सोमवार, 7 नवंबर 2016

तैलंगकुलम् के प्रतिभा सम्‍मान समारोह में 'आकुल' केे गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' का लोकार्पण हुआ

'आकुल' की पुस्‍तक का लोकार्पण करते बायें से श्री प्रभात गोस्‍वामी, तैलंगकुलम् के सचिव 
श्री भानुस्‍वरूप गोस्‍वामी, आकुल, श्री ओम प्रकाशजी, श्री रवि गोस्‍वामी,  समारोह अध्‍यक्ष 
पूर्व जिला एवं सेशन जज श्री  एम.डी. गोस्‍वामी, पं0 कलानाथ शास्‍त्री,  तैलंगकुलम अध्‍यक्ष 
श्री यदुनाथ भट्ट
कोटा। 6 नवम्‍बर को सूचना केंद्र जयपुर में एक भव्‍य आयाजन में अनेकों प्रतिभाओं और अनेक, शोधार्थियाें, संगीतकारों, साहित्‍यकारों, चित्रकारों, पत्रकारों को सम्‍मानित किया गया। साथ ही तीन पुस्‍तकों का लोकार्पण भी किया गया. समारोह‍ का मुख्‍य आकर्षण थीं लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्‍कारों से नवाज़े गये समाज के प्रबुद्ध मनी‍षियों और स्‍व0 रामादेवी स्‍मृति पुरस्‍कार के अंतर्गत श्रीमती राधा देवी (बुलबुलजी) को पुरस्‍कृत किया जाना था. श्रीमती राधादेवी प्रख्‍यात सितारवादक स्‍व0 पं0 शशिमोहन भट्ट की पत्‍नी हैं। 
इस अवसर पर तीन पुस्‍तकों में 'आकुल' की पुस्‍तक के अलावा श्री ओम प्रकाश गोस्‍वामी (प्रकाशजी) द्वारा विरचित 'श्रीबलदेवचरितम्'  और डा0 ईशा भट्ट लिखित 'वस्‍त्र एवं परिधान' का लोकार्पण भी आकर्षण का केंद्र था. 
श्री 'आकुल' केे गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' का लोकार्पण उपरोक्‍त दो पुस्‍तकों के साथ ही मंचाासीन समारोह अध्‍यक्ष संस्‍कृत मनीषी देवर्षि पं. कलानाथ शास्‍त्री, मुख्‍य अतिथि पूर्व जिला एवं सेशन जज श्री मुरलीधर गोस्‍वामी, पूर्व न्‍यायाधीश श्री विनय गोस्‍वामी, तैलंगकुलम् के अध्‍यक्ष श्री यदुनाथ भट्ट, उपाध्‍यक्ष श्री रवि गोस्‍वामी, प्रख्‍यात पत्रकार एवं उद्धोषक श्री प्रभात गोस्‍वामी एवं लेखक त्रय के द्वारा सम्‍पन्‍न किया गया. श्री 'आकुल' ने सद्य प्रकाशित  नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' भी सभी मंचासीन अतिथियों को भेंट की. 


उन्होने बताया कि यह दोनों पुस्‍तक तैलंगकुलम् के प्रकाश स्‍तम्‍भ अनुष्‍टुप प्रकाशन, जयपुर से ही प्रकाशित हुई हैं. पुुस्‍तक के लोकार्पण के ऊहापोह के चलते विलम्‍ब होने पर 'आकुल' ने बताया कि नवम्‍बर में प्रतिभा सम्‍मान समारोह की घोषणा होने पर इस पुस्‍तक का लोकार्पण होना तय हो गया, किन्‍तु विलम्‍ब के कारण यह पुस्‍तक राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पुरस्‍कृत हो जाने के कारण एक औपचारिकता स्‍वरूप यह प्रकाशक द्वारा लोकार्पित किया जाना आवश्‍यक समझा गया. इस गीत संग्रह केे लिए अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा (अहिसास) नाशिक द्वारा 16 अक्‍टूबर को नाशिक में एक भव्‍य समारोह में श्री 'आकुल' सम्‍मानित किया गया. इसी कार्यक्रम में उनके सद्य प्रकाशित नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का भी लोकार्पण किया गया.  'आकुल' की पुस्‍तक के बारे में संचालक द्वारा वक्‍तव्‍य पढ़ा गया। बताया गया 'सपने वे नहीं होते, जो हम सोते हुए देखते हैं. पने वे होते हैं, जो हमें सोने नहीं देते, पर सुनहरे सपनों को सँजोए हुए रखते हैं. इसी हुंकार और टंकार के साथ आकुलजी का यह गीत संग्रह पाठकों के बीच है. इस संग्रह में 48 गीतों का विविधवर्णी समावेश है. ये गीत इस मन्‍तव्‍य का भी समर्थन करते हैं कि यदि वर्तमान को सुधारा जाय तो भविष्‍य अपने आप सुधर जाएगा. यही जीवन मार्ग राजमार्ग सिद्ध होगा. इन गीतों में चुनौतियों के प्रतिकार का सामर्थ्‍य दिखाई देता है. गीतकार का मनना है कि चुनौतियाँँ शाश्‍वत हैा, सदा रहेंगी. इनका सामना करना ही संघर्ष है. हौसला और कर्तव्‍यपरायणता इसकी प्राथमिकता है. 
कार्यक्रम के समापन पर 'आकुल' ने संग्रह की कुछ प्रतियाँँ प्रबुद्ध मनीषियों यथा, पूर्व आई.ए.एस. श्री जगदीश गोस्‍वामी, पूर्व कलक्‍टर श्री हेमन्‍त शेष, वरिष्‍ठ साहित्‍यकार, पत्रकार एवं इस समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार से सम्‍मानित श्री अशोक आत्रेय, साहित्‍यकार श्री सुरेश गोस्‍वामी, विशिष्‍ट कला साधना सम्‍मान से सम्‍मानित ध्रुपद सम्राट पं0 लक्ष्‍मण भट्ट के पुत्र वायलिन वादक श्री रविशंकर भट्ट आदि को भेंट स्‍वरूप प्रदान की।  
प्रस्‍तुति- आकुल         

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