दहेज की बलिवेदी पर चढ़ी बाला सरिता की स्मृति में स्थापित सरिता लोक सेवा संस्थान ग्राम सहनिवाँ पो0गौसेसिंहपुर जिला सुल्तानपुर में संस्थान का दसवाँ सम्मान समारोह माध्यमिक विद्यालय गौसेसिंहपुर में 6 नवम्बर2011 को सम्पन्न हुआ। संस्थान का सर्वोच्च सम्मान कीर्तिभारती सम्मान विक्रमशिला विद्यापीठ,भागलपुर बिहार के कुलसचिव देवेन्द्र नाथ शाह को दिया गया। लगभग 18साहित्यकार कवियों को विभिन्न सम्मानों व पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारत भूषण सम्मान भोपाल के प्रख्यात चित्रकार नवल जायसवाल को,स्व0रामकृपाल पाण्डेय सम्मान गोण्डा के प्रख्यात कथावाचक साहित्यकार श्री संतशरण त्रिपाठी को दिया गया। ज्ञानचन्द्र मर्मज्ञ सौहार्द सम्मान मैनपुरी के श्री सतीशचन्द्र मिश्र को व बहराइच के प्रख्यात समाज सेवी स्व0पंडित ब्रजबहादुर पाण्डेय सम्मान मासिक साहित्यिक पत्रिका कर्मनिष्ठा के सम्पादक डा0मोहन तिवारी आनन्द को दिया गया। श्री तिवारी को यह सम्मान पंडितजी के पुत्र प्रख्यात ग़ज़लकार साहित्यकार डा0अशोक‘गुलशन’द्वारा प्रायोजित था,जिसमें उन्होंने पत्रपुष्प,शाल व प्रशस्ति पत्र दे कर उन्हें सम्मानित किया। पहले सत्र में साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। साहित्य मार्तण्ड सम्मान डा0ओम प्रकाश हयारण,झाँसी और गोपाल कृष्ण भट्ट‘आकुल’कोटा को प्रदान किया गय। हिमाचल के अनन्त आलोक एवं महाराजगंज के डा0उमेश कुमार पटेल‘श्रीश’को साहित्य गौरव सम्मान प्रदान किया गया। काव्य कुमुद सम्मान फर्रूखाबाद के प्रदीपकुमार चक्रवर्ती और रघुनंदन प्रसाद दीक्षित को दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री रामार्य पाठक थे तथा अध्यक्षता चंद्रशेखर शुक्ल उर्फ'बेबी भैया'ने की। साहित्य सम्मान समारोह का संचालन श्री संतशरण त्रिपाठी कर रहे थे। सर्वप्रथम संस्थान के संस्थापक डा0कृष्णमणि चतुर्वेदी मैत्रेय ने संस्थान के बारे में संक्षिप्त में बताया और यह भी बताया कि किस तरह उनकी पुत्री सरिता को दहेज के लालचियों ने काल के क्रूर हाथों में झौंक दिया। तभी से इस जघन्य काण्ड को नहीं दोहराया जाये,उन्होंने साहित्य की अलख जगाकर, इसके माध्यम से नई जन जाग्रति का शंखनाद किया है। इस समारोह में बाद में पाप की मुक्ति के लिए प्रख्यात इस क्षेत्र के नाम‘धोपाप’ पर श्री मैत्रेय के पहले‘धोपाप’नाम के मासिक पत्र का भी विमोचन किया गया। ‘धोपाप’नामकरण के बारे में बताते हुए श्री मैत्रेय ने बताया कि भगवान् श्री राम लंका विजय के बाद लौटते समय लंकापति रावण की'ब्रह्महत्या'के पाप को धोने के लिए यहाँ से गुजरती हुई सरयू नदी के मध्य बहती धारा में स्नान करने के पश्चात् ही अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। इस तीर्थ पर किंवदंती है कि उस समय इस तीर्थ के महात्म्य को बताने के लिए ऋषियों ने काले कौए को बीचधार में डुबो कर श्री राम को बताया,वह काक श्याम वर्ण से गौर वर्ण का हो गया। श्याम वर्ण शाप व धब्बे का द्योतक है और गौर वर्ण पाप से मुक्ति का,तब श्रीराम ने बीच धार में स्नान किया। तभी से यह तीर्थ‘धोपाप’के नाम से प्रसिद्ध है। द्वितीय सत्र में देर रात तक कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता भोपाल से पधारे पत्रिका कर्मनिष्ठा के सम्पादक और तुलसी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष मोहन तिवारी‘आनन्द’ने की। पधारे सभी साहित्यकारों व कवियों ने वीर रस,हास्य,शृंगार और छन्द,ग़जल आदि रचनाओं से दूर दूर से पधारे श्रोतागणों को गुदगुदाया। कवि सम्मेलन का संचालन गोण्डा के प्रख्यात हास्य कवि अल्हड़ गोण्डवी ने किया।
डा0 रामवली परवाना स्मृति पर्व सम्मान समारोह खगड़िया में कोटा के डा0 नलिन और रघुनाथ मिश्र सम्मानित
19-20 नवम्बर 2011 को डा0 रामवली परवाना स्मृति पर्व खगड़िया (बिहार) में हिन्दी भाषा साहित्य़ परिषद् खगड़िया द्वारा आयोजित 11वें महाअधिवेशन में अनेक राज्यों से पधारे हिन्दी साहित्यिकारों को पुरस्कृत किया गया। कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ0 नलिन को डा0 ध्यानचन्द राय रजत स्मृति सम्मान दिया गया। उन्हें रजत प्रशस्ति पत्र, शाल और स्मृति चिह्न दे कर सम्मानित किया गया। श्री मिश्र को डा0 रामवली परवाना स्मृति पर्व सम्मान दिया गया।
19-20 नवम्बर 2011 को डा0 रामवली परवाना स्मृति पर्व खगड़िया (बिहार) में हिन्दी भाषा साहित्य़ परिषद् खगड़िया द्वारा आयोजित 11वें महाअधिवेशन में अनेक राज्यों से पधारे हिन्दी साहित्यिकारों को पुरस्कृत किया गया। कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ0 नलिन को डा0 ध्यानचन्द राय रजत स्मृति सम्मान दिया गया। उन्हें रजत प्रशस्ति पत्र, शाल और स्मृति चिह्न दे कर सम्मानित किया गया। श्री मिश्र को डा0 रामवली परवाना स्मृति पर्व सम्मान दिया गया।
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