‘हिन्दी लाओ-देश बचाओ’ हुंकार के साथ प्रतिवर्ष की भाँति ‘हिन्दी
दिवस’ के उपलक्ष्य में 14-15-16 सितम्बर,
2015 को श्रीनाथीजी की पावन नगरी नाथद्वारा में सन् 1937 से स्थापित नाथद्वारा
साहित्य मण्डल द्वारा नाथद्वारा में त्रिदिवसीय साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित हुए।
भारत के लगभग सभी प्रान्तों से पधारे साहित्यकारों के हिन्दी के उन्नयन के लिए
साहित्य सृजन करने पर उन्हें विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया गया ।
हिन्दी काव्य भूषण से सम्मानित हुए साहित्यकारों में पीछे बायें से पाँचवे डा0 रघुनाथ मिश्र 'सहज' |
कोटा के चार साहित्यकारों
यथा महावीर वर्धमान खुला विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डा0 मीता शर्मा को हिन्दी
भाषा भूषण, श्री जितेन्द्र निर्मोही को हिन्दी साहित्य विभूषण, वरिष्ठ
जनकवि डा0 रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ को हिन्दी काव्य भूषण और डा0 गोपाल कृष्ण भट्ट
‘आकुल’ को हिन्दी साहित्य भूषण की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप
सभी को शाल, उत्तरीय, श्रीनाथजी का चित्र, प्रशस्ति पत्र और श्रीनाथजी का प्रसाद
भेंट स्वरूप प्रदान किया गया।
श्रीनाथद्वारा के कवियों
को नाथद्वारा रत्न और विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के सम्पादकों को सम्पादक रत्न
भी प्रदान किये गये।
कार्यक्रम 14 सितम्बर
को साहित्यकारों, बच्चों, छात्रों, नागरिकों द्वारा हिन्दी को बढ़ावा देने के
लिए हाथ में नारा लिखे पट़टों को लिये व नारा लगाते हुए नगर परिक्रमा से आरंभ हुए
समारोह में साहित्य मंडल के डेढ़ लाख से भी अधिक पुस्तकों से सुसज्जित वाचनालय और
पुस्तकालय का अवलोकन साहित्यकारों को करवाया गया। हिन्दी उपनिषद सत्र के दौरान
दिनांक 14 और 16 सितम्बर को हिन्दी के विभिन्न विषयों यथा हिन्दी का बोधगम्य
स्वरूप, हिंग्लिशि के दुष्परिणाम, राष्ट्रभाषा की अधिकारिणी है हिन्दी भाषा,
क्या बलिदान से ही हिन्दी राष्ट्रभाषा पद पर प्रतिष्ठापित होगी, हिन्दी में
मीडिया की भूमिका, हिन्दी की सामर्थ्य, राष्ट्रभाषा की वर्तमान स्थिति आदि पर
अनेकों साहित्यकारों द्वारा आलेख प्रस्तुत किये गये। कोटा के साहित्यकार श्री
रामेश्वर रामूभैया द्वारा ‘हिन्दी की अंतर्राष्ट्रीयता’ पर अपना आलेख प्रस्तुत
किया गया ।
इस समारोह की प्रमुख विशेषता रही प्रत्येक साहित्यकार का
उनके समग्र हिन्दी सेवा पर आधारित श्रीनाथद्वारा के आशुकवि और संचालक श्री विट्ठल
पारीख द्वारा स्वरचित सस्वर प्रशस्ति गान।
विभन्नि साहित्यकारों,
कवियों ने इस समारोह के लिए दिये गये हुंकृति विषयक छंदों ‘हिन्दी सबको प्यारी होगी,इसकी छवि उजियारी होगी’, ‘हिन्दी बने विश्व की भाषा, स्वाभिमान की है परिभाषा’,
‘सब मिल बोलें एक जुबान, जय हिन्दी जय हिन्दुस्तान’ और ‘हिन्दी है कर्म हमारा,
हिन्दी है धर्म हमारा’ पर गीत, ग़ज़ल, गीतिका, कविता, कुण्डलिया, मुक्तक, दोहे
आदि बोल कर अपने विचार व्यक्त किये।
दिनांक 15 सितम्बर को
सुबह के सत्र में ब्रजभाषा परिसंवाद और सायं ब्रजभाषा काव्य संध्या का आयोजन हुआ
और रात्रि को पधारे सभी कवियों व साहित्यकारों की उपस्थित से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
आयोजित हुआ।
मंडल के प्रधानमंत्री संस्थापक अध्यक्ष
स्व0 भगवती प्रसाद देवपुरा के पुत्र श्री श्याम प्रसाद देवपुरा द्वारा पधारे सभी
साहित्यकारों का आभार प्रकट करते हुए सभी साहित्यकारों से हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठापित करने का संकल्प ले कर अपनी सृजन यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए आग्रह किया और आने वाले 7 मार्च, 2016 को मंडल के पाटोत्सव कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित किया।
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