर जन जन केे मानसिक द्वंद्व का नवगीत के रूप में प्रस्‍तुतीीकरण है और उसका समाधान ले कर  गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वर्ग सजाएँँ' बनाया है। उन्‍होंने संक्षिप्‍त में परिचय को यह कह कर खत्‍म किया कि आज भारत में गली-गली में छोटी से छोटी समस्‍याओं पर विद्रोह जैसी स्थिति बनी हुई है, आज का 
अहिसास की पत्रिका 'सार्थक नव्‍या' का लोकार्पण करते अतिथि
भारत, भारत नहीं रहा, महाभारत हो गया है, फिर भी मेरा भारत अपनी अक्षुण्‍ण संस्‍कृति और सभ्‍यता के बलबूते खुशहाल है। उन्‍होंने अंत में अपने नवगीत संग्रह का एक गीत सुना कर - 'जोश अभी भी नहीं हुआ कम, देश मेरा खुशहाल है'  श्रोताओं से दाद बटोरी और वाणी को विराम दिया। विमोचन के बाद सम्‍मानित सदस्‍यों का परिचय और मंच पर उपस्थिति अतिथियों द्वारा पत्र पुष्‍प, शॉल, प्रशस्ति पत्र और पुष्‍पगुच्‍छ एवं स्‍मारिका 'विद्याभारती' व 'सार्थक नव्‍या' दे कर उन्‍हें सम्‍मानित किया गया।