सान्निध्य: दलितों के मसीहा: दलितों के मसीहा, संविधान निर्माता तुम्हें प्रणाम। कोटि-कोटि जन-जन के, जीवनदाता तुम्हें प्रणाम।। हे...
सोमवार, 14 अप्रैल 2014
सान्निध्य: दलितों के मसीहा
सान्निध्य: दलितों के मसीहा: दलितों के मसीहा, संविधान निर्माता तुम्हें प्रणाम। कोटि-कोटि जन-जन के, जीवनदाता तुम्हें प्रणाम।। हे...
मंगलवार, 1 अप्रैल 2014
'आकुल' का लघुकथा संग्रह ‘अब रामराज्य आएगा’ महाकाल की नगरी उज्जैन में 'शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान 2014' से पुरस्कृत। उन्हें 'शब्द भूषण' उपाधि से सम्मानित किया गया


अभिनंदन किया गया। पधारे हुए चयनित व सम्मानित किये जाने वाले साहित्यकारों को बारी-बारी से मंच पर बुला कर मंचस्थ अतिथियों द्वारा उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न दे कर सम्मानित किया गया। पधारे
साहित्यकार उज्जैन, पीलीभीत, महू, मुम्बई, मेरठ, पचौर, रायबरेली, बहराइच, ग्वालियर, इंदौर, छिंदवाड़ा ,लखनऊ, गुड़गाँव, आगरा, वैल्लूर, मंडी, सूरत,नागदा, भोपाल, कोरबा आदि स्थानों से थे। दक्षिण से उत्तर और
पश्चिम से पूर्व तक अनेकों राज्यों से पधारे साहित्यकारों को समारोह में सम्मानित
किया गया। महाकाल की नगरी, भगवान श्रीकृष्ण, सुदामा और बलराम के गुरु
संदीपनी के आश्रम और चक्रतीर्थ के नाम से मशहूर इस पवित्र नगरी के आकर्षण से बँधे कई
साहित्यकार यहाँ सपरिवार भी पधारे। कार्यक्रम के दूसरे चरण में डा0 रमेश मीणा द्वारा
कार्यक्रम का परिचय कराया गया। डा0 मीणा ने ‘शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान- 2014 के लिए चययनित एवं सम्मानित होने वाले साहित्यकारों और विमोचन की जाने वाली पुस्तकों के बारे में बताया। समारोह में लोकार्पित होने वाली
तीन पुस्तकों में कमलेश व्यास 'कमल' सम्पादित अखिल भारतीय काव्य संग्रह 'शब्द-सागर-2’, श्रीमती कोमल वाधवानी ‘प्रेरणा’ द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘शब्दों के तोरण’ और कमलेश व्यास 'कमल' द्वारा लिखित ‘बेटियाँ’ का विमोचन मंचस्थ अतिथियों द्वारा बारी-बारी से
किया गया। विमोचन के पश्चात् सम्मान समारोह की विधिवत आरंभ किया गया। सर्वप्रथम
उज्जैन के वरिष्ठ वयोवृद्ध कवि श्री अमृत लाल ‘अमृत’ और डा0 श्रीकृष्ण जोशी को साहित्य सेवा सम्मान
से नवाज़ा गया। ऊन्हें प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न और उत्तरीय पहना

समारोह में आने का श्री सृजन का प्रस्ताव स्वीकार किया। उन्होंने पिछले 25 वर्षों से श्रीमती प्रेरणा से परिवार की भाँति सहेजे गये सम्बंधों की ऊर्जा को पाले हुए उनकी पुस्तक में नारी उत्थान, भ्रूण हत्या आदि विषय पर लिखी रचनाओं पर उनके प्रयासों को सराहा। कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में अपने अध्यक्षीय भाषाण में श्री प्रभात भट्टाचार्य ने सर्वप्रथम ‘शब्द प्रवाह’ के प्रधान सम्पादक श्री सृजन को बधाई दी, पधारे साहित्यकारों का अभिवादन किया और कहा कि दिन रात चौगुनी करते इस पत्रिका का जुड़ाव अखिल भारतीय स्तर पर नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भविष्य में होगा, ऐसा मेरा विश्वास है। कुशल साहित्यकारों के जुड़ाव ने इसे इस मकाम तक पहुँचाया है। मैं जानता हूँ कि कैसे पत्रिका निकाली जाती है, कितनी मशक्कत करनी होती है, पत्रिका पुस्तकों का प्रकाशन करना आसान कार्य नहीं। उनका यह यज्ञ अनवरत चलता रहे, मैं हर तरह से उनकी मदद करने को तैयार हूँ। जिन पर श्री रामराजेश जैसे प्रतिष्ठापित कुलपति का वरदहस्त हो वह पत्रिका को स्वत: चलेगी। आज पधारे यहाँ उपस्थित साहित्यकारों के समागम को एक लघु कुंभ कहूँ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह चमत्कार से कम नहीं। उन्होंने आयोजकों और पधारे साहित्यकारों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम के अंत में ‘शब्द प्रवाह’ के प्रधान सम्पादक श्री संदीप सृजन फाफरिया ने सभी पधारे अतिथियों व साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया। इससे पूर्व कार्यक्रम के आरंभ में साहित्यकारों से ली गई पर्चियों में उनका परिचय लिखा कर इकट्ठा कर लॉटरी से तीन नाम निकाले गये और उन्हें भी पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया। सभी साहित्यकारों का एक समूह फोटो
सदस्यता लें
संदेश (Atom)