मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

सान्निध्य: आगत का स्‍वागत करो, विगत न जाओ भूल


सान्निध्य: आगत का स्‍वागत करो, विगत न जाओ भूल: 1- आगत का स्‍वागत करो, विगत न जाओ भूल उसको भी सम्‍मान से, करो विदा दे फूल करो विदा दे फूल, सीख लो जाते कल से तोड़ दिये यह भ्रम, बँध...

रविवार, 15 दिसंबर 2013

'आकुल' के लघुकथा संग्रह 'अब रामराज्‍य आएगा !!' का विमोचन उज्‍जैन में सम्‍पन्‍न

पुस्‍तक 'अब राम राज्‍य आएगा' !!' का विमोचन करते अतिथि मंचासीन अतिथिगण 
'आकुल' को 'भारतीय भाषा रत्‍न' से सम्‍मानित करते पीठ
के कुलाधिपति श्री सुमनभाई संत एवं प्रतिकुलपति
 'सहज' को 'विद्यासागर' से
सम्‍मानित करते प्रतिकुलपति
उज्‍जैन।14-12-2013। चक्रतीर्थ के नाम से प्रख्‍यात महाकाल की नगरी उज्‍जैन के प्रख्‍यात मौनतीर्थ आश्रम के चित्रकूट प्रांगण में आयोजित विक्र‍मशिला हिन्‍दी विद्यापीठ, ईशीपुर, गांधीनगर, भागलपुर बिहार के 18वें अधिवेशन में पूरे भारत से पधारे सैंकड़ों साहित्‍यकारों, विद्वानों के मध्‍य 'आकुल' की पुस्‍तक 'अब रामराज्‍य आएगा का लोकार्पण हुआ। कोटा राजस्‍थान से डा0 रघुनाथ मिश्र 'स‍हज' को विद्यासागर से सम्‍मानित किया गया। 'आकुल' को भी इस समारोह में 'भारतीय भाषा रत्‍न' से सम्‍मानित किया गया। 12 दिसम्‍बर से 14 दिसम्‍बर तक चले इस अधिवेशन में पूरे देश से पधारे साहित्‍यकारों को भारत गौरव, समाजसेवी रत्‍न, विद्या  वाचस्‍पति, साहित्‍य शिरोमणि, महाकवि आदि सम्‍मानों से सम्‍मानित किया गया। इस अधिवेशन में कई साहित्‍यकारों की स्‍वरचित, सम्‍पादित पुस्‍तकों, पत्र-पत्रिकाओं, शोधग्रंथों आदि का भी विमोचन किया गया। सम्‍मानस्‍वरूप उन्‍हें प्रशस्तिपत्र, पीठ की शोध पत्रिका 'पीठ वार्ता', आश्रम की पत्रिका मानस वंदन एवं स्‍वर्ण, रजत व ताम्र पदक प्रदान किये गये। 
पीठ के 18वें अधिवेशन में पूरे भारत से पधारे साहित्‍यकार
    

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

एक और गाँधी चला गया

नेल्‍सन मंडेला 
जैसे ही समाचार मिला मंडेला नहीं रहे। सारी दुनिया स्‍तब्‍ध रह गयी। महात्‍मा गाँधी के आदर्श पर चले दक्षिण अफ्रीकी अश्‍वेत नेता का छवि वहाँ ही नहीं सारी दुनिया में दूसरे गाँधी की थी। इसीलिए उनसे प्रभावित हो कर हमने उन्‍हें भारत रत्‍न से अलंकृत किया था। बापू ने रंगभेद की अपनी यात्रा दक्षिण अफ्रीका से आरंभ की थी। और पूरे विश्‍व मे यह लड़ाई एक क्रांति लाई और विश्‍व का परिदृश्‍य बदल गया। 5 दिसम्‍बर 2013 को अपनी अनंत या्त्रा को रवाना हुए इस नेता ने अपना आदर्श दुनिया को दिया और जीने का नया मार्ग दिखलाया जिस पर आज शक्तिमान अमेरिका भी चल रहा है। उनके इस सम्‍मान को 1990 में भारत ने अपने सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्‍न से नवाज़ा। सत्‍य और अहिंसा का यह पुजारी 27 साल जेल में रह कर भी नहीं झुका। उनका आंदोलन जेल से भी प्रतिनिधित्‍व करता रहा। आज उनकी स्‍मृति शेष है किंतु वे आज दुनिया के हर एक दिलों में महात्‍मा की तरह ज़िन्‍दा हैं और हमेशा रहेंगे। बापू को राष्‍ट्रपिता का सम्‍मान मिला और मंडेला राष्‍ट्रपति पदस्‍थ हुए। उन्‍हें भावभीनी श्रद्धांजलि।