सान्निध्य सेतु
ज्वलन्त सम सामयिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक समाचारों का झरोखा
गुरुवार, 17 अगस्त 2017
सान्निध्य: इक मुसकान दे आएँ
सान्निध्य: इक मुसकान दे आएँ
: छंद - विधाता मापनी- 1222 1222 1222 1222 पदांत- दे आएँ समांत- आन किसी रोते हुए बच्चे, को’ इक मुसकान दे आयें. किसी भूखे की’ झोली में...
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